चलो जैसे तैसे नेहा ने संभाला लगभग सारी तैयारी हो चुकी थी, नेहा ने सोचा कि अच्छे से तैयार हो जाती हूँ कही इनको शर्मिंदा ना होना पड़े, जब वो तैयार होकर आयी तो उसे इच्छा थी राघव कुछ तो कहे पर वो एक शब्द नही बोला, शायद ही उसने कभी नेहा की तारीफ की हो। सारे मेहमान लगभ आ चुके थे, शर्मा जी एक बेटी थी जो लगभग नितिन के बराबर ही थी, बड़ो का अपना मेलमिलाप चलता रहा और बच्चे खेलने में मग्न हो गए, तभी शर्मा जी पत्नी ने खाने की तारीफ करते हुए कहा इतना सब आपने अकेले बनाया और बहुत ही स्वादिष्ट बनाया है, आप बहुत भाग्यशाली है राघव जी ,