क्षितिज के उस पार से

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क्षितिज के उस पार से मेधा के अनगिनत चेहरे होते हैं – चाहे वह विज्ञान में हो, गणित में हो, कला में हो अथवा साहित्य में हो। प्रतिभाशाली स्त्री-पुरुष विरले ही सीधा रास्ता तय करते हैं – उनकी जिंदगी जितना मुग्ध-आकर्षित करती हैं, अनोखी होती है,वैसे ही वे स्वयं भी होते हैं। यह पुस्तक हमारे समय के महान सफ़ल साहित्यकारों की नोबेल पुरस्कार तक की यात्रा पर दृष्टि डालती है। बहुत आकर्षक, रोचक और विविधता भरा है नोबेल पुरस्कृत साहित्यकारों का जीवन : बनना चाहता था जादूगर, बन गया शब्दों का जादूगर। लालन-पालन मिश्रित संस्कृति में हुआ, साहित्य में विभिन्न संस्कृतियों का गान किया। छोटे शहर में रहने वाली कहानीकार पहुँचीनोबेल पुरस्कार तक। एक नोबेल विजेता विश्वास करता है कि भविष्य के लेखक साहित्य की रक्षा करेंगे। वह बचपन से आवाजों से घिरी रही और अब आवाजों को इकट्ठा करने का काम करती है। एक नाटककार ने सत्ताधारियों को खरी-खरी सुनाई। नारीवादी लेखन के साथ-साथ उसने रची विज्ञान फ़ंतासी। इतिहास की पुस्तक में ‘हाँ’ को ‘न’ में बदल कर सारा इतिहास उलट दिया। श्वेत साहित्यकार ने अश्वेतों पर चलाईकलम। गुलाम जीवन का लोमहर्षक चित्रण कर नोबेल के मंच पर पहुँची। नगाड़े की चोट से दुनिया को हिलाने वाले साहित्यकार को नोबेल ने कियासम्मानित। ऑश्वित्जके अनुभवों को शब्दों में गूँथने वाले को पाठकों ने बैठायासिर-माथे पर।