हास्य कथाएं कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Comedy stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cul...Read More


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  • अथ मोबाइल कथा

    अथ मोबाइल कथा धूलिया चादर ओढ़े हुए, घुटनों चलते इस कस्बे का उतावलापन गजब है। ये छ...

  • मुर्गा

    "कूकडू --कू--------?सरदार तारासिंह यात्रियों के टिकट चेक कर रहा था,तभी उसे मुर...

  • चम्पा का मोबाइल

    चम्पा का मोबाइल “एवज़ी ले आयी हूँ, आंटी जी,” चम्पा को हमारे घर पर हमारी काम वाली,...

अथ मोबाइल कथा By Dr Lakshmi Sharma

अथ मोबाइल कथा धूलिया चादर ओढ़े हुए, घुटनों चलते इस कस्बे का उतावलापन गजब है। ये छोटा सा बस-स्टेण्ड, यही इस का मैन बाजार भी है और इसी के सीने से ठस-ठुंस कर आगे के मझोले शहरों की सड़क...

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हास्य By Yasho Vardhan Ojha

(भाषागत अशुद्धियां कालांतर में रूढ़ हो कर स्थान-विशेष की बोली में घुल-मिल जाती हैं। फिर ये वहां की पहचान बन जाती हैं और कभी कभी हास्य भी उत्पन्न करती हैं। इसी विषय पर एक रचना प्रस्...

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दो बाल्टी पानी - 11 By Sarvesh Saxena

पिंकी धीरे से नीचे उतर कर आती है तो सुनील आवाज को दबाते हुए मुंह पर हाथ रख कर बोला - "अरे यार क्या करती हो कितनी देर से हम मुर्गे की तरह एक टांग पर खड़े हैं और तो और तुम्हारी अम्मा...

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मुर्गा By Kishanlal Sharma

"कूकडू --कू--------?सरदार तारासिंह यात्रियों के टिकट चेक कर रहा था,तभी उसे मुर्गे कीआवाज सुनाई पडी। आवाज सुनकर तारासिंह समझ गया, कोई यात्री मुर्गा साथ लेकर ट्रेन मे सफर क...

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लोक डाउन के साइड इफेक्ट्स By paresh barai

समीर : ए मीरा, चाय ला... अदरक डाल के लाना... मीरा : चाय नहीं बनेगी... भूल जाओ | समीर : क्यूँ ? चीनी, पत्ती और दूध की थैली तो है ! पप्पू : छन्नी... टूट गई है | अब चाय हमारे बेटे प...

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चम्पा का मोबाइल By Deepak sharma

चम्पा का मोबाइल “एवज़ी ले आयी हूँ, आंटी जी,” चम्पा को हमारे घर पर हमारी काम वाली, कमला, लायी थी| गर्भावस्था के अपने उस चरण पर कमला के लिए झाड़ू-पोंछा सम्भालना मुश्किल हो रहा था| चम्प...

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सवाल लहराती बलखाती डेढ़ सयानी मूँछ का By राजीव तनेजा

सवाल लहराती…बलखाती ढेढ सयानी मूंछ का आज घड़ी-घड़ी रह-रह कर मेरे दिल में ये अजब-गजब सा सवाल उमड़ रहा है कि जो भी हुआ..जैसा भी हुआ...क्या वो सही हुआ? अगर सही नहीं हुआ तो फिर सही क्यों...

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ऊँट की पीठ By Deepak sharma

ऊँट की पीठ “रकम लाए?” बस्तीपुर के अपने रेलवे क्वार्टर का दरवाज़ा जीजा खोलते हैं. रकम, मतलब, साठ हज़ार रुपए..... जो वे अनेक बार बाबूजी के मोबाइल पर अपने एस.एम.एस. से माँगे रहे..... बा...

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जो घर फूंके अपना - 15 - सरकारी ठाठ बाट की बात ही कुछ और है. By Arunendra Nath Verma

जो घर फूंके अपना 15 सरकारी ठाठ बाट की बात ही कुछ और है. "और फिर इलाहाबाद जाकर लड़की देखने की तय्यारियाँ शुरू हो गईं. ” कायदे से तो मेरी कहानी की पिछाड़ी को देखते हुए उसकी अगाडी यही...

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रंगीली चुड़ैल By paresh barai

एक समय की बात है | एक छोटे से गाँव में हरिलाल नाम का नौजवान रहता था | वह पढने में काफी ख़राब था और संस्कार से बहुत हलकट और पक्का रिश्वतखोर था | पिता की शाख की वजह से उसे रेलवे में न...

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Corona House By Raaj

31 दिसम्बर ,2020 ये साल का आखरी दिन था । इन 365 दिनों में दुनिया पूरी तरह से बदल चुकी थी । खास करके इंसान , अब वो पहले जैसा नही था । क...

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काम हो गया है..मार दो हथौड़ा By राजीव तनेजा

काम हो गया है ...मार दो हथोड़ा "हैलो!…इज़ इट... 91 8076109496?”... "जी!..कहिये"... "सैटिंगानन्द महराज जी है?"… "हाँ जी!...बोल रहा हूँ..आप कौन?" "जी!…मैं..राजीव बोल रहा हूँ"… "कहाँ से...

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व्यथा कथा By राजीव तनेजा

जब व्यथा की अति हो जाती है तो शब्द खुदबखुद लोप हो जाते हैं। आप अचंभित, शॉकड हो जायज़ एवं सार्थक शब्दों को ढूँढने..तलाशने की कवायद में निशब्द हो खड़े के खड़े रह जाते हैं। ज़रूरत के वक्त...

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हाय रे विज्ञापन ! By Dr Narendra Shukl

मैं श्री कृष्ण का शुद्ध भक्त हूँ । प्रतिदिन सुबह - सुबह मंदिर अवश्य जाता हूँ । मंदिर जाने से दिल और दिमाग दोनों पवित्र हो जाते हैं । बीते दिन के पाप धुल जाते हैं । तन और मन पुनः ‘...

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बीवी संग न खेलो होली By Dr Narendra Shukl

आज मेरे मित्र राधेश्याम , सुबह से ही भांग छान आये थे । आते ही बमके - बीवी संग न खेलो होली । मैंने कहा - भैया जरा धीमे । क्यों त्योहार के दिन खुशहाल घर में मोहरम मनवाना चाहते हो...

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काश होते बारह बच्चे By Krishna manu

जिस गति से आबादी बढ़ रही है, खेती योग्य जमीन सिमटती जा रही है, मशीनी युग में जब सारा काम ऑटोमेटिक होगा। आदमी की जगह रोबोट ले लेगा। मैन पावर की जरूरत नहीं रहेगी तब निश्चित जानिए देश...

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सत्य की खोज़ में महात्मा गांधी By Dr Narendra Shukl

गांधी जी के जन्म दिवस पर स्वर्ग में टी - पार्टी चल रही थी । गांधी जी एक ओर स्वयं निर्मित चटाई पर बैठे सूत कात रहे थे । उनके दायीं ओर , गरम दल व बायीं ओर नरम दल के चुनिंदा नेता बै...

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काठ का उल्लू By Vinita Shukla

गनेसीलाल एकटक, बैठक में रखी, उलूक- प्रतिमा को देख रहे हैं. उनका बड़ा बेटा मोहित, इसे किसी मेले से ले आया था. कहता था- “पिताजी क्या नक्काशी है...दूर से देखो तो साक्षात् उलूक का भ्रम...

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आओ प्रजातंत्र - प्रजातंत्र खेलें । By Dr Narendra Shukl

विवेक नगर के राजा मंदबुद्धि सिंह को अपने अंतिम दिनों में परमार्थ की सूझी । उन्होने महामंत्री नैन ज्योति सिंह को बुला कर कहा - महामंत्री नैन ज्योति सिंह , हम सोच रहे हैं कि अपने यह...

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व्हेन कंस मैट रावण आफ्टर पुतला दहन By सिद्धार्थ शुक्ला

#व्हेन_कंस_मैट_रावण_आफ्टर_पुतला_दहनअपने जले हुए कपड़े समेटते हुए लंकेश रात के अंधेरे में उस वन से गुज़र रहे थे कि तभी एक अट्टहास वातावरण में गूंज उठा और आवाज़ आयी - "क्या हुआ दशानन प्...

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दीवाली सेल है भाई .... ! By Dr Narendra Shukl

शनिवार को श्रीमती जी द्वारा लगातार अनुरोध करने व रात डिनर न मिलने के भय को देखते हुये मैं उनके साथ दीवाली की बाज़ारी रौनक देखने के लिये चल पड़ा । बाज़ार में हर तरफ दुकानें पूरी तरह से...

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गुनहगार. By Dr. Dilbag Singh Virk

गुनहगार “नहीं, नहीं ! मैंने कुछ नहीं किया|” “कुछ नहीं किया? अरे, तूने तो सरेआम कत्ल किया है नैतिकता का| ” “लेकिन वो मेरी मजबूरी थी|” “मजबूरी? कैसी मजबूरी?” “वहाँ नैतिकता का पालन कर...

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कामवाली बनाम घरवाली - (व्यंग्य) By Shobhana Shyam

एक होती है घरवाली ,एक होती है बाहर वाली लेकिन इनके बीच एक होती है काम वाली | ऐसा कहने का मतलब यह कदापि नहीं है कि घरवाली काम नहीं करती या बाहर वाली काम की नहीं होती |एक आर्किटेक्ट...

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प्याजी दर्द एक हकीकत By Avinash R

प्याजी फ्लेवर, प्याजी रंग, प्याजी हिट, प्याजी गोल, प्याजी अदाएं, प्याजी वफाएं, प्याजी दर्द, प्याजी....... वगैरह वगैरह......???????? क्या सोच रहे हैं? कहीं आप ये तो नहीं सोच रहे हैं...

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वर्षा बुलाने का मूल मंत्र By Dr Narendra Shukl

‘‘इधर उत्तरी क्षेत्र में वर्षा बिल्कुल नहीं हो रही । सूखे की आंशका बनी हुई है ।‘‘ . . . सामने भीड़ - भाड़ वाली सड़क पर देखता हूं कि एक अवारा भैंस , खबर वाले अखबार के पेज़ को eqa...

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एक प्याली चाय और शौकीलाल जी - भाग 3 By Krishna manu

बीवी का प्रस्ताव सुन शौकीलाल जी भीतर तक कांप उठे। हजार रुपए बड़ी मुश्किल से उन्होंने घर खर्चे में कटौती कर बचाये थे ताकि कई महीने पूर्व शर्मा जी से लिये कर्ज का भुगतान कर सकें किन्त...

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अथ मोबाइल कथा By Dr Lakshmi Sharma

अथ मोबाइल कथा धूलिया चादर ओढ़े हुए, घुटनों चलते इस कस्बे का उतावलापन गजब है। ये छोटा सा बस-स्टेण्ड, यही इस का मैन बाजार भी है और इसी के सीने से ठस-ठुंस कर आगे के मझोले शहरों की सड़क...

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हास्य By Yasho Vardhan Ojha

(भाषागत अशुद्धियां कालांतर में रूढ़ हो कर स्थान-विशेष की बोली में घुल-मिल जाती हैं। फिर ये वहां की पहचान बन जाती हैं और कभी कभी हास्य भी उत्पन्न करती हैं। इसी विषय पर एक रचना प्रस्...

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दो बाल्टी पानी - 11 By Sarvesh Saxena

पिंकी धीरे से नीचे उतर कर आती है तो सुनील आवाज को दबाते हुए मुंह पर हाथ रख कर बोला - "अरे यार क्या करती हो कितनी देर से हम मुर्गे की तरह एक टांग पर खड़े हैं और तो और तुम्हारी अम्मा...

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मुर्गा By Kishanlal Sharma

"कूकडू --कू--------?सरदार तारासिंह यात्रियों के टिकट चेक कर रहा था,तभी उसे मुर्गे कीआवाज सुनाई पडी। आवाज सुनकर तारासिंह समझ गया, कोई यात्री मुर्गा साथ लेकर ट्रेन मे सफर क...

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लोक डाउन के साइड इफेक्ट्स By paresh barai

समीर : ए मीरा, चाय ला... अदरक डाल के लाना... मीरा : चाय नहीं बनेगी... भूल जाओ | समीर : क्यूँ ? चीनी, पत्ती और दूध की थैली तो है ! पप्पू : छन्नी... टूट गई है | अब चाय हमारे बेटे प...

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चम्पा का मोबाइल By Deepak sharma

चम्पा का मोबाइल “एवज़ी ले आयी हूँ, आंटी जी,” चम्पा को हमारे घर पर हमारी काम वाली, कमला, लायी थी| गर्भावस्था के अपने उस चरण पर कमला के लिए झाड़ू-पोंछा सम्भालना मुश्किल हो रहा था| चम्प...

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सवाल लहराती बलखाती डेढ़ सयानी मूँछ का By राजीव तनेजा

सवाल लहराती…बलखाती ढेढ सयानी मूंछ का आज घड़ी-घड़ी रह-रह कर मेरे दिल में ये अजब-गजब सा सवाल उमड़ रहा है कि जो भी हुआ..जैसा भी हुआ...क्या वो सही हुआ? अगर सही नहीं हुआ तो फिर सही क्यों...

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ऊँट की पीठ By Deepak sharma

ऊँट की पीठ “रकम लाए?” बस्तीपुर के अपने रेलवे क्वार्टर का दरवाज़ा जीजा खोलते हैं. रकम, मतलब, साठ हज़ार रुपए..... जो वे अनेक बार बाबूजी के मोबाइल पर अपने एस.एम.एस. से माँगे रहे..... बा...

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जो घर फूंके अपना - 15 - सरकारी ठाठ बाट की बात ही कुछ और है. By Arunendra Nath Verma

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रंगीली चुड़ैल By paresh barai

एक समय की बात है | एक छोटे से गाँव में हरिलाल नाम का नौजवान रहता था | वह पढने में काफी ख़राब था और संस्कार से बहुत हलकट और पक्का रिश्वतखोर था | पिता की शाख की वजह से उसे रेलवे में न...

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Corona House By Raaj

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व्यथा कथा By राजीव तनेजा

जब व्यथा की अति हो जाती है तो शब्द खुदबखुद लोप हो जाते हैं। आप अचंभित, शॉकड हो जायज़ एवं सार्थक शब्दों को ढूँढने..तलाशने की कवायद में निशब्द हो खड़े के खड़े रह जाते हैं। ज़रूरत के वक्त...

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मैं श्री कृष्ण का शुद्ध भक्त हूँ । प्रतिदिन सुबह - सुबह मंदिर अवश्य जाता हूँ । मंदिर जाने से दिल और दिमाग दोनों पवित्र हो जाते हैं । बीते दिन के पाप धुल जाते हैं । तन और मन पुनः ‘...

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बीवी संग न खेलो होली By Dr Narendra Shukl

आज मेरे मित्र राधेश्याम , सुबह से ही भांग छान आये थे । आते ही बमके - बीवी संग न खेलो होली । मैंने कहा - भैया जरा धीमे । क्यों त्योहार के दिन खुशहाल घर में मोहरम मनवाना चाहते हो...

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काश होते बारह बच्चे By Krishna manu

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सत्य की खोज़ में महात्मा गांधी By Dr Narendra Shukl

गांधी जी के जन्म दिवस पर स्वर्ग में टी - पार्टी चल रही थी । गांधी जी एक ओर स्वयं निर्मित चटाई पर बैठे सूत कात रहे थे । उनके दायीं ओर , गरम दल व बायीं ओर नरम दल के चुनिंदा नेता बै...

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आओ प्रजातंत्र - प्रजातंत्र खेलें । By Dr Narendra Shukl

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व्हेन कंस मैट रावण आफ्टर पुतला दहन By सिद्धार्थ शुक्ला

#व्हेन_कंस_मैट_रावण_आफ्टर_पुतला_दहनअपने जले हुए कपड़े समेटते हुए लंकेश रात के अंधेरे में उस वन से गुज़र रहे थे कि तभी एक अट्टहास वातावरण में गूंज उठा और आवाज़ आयी - "क्या हुआ दशानन प्...

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दीवाली सेल है भाई .... ! By Dr Narendra Shukl

शनिवार को श्रीमती जी द्वारा लगातार अनुरोध करने व रात डिनर न मिलने के भय को देखते हुये मैं उनके साथ दीवाली की बाज़ारी रौनक देखने के लिये चल पड़ा । बाज़ार में हर तरफ दुकानें पूरी तरह से...

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गुनहगार. By Dr. Dilbag Singh Virk

गुनहगार “नहीं, नहीं ! मैंने कुछ नहीं किया|” “कुछ नहीं किया? अरे, तूने तो सरेआम कत्ल किया है नैतिकता का| ” “लेकिन वो मेरी मजबूरी थी|” “मजबूरी? कैसी मजबूरी?” “वहाँ नैतिकता का पालन कर...

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कामवाली बनाम घरवाली - (व्यंग्य) By Shobhana Shyam

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प्याजी दर्द एक हकीकत By Avinash R

प्याजी फ्लेवर, प्याजी रंग, प्याजी हिट, प्याजी गोल, प्याजी अदाएं, प्याजी वफाएं, प्याजी दर्द, प्याजी....... वगैरह वगैरह......???????? क्या सोच रहे हैं? कहीं आप ये तो नहीं सोच रहे हैं...

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वर्षा बुलाने का मूल मंत्र By Dr Narendra Shukl

‘‘इधर उत्तरी क्षेत्र में वर्षा बिल्कुल नहीं हो रही । सूखे की आंशका बनी हुई है ।‘‘ . . . सामने भीड़ - भाड़ वाली सड़क पर देखता हूं कि एक अवारा भैंस , खबर वाले अखबार के पेज़ को eqa...

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एक प्याली चाय और शौकीलाल जी - भाग 3 By Krishna manu

बीवी का प्रस्ताव सुन शौकीलाल जी भीतर तक कांप उठे। हजार रुपए बड़ी मुश्किल से उन्होंने घर खर्चे में कटौती कर बचाये थे ताकि कई महीने पूर्व शर्मा जी से लिये कर्ज का भुगतान कर सकें किन्त...

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