डाकिया अब डाक नहीं लाता

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ई मेइल, फेसबुक और वाट्स अप का संसार कुछ ऐसा है जिसने हमे बहुआयामी व्यक्ति तो बना दिया है कुछ उसी प्रकार कुछ व्यापारी वर्ग और राजनीती वर्ग और नंगेपन का फैलाव करने वाला वर्ग जिसने हमारी भावनाओं को छलने का काम बखूबी निभाया है अपने मुनाफे के हेतु इन्हों ने समाज को तोड़ने का काम किया है एक हवा सी बहती है और धीरे धीरे सरे समाज में वह आग लगा देती है कभी कभी तो इस आग का प्रभाव इतना चरम सीमा तक बढ़ जाता है की कई कई दिनो तक इनकी सेवा को अव्रुद्ध्द किया जाता है तकनीक का उपयोग नहीं परन्तु दुरुपयोग बढ़ता ही जा