झुक गया आसमान

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मेरे पिताजी अति अनुशासन प्रिय व्यक्ति रहें है। पेशे से शिक्षक है। स्कूल में भी बहुत अनुशासन प्रिय और योग्य शिक्षक के रूप में उनकी प्रसिद्धि थी।अब सेवनिर्वित्त हो चुके है। उनकी अनुशासन प्रियता घर में भी लागू होती थी।रोज सुबह 5 बजे उठकर हम सब बच्चे कसरत करते, प्रार्थना करते।शाम के 5 बजते हीं हम सब बच्चों को लालटेन के पास पढ़ाई के लिए बैठना होता था। मेरे पिताजी की नजरों में सिनेमा पढ़ाई लिखाई से बच्चों को भटकाता है। अतः किसी भी बच्चों को सिनेमाघर जाने की इजाजत नहीं थी। मुझे याद है होली के समय मेरे गाँव में हुड़दंग का माहौल