शांतनु लेखक: सिद्धार्थ छाया (मातृभारती पर प्रकाशित सबसे लोकप्रिय गुजराती उपन्यासों में से एक ‘शांतनु’ का हिन्दी रूपांतरण) नौ “केन आई कोल यु नाओ इफ़ यु आर नोट बिज़ी? कल का वेन्यु फ़िक्स करें?” अनुश्री का मैसेज आया और शांतनु का चहेरा मुस्कुराया “वेइट, अभी खाना खा रहा हूँ, थोड़ी देर बाद?” शांतनु ने जवाब तो दे दिया पर उससे ही ‘वेइट’ होने वाला नहीं था इस लिये उसने फटाफट खाना खा लिया और खड़े हो कर हाथ धो लिये ज्वलंतभाई को यह सब अच्छा नहीं लगा} “दिन में एक बार ही इसको शांति से खाना खाने को मिलता