वैसे तो रमेश को भी संदेह हो गया था कि भैरव ने उसके साथ धोखा किया है, और दूसरे दिन गोपाल सरकार ने शहर से लौट कर इस बात की पुष्टि भी कर दी कि भैरव ने अपने को अदालत में न हाजिर करके हमारे साथ दगा की है, और मुकदमा खारिज हो गया है। उसने जो कुछ रुपए जमा किए थे, वे सब वेणी के हाथ लगे। सुनते ही रमेश ऊपर से नीचे तक आग-बबूला हो उठा। रमेश ने भैरव को जाल से बचाने के लिए ही रुपए जमा किए थे, लेकिन उसने कृतघ्नता की हद कर दी! कल के अन्नप्राशन में निमंत्रित न किए जाने और आज की इस कृतघ्नता ने उनके समस्त तंतुओं को गुस्से से झनझना दिया। जिस अवस्था में वह बैठा था वैसे ही उठ कर बाहर जाने लगा। उसकी आँखों से रक्त बरस रहा था। गोपाल सरकार ने उनकी लाल आँखों को देख कर, डरते हुए धीरे से पूछा - 'कहीं जा रहे हैं क्या आप?'