वो 72 घंटे

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वे बहत्तर घण्टे गुजरात भीषण अकाल से पीड़ित था। हाहाकार मचा हुआ था। इन्सानों की जो दुर्दशा थी सो तो थी ही पशु-पक्षी और जानवर भी बेमौत मर रहे थे। फसलें सूख चुकी थीं। खेत दरक गये थे। इन्सानों के लिये अनाज की व्यवस्थाएं तो सरकार कर रही थी। सरकार के पास अनाज के भण्डार थे लेकिन जानवर विशेष रुप से गाय-भैंस आदि बेमौत मर रहे थे। कहीं भी चारा-भूसा दाना-पानी नहीं बचा था। इन्सानों को अपनी जान के लाले पड़े थे वे पशुओं के लिये चाहकर भी कुछ कर सकने में असमर्थ थे। केन्द्र सरकार ने गुजरात