अनेक नेता तो जैसे ,‘हाईबरनेशन पीरियड’ से आँख मलते हुए बाहर निकलते हैं एक क्विक निगाह चारो तरफ डालते हैं जरूरी ‘मदों’ के बारे में अपनी जानकारी फटाफट अपडेट करते हैं ,मसलन प्याज के भाव क्या हैं अभी ये मुद्दा बनने लायक है या नहीं जमीन माफिया का रुख किधर हैं किसको सपोर्ट कर रहे हैं जंगल के ठेके कब बदले शराब वाले कहीं ज्यादा ‘धुत्त’ तो नहीं चंदा देने वालों के हालचाल कैसे हैं वे कमा के मोटे हुए या नहीं भ्रष्टाचार का पौधा सुख तो नहीं गया महगाई पर कोई नया गाना, फ़िल्म वालों ने बनाया क्या तमाम आकलन करने वालो का रिसर्च विंग काम करने लग जाता है कुछ कुम्भकरणीय नीद से, जागने के लिए एक –दो ड्रम चाय ,काफी, रम-बीयर की डकार लेते हैं