ब्‍लू व्‍हेल

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मॉं... मॉं... मुझे बचा लों… यह मछली मुझे निगल जाएगी… मॉंSSS...। मयंक समुद्र के पानी में हाथ-पॉंव मारता हुआ किनारे की तरफ तैरता हुआ अपनी मॉं को पुकार रहा था। मेनका किनारे पर बेबस खड़ी जोर-जोर से चिल्‍लाते हुए मयंक की तर‍फ आगे बढ़ी “कोई मेरे बच्‍चे को बचाओsss… कोई मदद करोsss… प्‍लीज सेव हिम…!’’ एक बड़ी सी व्‍हेल मछली मयंक की तरफ आगे बढ़ रही थी। दैत्‍याकार ब्‍लू व्‍हेल मछली जैसे-जैसे मयंक के नज़दीक आ रही थी, उसका आकार और बड़ा होता जा रहा था। इतना बड़ा कि छोटी नावें तो उसके सामने खिलोनों की तरह नज़र आ रही थीं। मयंक तेजी से तैरता हुआ लगभग किनारे तक पहुँच चुका था। मेनका उथले पानी में संघर्ष करती हुई अपने बच्‍चे को बचाने लिए जद्दोजहद कर रही थी। मयंक ने पानी में अपनी मॉं को कस कर पकड़ लिया किंतु ब्‍लू व्‍हेल उसको निगलने के लिए जैसे आमादा थी। भयंकर बदबूदार दैत्‍य जैसी ब्‍लू व्‍हेल। जैसे-जैसे ब्‍लू व्‍हेल पास आई, पानी की लहरों में हलचल इतनी तेज हो गई जैसे सुनामी आ रही हो, मौत की सुनामी। भूखी ब्‍लू व्‍हेल मयंक को निगलने के लिए झपटी .....।