राजा महिषासुर

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फारवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक प्रमोद रंजन द्वारा संपादित पुस्तिका ‘किसकी पूजा कर रहे हैं बहुजन‘ को 17 अक्टूबर, 2013 को दिल्ली के दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में आयोजित ‘राजा महिषासुर शहादत दिवस‘ पर जारी किया गया था. उसी पुस्तिका का दूसरा संस्‍करण कुछ नये लेखों के साथ ‘महिषासुर‘ शीर्षक से अक्‍टूबर, 2014 में प्रकाशित किया गया था। यहां ई-बुक के रूप में उपलब्‍ध यह पुस्तिका का वही दूसरा संस्‍करण है। इसमें में झारखंड के पूर्व मुख्‍यमंत्री शिबू सोरेन, लेखक प्रेमकुमार मणि, अश्विनी कुमार पंकज, चंद्रभूषण सिंह यादव, विनोद कुमार, इंडिया टुडे (हिंदी) के पूर्व प्रबंध संपादक दिलीप मंडल, पत्रकार संजीव चंदन, समर अनार्य समेत कई लेखकों, पत्रकारों व शोधार्थियों के लेख हैं. पुस्तिका में राजा महिषासुर को आदिवासियों, अन्‍य पिछडा वर्गों तथा दलित तबकों का नायक बताया गया है। उत्‍तर भारत में इन तबकों के बीच ‘राजा महिषासुर‘ के नाम से एक आंदोलन भी चल रहा है, जिसके तहत इन तबकों के लोग दुर्गा पूजा को हत्‍याओं जश्‍न करार देत हुए इसका विरोध करते हैं तथा शरद पूर्णिमा (आश्विन पूर्णिमा) को राजा महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन करते हैं। माना जाता है राजा महिषासुर की हत्‍या के बाद शरद पूर्णिमा के दिन ही उनके अनुयायियों ने शोक सभा आयोजित कर अपनी संस्‍कृति को जीवित रखने व अपनी खोई हुई संपदा को वापस लेने का संकल्‍प प्रकट किया था।