अक्टूबर २०१८ की कविताएं:१.जिन्दगी अभी बाकी हैवृक्ष बड़ रहे हैं,फूल खिल रहे हैं,लम्हे गुजर रहे हैंराहों पर धूप-छाँव है।जनसंख्या दौड़ रही हैबच्चे उछल-कूद रहे हैं,सदियां मिलजुल रही हैंजिन्दगी अभी बाकी है।मौसम बदल रहे हैंक्रान्तियां आ-जा रही हैं,अंधकार -उजाले में कुछ दिख रहा है,आन्दोलनों में जीवन है,झंडे उठते-गिरते हैं, जिन्दगी अभी बाकी है।सत्य का रुझान हैप्यार का प्रकाश दिखता है,इतनी मारधाड़ के बीचअहिंसा की प्यास बहुत है,एक शाश्वत सत्य हैजिन्दगी अभी बाकी है।२.हम जिन्दगी को ठगते हैंऔर जिन्दगी हमें ठगती है,इसी ठगने में ठग मिलते हैंराजनैतिक ठगदेश को लूटने वाले ठगराहों के ठग,विश्वासों के ठग,धर्मों के ठग, ठग ही ठगसाथ- साथ एक