दस व्यंग्य कथाएँ

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‘गर्मी’ चुनाव में वोटर कोट और पैसे की गर्मी चाहता है व्यवस्था ने वोटर को भ्रष्ट कर दिया है. “दौरा” एस पी साहब का दौरा थानेदार को कितना महंगा-सस्ता पडा !जानने के लिये यह कथा अवश्य पढ़िए . ‘लाइसेंस’ शराब निरोधक समिति से ही शराब निकालने का लाइसेंस मांग लेता है .इस निजाम में ‘दाल-रोटी’ का जुगाड करने के लिये क्या कुत्ता बनना जरुरी है ‘अवसरवादी’ इस राजनैतिक व्यवस्था में अवसरवादियों की मौज है.जानता की भलाई के नाम क्या क्या नहीं करते . ‘फैसला’ कहानी न्याय व्यवस्था को निशाने पर लेती है . ‘तुम्हारे लिए’ उचित ही है कि तुम गोली कांडों का जबाब प्रदर्शन और हड़ताल से दो .लोकतंत्र तुमसे यही अपेक्षा रखता है और वह अपनी दरांतियों को तेज करने लगा . दबाब बनाकर कैसे सता हासिल की जाती है जानने के लिये पढ़िए ‘दबाब’. राजनीति में ‘विरोधी’ कौन है इसकी व्याख्या करती है यह कथा . ‘न्याय होगा’ जरा पुलिस के न्याय का भी नमूना देख लीजिए .व्यस्थाएं कितनी संवेदन हीन हो गई है ! दूसरे के दर्द में सहानुभूति तो छोडिये केवल अपना स्वार्थ साधते हैं