समुद्र की रेत

  • 13.2k
  • 1.9k

यह कहानी सुब्रमणियन उर्फ़ मणि की है जिनका दफ़्तर में आज आख़िरी दिन है। वे आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं। पिछले आठ साल से इस दफ़्तर में रहते हुए उन्होंने हर सहकर्मी के बारे मेंं अपनी एक धारणा कायम कर ली थी। परंतु जैसे-जैसे उनका विदाई कार्यक्रम आगे बढ़ता जाता है, उनकी धारणाएं टूटने लगती हैं।