उनकी इच्छा सौ साल जीने की थी। पिछले साल उनसे मिलने गया तो बोले अभी ग्यारह साल और हैं। इस बार खबर मिली कि बहुत बीमार हैं, बचने की कोई आशा नहीं है। सुनकर, जहाज का टिकट कराया और दिल्ली से रेल में तत्काल टिकट करने का अनुरोध किया। हल्द्वानी पहुंचा। वे आई सी यू में भर्ती थे। गुर्दे कमजोर हो चुके थे, फेफड़े भी रोगग्रस्त थे। लेकिन सबको पहिचान रहे थे। कुछ दिन अस्पताल में आना-जाना होता रहा। एक दिन विचार आया पहाड़ों में मन को भरमाया जाय। अस्पताल में लगता है सारी दुनिया बीमारियों से जूझ रही है। छोटा बैग तैयार किया, ई रिक्शा में बैठा। उतरते ही अल्मोड़ा जाने वाली टैक्सी का ड्राइवर मिला। बोला अल्मोड़ा की एक सीट खाली है, जाना है। मैं बिना गंतव्य के निकला था तो हाँ बोल दिया। और उससे कहा आगे की सीट चाहिए क्योंकि उम्र अधिक है,वरिष्ठ नागरिक हूँ। वह बोला आगे की सीट आपसे भी अधिक उम्र की महिला ने ले ली है। लगभग पचहत्तर साल की होगी। टैक्सी में बैठा तो देखा आगे की सीट पर बीस-बाईस साल की युवती बैठी है। मैं मन ही मन मुस्कराया लेकिन कुछ बोला नहीं।