अप्रैल 2018 की कविताओं में जीवन की विभिन्न भावों को व्यक्त करती रचनाएं समाहित हैं। अब बच्चों को मासिक परीक्षा देनी है, सरकार एकदम सामने है, छोटा राज्य है इसलिए शिक्षा पर मार अधिक है। पहले छमाही और वार्षिक परीक्षा होती थी खूब खेलते थे, अपनी भाषा में पढ़ते थे, खेतों में काम किया करते थे माँ-बाप का हाथ बँटाते थे आखिर, हाथ का काम, पेट का काम है। चूहा दौड़ तब कम थी पशुधन पर भी ममता थी, झोले हल्के होते थे पर मन को भरे रहते थे। वोट की बात है, राष्ट्र चूल्हे पर है अंग्रेज और अंग्रेजी की कोई लड़ाई नहीं है। अब झोले से कबीर नहीं निकलेगा भारत से भारतवर्ष नहीं चमकेगा, मेरा देश छोटा है, अतः अपनी भाषा से डरता है।