यह एक ऐसी अनूठी व्यंग्य रचना है, जिसे लोक कथा की शैली में लिखा गया है. इसमें मैंने यह दर्शाने का काम किया है कि अगर कोई शिक्षा व्यवहारिक नहीं होती, तो वह किसी भी काम की नहीं होती है.