लिफाफा

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लिफाफा: अच्छी खासी ठंड है।शब्द उड़ते पंछी की तरह आ रहे हैं। इतने में सुधांशु आकर मेरे बगल में बैठ जाता है। कहता है क्या लिख रहे हो मैं उसे कागज थमा देता ।उसके हाथ में तीन लिफाफे हैं। एक लिफाफे में कुछ कहानियां हैं। दूसरे लिफाफे में एक कैंसर मरीज की आपबीती है और तीसरा लिफाफा रहस्यमय है। वह तीसरे लिफाफे को अपने घर में रख देता है। जब उसके घर में संपन्नता आ जाती है तो एक दिन वह उस लिफाफे को पड़ोसी के घर में रख आता है। धीरे-धीरे पड़ोसी भी संपन्न हो जाता है। लिफाफा धीरे-धीरे सबके घर में होता,सबको संपन्नता प्रदान करता चर्चा का विषय बन जाता है। फिर एक व्यक्ति उसे पहाड़ी शहर में ले आता है। देखते-देखते शहर संपन्न और सुनहरा हो जाता है। लिफाफे की बातें दूर-दूर तक होने लगती हैं। एक दिन छीनाझपटी में लिफाफा फट जाता है और उसकी रहस्यमयी शक्तियां लुप्त हो जाती हैं।