ऐसे निरीह , पीड़ित लोगो को अस्पतालों में इधर-उधर रिरियाते दुत्कारे जाते देख न जाने क्यों भीतर एक टीस सी उठती है .....जो लोग कभी अपनी जिंदगी को गंभीरता से ले पाने की स्थिति में नहीं होते ...न वे खुद को हेल्थ इंश्योरेंस प्लान से लैस कर पाते और न ही भारी भरकम पेंशन प्लान से