अपनी तो ये आदत है

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हमारी जुबान को एक धमकी में कोई भी, किसी भी वक्त बंद करवा सकता था एक बार बंद हो जाने के बाद हमारी जुबान ,बंद करने वाले ‘आका’ की हो जाती थी आका जब तक न चाहे नही खुलती थी सैकड़ो राज को दफन करके रखने का उस जमाने जैसा प्रचलित ‘आर्ट.’ आज के लोगों को आता कहाँ है ये वो जमाना था कि किसी को जुबान दे दी का मतलब, मरते दम तक किसी से कुछ नहीं कहेंगे, टाइप का होता था