यूँ, सुनने में बहुत अच्छा लगता है ,बाबूजी ,ये अपना मकान है न ,जर्जर ,खंडहर सा हो रहा है ,इस इलाके में अभी कीमत अच्छी मिल रही है हो सकता है कल मेट्रो या सड़क चौडीकरण में अपना मकान फंस जाए , फिर तो इसके औने-पौने दाम ही मिलेंगे क्यूँ न इसे फटाफट निकालकर, सिविल लैंन की तरफ, फ्लेट ले लिया जाए ,यही आज के समय की अक्लमंदी हैं वे आपको ,’कन्फयुज्ड’ करके रख देंगे कहाँ आप बाड़े-नुमा, हवेली माफिक मकान के स्वामी, और कहाँ ‘थ्री बी एच के’ का दंदकता, कुंद सा मुर्गी खाना ....