“फ़िर? आपको तो आने में अभी देर थी तो हमने आपसे पूछे बगैर ही आपके पार्किंगवा के बगलवाली जगह उन्हें दे दी और कहा की आज से यहीं पार्क करियेगा उनका नाम अनुस्री मैडम है, हमका उन्हों ने सौ रुपया भी दिया हम भी बोले दिये रहे की अब आपकी स्कूटी की जिम्मेवारी हमार है सांतनु बाबा आप को तो कोई हर्ज़ा नहीं है ना अगर इ स्कूटी आपकी बाइक के बगल में रहे तो? आप तो पूरा दिन बहार रहते हो, और इनका दिन तो छ बजे ही खत्म हो जाता है, और उ तो पूरा दिन ऑफ़िस में ही रहेगी, अगर आपको कोई तकलीफ़ होगी तो हम हैं ना? अड्जेस्ट कर लेंगे ” मातादीन ने एक ही साँस में बोल दिया