Sab Kuchh Chachachak hai

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यह व्यंग्य भारतीय राजनीति के बड़बोलेपन की पोल खोलती है। हमारे नेता चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद बढ़-चढ़कर दावे करते हैं, रामराज्य ला देने के सपने दिखाते हैं, तो इन्हीं बड़बोले नेताओं की पोल खोलता है यह व्यंग्य 'सब कुछ चकाचक है, भइया!'