मेरा यह व्यंग्य उन लोगों की मानसिकता पर कटाक्ष करता है, जो यह सोचते हैं कि देश की सरकार को वही करना चाहिए जो कि वे चाहते हैं. प्रधानमंत्री को भी वही बोलना और वही करना चाहिए जो कि उनकी इच्छा है. इसक व्यंग्य को पढ़ते हुए आपको आनंद के साथ-साथ सोचने और समझने के लिए भी बहुत कुछ मिलेगा.