जीवन को सफल नही सार्थक बनाए

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आत्म कथ्य जीवन और हम जीवन में असफलताओं को करो स्वीकार मत होना निराश इससे होगा वास्तविकता का अहसास। असफलता को सफलता में परिवर्तित करने का करो प्रयास। समय कितना भी विपरीत हो मत डरना साहस और भाग्य पर रखना विश्वास, अपने पौरूष को कर जाग्रत धैर्य एवं साहस से करना प्रतीक्षा सफलता की पौरूष दर्पण है भाग्य है उसका प्रतिबिम्ब दोनो का समन्वय बनेगा सफलता का आधार। कठोर श्रम, दूर दृष्टि और पक्का इरादा कठिनाईयों को करेगा समाप्त होगा खुशियों के नए संसार का आगमन विपरीत परिस्थितियों का होगा निर्गमन पराजित होंगी कुरीतियाँ होगा