धर्मो रक्षति रक्षितः

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“धर्मो रक्षति रक्षितः” अर्थात :- ( तुम धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा ) धर्म ही इस चराचर जगत एवं सम्पूर्ण जीवों के जीवन का मूल है धर्म के बिना न इस सृष्टि की कल्पना की जा सकती है और न ही मानव जीवन की धर्म के बिना ये विश्व श्रीहीन हो जायेगा जिसमें न किसी प्राणशक्ति का वास होगा न किन्हीं पुण्यविचारों का आशा करते हेकी आपको हमारा यह प्रयास पसंद आयेगा :-)