पराभव मधुदीप भाग - छह पास के गाँव में प्रतिवर्ष चैत्र की अष्टमी को देवी का मेला लगता था | तीन-चार दिन पूर्व से ही मेले की तैयारियाँ प्रारम्भ हो जाती थीं | गाँव के लोगों के लिए यह मेला पशुओं के क्रय-विक्रय का भी अच्छा केन्द्र था | श्रद्धालु लोग नवरात्रों में प्रतिदिन ही देवी के दर्शन करने वहाँ पहुँचते थे और अष्टमी के दिन तो उस गाँव में चारों ओर आदमियों की भीड़ ही भीड़ दिखाई देती थी | प्रतिवर्ष की भाँती इस वर्ष भी मेले की तैयारियाँ प्रारम्भ हो गई थीं | दो दिन से लगातार श्रद्धालु