शांतनु - १२

(15)
  • 709
  • 8
  • 336

शांतनु लेखक: सिद्धार्थ छाया (मातृभारती पर प्रकाशित सबसे लोकप्रिय गुजराती उपन्यासों में से एक ‘शांतनु’ का हिन्दी रूपांतरण) बारह “अनु?...अनु?” शांतनु के सुझाव के बारे में क्या किया जाय उसकी सोच में डूबी अनुश्री का शांतनु ने ध्यान भंग किया| “हमम? क्या?” अनुश्री भी अचानक नींद से जागी हो उस तरह शांतनु को देखने लगी| “मेरे घर जायें?” शांतनु ने फ़िरसे पूछा| “हममम... लगता है और कोई रास्ता भी नहीं, पर मुझे मम्मा को बताना होगा|” अनुश्री की आँखे भीगी हुई थी, उसे अभी भी अपने घर ही जाना था वो उसके चेहरे से स्पष्ट दिखाई दे रहा था