"एक जुनून देखा था मैंने हमेशा उनकी बातों में आँखों में, तिरंगे की शान के लिए मर मिटने का जुनून... और शायद उस दिन उसने अपने जुनून को पा लिया था या फिर जिस लक्ष्य के लिए उसने जन्म लिया था, उसे पूरा कर लिया था....।" अपनी बात कहते हुए अनायास ही मेरी नजरें, सफ़ेद बर्फ से ढकी चोटियों के बीच पूर्णिमा के चाँद की रौशनी में अलग से चमकती उस चोटी पर जा टिकी थी जहां अक्सर हम बातें किया करते थे। श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर चांदनी रात की बर्फीली हवाओं