बड़ा लुत्फ़ था जब कुंवारे थे...

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कुंवारेपन की तो बात ही कुछ और है। कितना मजा आता था! न कोई बंदिश, न कोई झंझट, न बीवी की चिखचिख, न मियां जी के मोजे खोजने की कवायद। यह व्यंग्य एक मियां-बीवी के अतीत का झरोखा है। दोनों अपने-अपने अतीत में झांकते हैं और पाते हैं कि बड़ा लुत्फ था जब कुंवारे थे हम-तुम। तो आप भी यह लुत्फ उठाइए। डाउनलोड कीजिए यह व्यंग्य और खो जाइए अपने कुंवारेपन के दिनों की यादों में।