Babuk ke kante

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बबूल के काँटे दादी के पान का पसारा देखकर बड़ी खुशी होती --- हम दौड़कर दादी के पास पहुँच जाते। हमें मालूम है कि बच्चों से घिरी दादी बड़े करीने से पान लगायेगी। धीरे धीरे --- चूना लगाकर, पान नाक तक उठाकर देखेगी कि ठीक से लगा है कि नहीं। फिर बच्चों को दिखायेगी। एक के बाद एक हम सब बच्चे देखेंगे, सिर हिला देंगे। कत्था भी इसी लहजे से लगेगा। सुपारी धीरे धीरे कटेगी। लो, अब पान मुँह में गया और हम हाथ बाँधकर सधकर बैठ गये। दादी अब किस्सा सुनायेगी। ‘‘ बच्चों .... ‘‘ तुमने स्वर्ग देखा