सुबह गोरा कुछ काम कर रहा था। अचानक विनय ने आकर छूटते ही कहा, 'उस दिन परेशबाबू की लड़कियों को मैं सर्कस दिखाने ले गया था।' लिखते-लिखते गोरा ने कहा, 'मैंने सुना?' गोरा, 'अविनाश से। उस दिन वह भी सर्कस देखने गया था।' आगे कुछ न कहकर गोरा फिर लिखने में जुट गया। गोरा ने यह बात पहले ही सुन ली है और वह भी अविनाश से, जिसने नमक-मिर्च लगाकर कहने में कोई कसर नहीं रखी होगी विनय को इस बात से अपने पुराने संस्कार के कारण बड़ा संकोच हुआ। सर्कस जाने की बात की समाज में ऐसी आम चर्चा न हुई होती तभी अच्छा होता!