मनोरंजन का फुल टू इंतज़ाम

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आज के समय में चुनाव, चाहे वह देश का हो या प्रदेशों का, जिस तरह से मुद्दा विहीन होता जा रहा है, वह एक चिंतनीय विषय है. मेरा यह व्यंग्य इस पर एक जोरदार तंज़ कसता है. और आपको बतलाने का प्रयास करता है कि चुनाव सिर्फ एक त्यौहार या मनोरंजन का साधन नहीं, देश के लोकतंत्र को मजबूत करके उसे विकास के पथ पर ले जाने का एक ज़रूरी माध्यम भी है.