जून-जुलाई २०१८ कविताएं

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विभिन्न संदर्भों की कविताएं हैं। जैसे- ओ, नदी मेरी ओर झांको अपने पुण्य सशक्त करने, मैं तुम्हें साफ रख रहा हूँ। ओ, वृक्ष मेरी ओर देखो, अपनी सांसों के लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए, मैं तुम्हें सींच रहा हूँ। ओ, धरती मेरी ओर देखो मैं तुम्हें प्यार कर रहा हूँ, अपनी जननी जान कर कि तुम युगों-युगों तक अच्छी बनी रहो। ओ, धरा दृष्टिगत रहो मैं प्रदूषण नहीं कर रहा तुम्हें अपना मानकर, समझकर।