देहाती समाज - 8

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'ताई जी!' 'रमेश बेटा! चले आओ भीतर!' विश्‍वेश्‍वरी ने झटपट, उसके बैठने को एक चटाई बिछा दी। अंदर पैर रखते ही, वहीं पर बैठी एक दूसरी स्त्री पर उसकी नजर पड़ी, जिसके मुँह पर नजर पड़ते ही वह समझ गया कि वह रमा है! उसे देख कर वह चकित रहा गया। तुरंत ही मौसी द्वारा ताई जी के अपमान की बात याद आते ही, गुस्से से भर उठा वह।