आजकल का माहौल ऐसा है कि लोगों की रूचि राजनीतिक पार्टियों में धीरे-धीरे कम होती जा रही है. इस व्यंग्य के माध्यम से मैंने एक ऐसे ही चिंतित परेशान आदमी के माध्यम इस स्थिति पर कटाक्ष किया है. मेरा यह व्यंग्य आपको वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक स्थितियों से बखूबी रूबरू कराएगा.