मैं नाराज़ हूँ उस ख़ुदा से जो ये दुनिया बना के भूल गया है जो कहीं खो गया है या शायद सो गया है या जिसकी आँखें फूट गई हैं जिसे कुछ दिखाई नहीं देता कि उसकी बनाई हुई इस दुनिया में क्या क्या हो रहा है