गर्काबा करेंगे प्यारे से प्यार अपने, किसी के बाबा का डर नहीं है। पिएँगे मय मस्जिदों में जा कर किसी की खाला का घर नहीं है! एक खुशनुमा बाग में ठीक दोपहर के वक्त एक रईस बैठे हुए बड़े शौक और जौक के साथ शराब का शगल कर रहे थे। शीशे के कई गिरास करीने के साथ चुने हुए थे, और बोतलें तालाब में पैर रही थीं। और थोड़ी दूर पर कई बावर्ची हर तरह के कबाब पका रहे थे और हजूर रईस ठाठ के साथ बैठे हुए मजे-मजे से खा रहे थे।