वो वाला व्हाट्सएप ग्रुप

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फोन की टिंग-टिंग-टुंग-टुंग की आवाज़ बराबर अंदेशा देती रहती थी कि न जाने मेरे कितने ग्रुपों में मेसज पॉप अप हो रहा है। कई ग्रुप तो साइलेंट पर किए हुए हैं। फिर भी कुछेक दोस्त हैं जिन्हें मैं हरगिज़ साइलेंट नहीं कर सकती। अव्वल तो ऑफिस और घर के इम्पोर्टेंट मेसज आते रहते हैं और दूसरे, कुछ दोस्त बड़े भावुक किस्म के हैं, उन्हें तुरंत रिप्लाई नहीं मिला तो जाने क्या-क्या सोच जाते हैं। ऐसे ही एक बार मैंने ऑफिस गाईस ग्रुप को साइलेंट कर दिया था। क्या करती उनकी चिल्ल-पों खतम ही नहीं हो रही थी। जैसे ही टी.वी.