कलवारीखाना और काना पहला सीन इधर बमचख, उधर जूती, इधर पैजार, उधर दंगा! बही कलवारखाने में है कैसी उलटी यह गंगा!! बोतलवाले और बोतलवाली चमक्को को कुठरिया में पड़े रहने दीजिए, वह जानें, उनका काम। अब मियाँ हुश्शू साहब का हाल सुनिए कि बोतलवाले की बोतलें तोड़, झौआ औंधा करके जो सीधी भरी तो एक कलवारीखाने में पहुँचे। कलवार साहब बड़े तोंदल डबल आदमी - लाला दरगाही लाल - दुकान के राजा बने हुए बैठे थे। मियाँ हुश्शू भी धँस ही तो पड़े। भलेमानस अमीर देख कर उसने मोंढा दिया, कपड़े भी अच्छे पहले थे।