लघुकथा कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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दोस्ती - गलतफहमी का शिकार By Neha Awasthi

स्तुति और आन्या दो सहेलियां बारिश के मौसम में साथ बैठी मजे ले रही थी । टेबल पर कॉफी रखी हुई थी और आपस में बातें चल रही थी । दोनों की दोस्ती ज्यादा लंबी तो नहीं कुछ 2 साल की थी पर प...

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कलमकार हूँ  By AKANKSHA SRIVASTAVA

"मैं एक खुली किताब हूँ तुम जितना मुझे पढ़ोगे पन्नों की तरह तुम मुझमे सिमटते जाओगे हा मैं एक खुली किताब हूँ।" नमस्कार, मित्रों कैसे है आप। बस सोची बहुत दिन हो गया बातचीत हुए,किसी ने...

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पाती प्रेम की By Dr Jaya Anand

पाती प्रेम की मेरे प्रिय ! ' मेरे ' …..,कितना अच्छा लग रहा है मुझे कि किसी को मैं अपना कह कर बुला सकती हूँ । किसी पर मेरा पूर्ण अधिकार ..जिससे मैं खुल कर हर बात कह सकती हू...

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क्या ये प्यार था ? By Ashish Garg Raisahab

शशि गुप्ता , जी हां यही तो नाम था उसका , जिसका नाम सुनकर ही दिल मे कुछ कुछ होने लगता था ,कानों में संगीत बजने लगता था । जिसको देखकर दिल जे धड़कने की स्पीड 150 तक पहुंच जाती थी ,जिस...

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Exam वाला Love By Raman Verma

पहली परीक्षा कुछ नहीं आता । यही सही समय था खुद से साक्षात्कार का । अपनी कमियों के बारे में सोचने का और उन पर विजय पाने के बारे में भी सोचने का । Exam खत्म हो तो बस पढ़ना शुरू , सार...

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सफ़ेद गुलाब By S Sinha

कहानी -- सफ़ेद गुलाब मैं उन दिनों पटना में रहता था . मेरे घर की छत से मास्टर साहब की छत भी जुडी थी , बीच में बस चार फ़ीट की रेलिंग...

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ये सब लिखना ज़रूरी था क्या? By Gadhavi Prince

◆यहां बस कुछ लेेेख हे जो आपको अच्छे लगेेंगे!1. एक पुरानी बात।वह मेरी बचपन कि दोस्त थी, फीर हम बडें हो गया,मैं समज दार हो गया ,मुजे पता लग गया था कि पसंद आने ओर प्यारा लगने मे क्य...

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सच्चाई By Dharnee Variya

सुनो, आज मैं कौनसी साड़ी पहनू?? "कोई भी पहनो, तुम सबमें अच्छी ही लगोगी।" स्नेहल की ओर प्यारभरी नजर से मुस्कुराते हुए स्वराज ने कहा। लेकिन अपनी पुरानी तस्वीर पे नजर जाते ही आईने के स...

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ज़िन्दगी की धूप-छाँव - 12 By Harish Kumar Amit

ज़िन्दगी की धूप-छाँव हरीशं कुमार ’अमित' आइने का सच ‘‘बोर्ड के इम्तहान हैं न इस साल! पढ़ाई पर ध्यान दिया करो और इस मोबाइल से दूर रहा करो! समझ गए न!’’ बेटे को मैंने सख़्ती से ताकीद...

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यात्रा By स्वाती यादव

बात बहुत पुरानी नहीं है , बाते कभी पुरानी नहीं होती ही नहीं ।जब भी उन बातो को याद किया जाता है वो नई होती रहती है। बहोत खुशी और शांती थी आज विराट के पास ,घर से दूर पढ़ने जा रहा था...

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भूख (उसके हिस्से की) By Vinay Panwar

भूख*** आज पिताजी का श्राद्ध है, हर साल की तरह हम अनाथालय में भोजन प्रायोजित करना चाहते थे लेकिन शायद इस बार बुकिंग कराने में देर हो गयी थी और जो तारीख हम चाहते थे उस दिन...

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हलवा By Abhinav Singh

“तुम्हारे पास तो मेरे के लिये वक्त ही नहीं होता। घर पर होकर भी घर पर नहीं होते तुम। यहाँ आकर भी लैपटाप में खोये रहते हो। तुम्हें तो इसी से शादी करनी चाहिये थी।“ सुप्रिया ने सुबह सु...

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फैसला By अनुभूति अनिता पाठक

आज छः महीने की कैद के बाद सिया आख़िरकार घर आ गयी। अपनी बेटी को गले लगाकर खूब रोई, खूब प्यार किया और रो - रोकर अपने अंदर का सारा गुब़ार निकाल लिया। सास - ससूर ने भी अपनी खुशी प्रकट...

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एक अनोखा दिन By Vinayak Potdar

आज सुबह से ही मैं बड़ी अच्छे मूड में थी। चाहे आज देर से उठी और तैयार होकर ऑफिस निकलने के लिए देर होने वाली थी पर इससे मुझे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला था। आखिर महीने में एक दिन लेट...

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लिखी हुई इबारत - 5 By Jyotsana Kapil

9 - दंड गाड़ी से उतरकर , बहुत आत्म विश्वास के साथ धीरज ने अपना चेहरा मोबाइल की स्क्रीन में देखा। नोटों से भरे हुए सूटकेस को हल्के से थपथपाया।आज एक और तथाकथित...

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नींव की ईंट By राजेश ओझा

वह बूढ़ी औरत पसीने से तर-बतर थी..पर बूढ़ी हड्डियों में जोश और उत्साह देखते बनता था..सर पर तीन ईंटे तूली कपड़े में बांधे लिये चली जा रही थी..शरीर धूल धूसरित..पर चेहरे पर उत्साही चमक...

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सफेद रंग - भाग 2 By Namita Verma

मुन्नी जैसे तैसे होश को संभालते हुए घर पहुँची एक अदना सी उम्मीद लिए,कि शायद उसके बाबा उसके साथ ऐसा नहीं करेंगे, उसकी ये सारी शंकाऐ तो अब सिर्फ बाबा ही दूर कर सकते थे,(उम्मीदों को ल...

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कोरोना पॉजिटिव By RISHABH PANDEY

"चलिए लाइन से आइए, एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाए रखिये, तुम्हरा मास्क कहा है?? तुम्हे समझ नही आता क्या तब से एलाउंस किया जा रहा है कि बिना मास्क के कोई भी यहा नही आएगा" - मुन्नी ल...

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एक नदी की प्रेम कहानी By Sheetal

नदी का एक बहुत पुराना प्रेमी है गगन, दोनों एक दूसरे को सदियों से देखते चले आ रहे थे. दोनों ने कई हज़ार साल एक दूसरे को देखा, देखते देखते दोनों में प्यार हो गया. नदी ने कहा हम ज़रूर म...

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ऑनर किलिंग By Akassh Yadav Dev

"ज़िंदगी के खूबसूरत होने के मायने क्या हैं?""तुम्हारी आँखों मे एक टक देखते जाना!""भक...तुम्हे तो बस मौका चाहिए होता है!""लेह...गुस्साती काहे हो?""गुस्सा न करूं तो क्या तुम्हारी आरती...

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चिट्ठी आई है ! By Amit Singh

भले ही चिट्ठियों का आना-जाना अब बीते वक़्त की बात लगती हो, लेकिन इसे चाहने वाले आज भी कम नहीं हैं | अब भी हमारे मन के किसी कोने-अँतरे में यह चाह रहती है कि काश, मेरे नाम भी कोई चिट्...

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सुलझती गाँठे By Ratna Raidani

डॉक्टर मोहित एक मशहूर मनोरोग चिकित्सक थे जो रिटायरमेंट के बाद अपने गृहनगर कुन्नूर में अपनी सेवायें दे रहे थे। रोज की तरह आज भी जैसे ही उन्होंने क्लीनिक में प्रवेश किया, कुछ लोग पहल...

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प्रेमपत्र By Rama Sharma Manavi

आज तो स्मार्ट फोन का जमाना है।प्रेम हो ,नाराजगी हो,कुशल क्षेम पूछनी हो,आने जाने की सूचना देनी हो या समय बिताने के लिए गॉसिप करना हो,फोन मिलाया हो गई बात, बहुत हुआ तो वीडियो कॉ...

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सड़क By Mukta Priyadarshani

एक दिन फुर्स़त के समय मैं फेसबुक स्क्रॉल कर रही थी कि एक तस्वीर दिखी, वो तस्वीर मेरी एक दोस्त ने शेयर की थी और उसके ऊपर कैप्शन डला था - 'ब्यूटीफुल'। उस तस्वीर को देखते ही ख...

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जल्लाद By Dhruv Mavapuri

हाहाकार चारो तरफ विध्वंस , हर जगह खून ही खून ऐसा लग रहा था मानो आसमान से खून की बारिश हो रही है। अपनी आंखो से देखा हुआ ये नजारा कोई मरते दम तक नहीं भुला पाएगा।बात है भयंकर दिखने वा...

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अनोखी मित्रता - 6 By Payal Sakariya

हमने देखा था कि ( दिशा कहती है advise accepted ... ) अब आगे ....... दिशा आरुष के घर जाती है , आंटी आप से तो कट्टी कर लेनी है , वैसे तो आप कहते है , कि में आपकी बेटी से...

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Single Father By Anil Patel_Bunny

14 अगस्त, मुंबई।मुंबई के एक बंगले में रहते मिस्टर मेहता आज थोड़े से उदास थे। वैसे तो मौका ख़ुशी का था, पर उस ख़ुशी को सेलिब्रेट करने के लिए उनके साथ कोई नहीं था। मेहता जी एक C.A. थे,...

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चुनाव या चुनौती By Ratna Raidani

"लीजिये सर, मिठाई" आलोक ने डब्बा आगे बढ़ाते हुए कहा। आज वो ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था।"अरे वाह आलोक, क्या बात है? आज सुबह सुबह मिठायी?" आलोक के बॉस शिरीष सर ने एक टुकड़ा उठाते हुए...

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पान वाले चाचा By Roushan kumar

पान वाले चाचाआज दीपक फिर से अपनी बचपन की सबसे सुखद पल जहाँ बिता था उसी शहर के लिए निकल पड़ा था, कुछ पुरानी बातों में डूबने,उसे फिर से महशुस करने और सबस...

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बिल्कुल सही वसीयत By S Sinha

कहानी - बिल्कुल सही वसीयत ¨ जीवन के अंतिम पड़ाव में आ कर इतना कष्ट भोगना होगा , ऐसा कभी सोचा भी न था मैंने . ¨ शांति द...

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तेरी आंखों के दरिया का..... By Anand Raj Singh

कुछ बातें हम दिल के किसी कोने में छूपा देते हैं,और इतने गहरे से बांधते हैं कि वो दोबारा हमें ही नहीं मिलते।बस कभी किसी मोड़ पर अचानक वो सामने आ जाता है,और आँख खुली रह जाती है,और हम...

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रिश्तों की डोर By Kusum

तीनो बहनों से राखी बंधवाकर, मेरे अंदर असीम सुख का अनुभव होता है। मेरी तीनों छोटी बहनें राखी से पहले ही शुरू हो जाती हैं, कि, किसको क्या चाहिए। मुझे भी उनकी छोटी-छोटी फरमाइशें पूरी...

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चॉकलेट By SURENDRA ARORA

चॉकलेट उसने जब से होश संभाला उसका बाप जिसे वो बापू कहता था, उसके लिए हर शाम दफ्तर से लौटते हुए एक चॉकलेट लाता और उसे अपनी गोद में भरकर भरपूर प्यार करता । उसके बाद अपनी पतलून की जेब...

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कैपेचीनो By Anuj Tiwari

कैपेचीनो कुछ कहानियाँ सत्यता के इतने करीब होती हैं कि कहानियां लगती ही नहीं और कुछ हकीकतें वक़्त के साथ ऐसी हो जाती हैं जो पूरी ज़िंदगी सिर्फ कहानियों सी लगने लगती हैं। ऐसी ही एक...

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बरसात की अनकही दास्ताँ By Ankusha Bulkunde

दो साल पहले की बात है | बरसात का सीजन था| सुबह के आठ बजे थे| मैं रोज़ की तरह टीवी देखने बैठ गया| लाइव न्यूज़ चल रही थी," काल रात की भारी बरसात के वजह से सड़कों पर पा...

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वो बारह घण्टे का पसीना By AKANKSHA SRIVASTAVA

जमीन जल चुकी आसमा बाकी है सूखे हुए कुएं तुम्हारा इम्तिहान बाकी है, ऐ- बादल बरस जाना इस बार भी समय पर किसी का मकान गिरवी तो किसी की लगन फीकी है, टपकते है छत उसके कच्चे इमारतों के फि...

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तिरस्कृत By Neerja Pandey

जल्दी जल्दी हाथ चलाते हुए सुमित्रा गरमा गरम परांठे बनाकर सब को दे रही थी। सुबह का नाश्ता सब साथ ही करते थे । फटाफट परांठे सेंक कर सुमित्रा दोनों बेटे बहू और पति को दे रही थी सुबह क...

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सन्देशा - 2 By Vikash Dhyani

हरीश के जाने के दुःख में कमला कभी कभी मायूस हो जाती थी। कभी कभी लगता की जैसे वो एक दिन लौट के वापिस आ जायेगा उसके जाने का दुःख कमला सीने में दबाये बैठी थी ठीक से रो भी नहीं पाई थी।...

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एक उम्मीद - भाग - 2 By Neha Awasthi

अभी तक कहानी में आपने देखा है कि उसकी सास और ससुर का ही जिक्र है पर बेटे का नहीं क्योंकि उनका बेटा बस अपनी मां के इशारे पर चलता है, उसमें अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करने की छमता नहीं...

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तुम और मैं - 3 By Rahul Pandey

तुम और मैं - अध्याय - 3 ( दूरियाँ ) — बचपन के कुछ किस्सों और कहानियों से निकाली गई एक छोटी सी लेखनी है। मैं Rahul Pandey ( poetpahadi ) आशा करता हूँ की आपको यह कोशिश ज़रूर पंसद आये...

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खिलवत By Mukta Priyadarshani

झुर्रियों से भरी देह, पके हुए बाल, थकी हुई आँखें, पसीने से लथपथ जगह-जगह से फ़टी हुई कमीज़, माथे से टपकती मेहनत की बूंदें और कमज़ोर, बेबस व पीड़ा से कराहते पैर जो शक्तिहीन होते हुए...

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प्यारे भैया By Priyanka Jangir

यह कहानी सत्यता पर आधारित हैं | इस कहानी में भाई बहन के रिश्ते को दर्शाया गया हैं, की भाई बहन का रिश्ता कितना अटूट होता हैं

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मॉ पर लघुकथाएँ By Kishanlal Sharma

बेसहारा--------------"मम्मी,इरा का तुम्हारे साथ निर्वाह नही हो सकता।"उमेश इन्टर मे पढ़ता था।तभी उसे अपने साथ पढ़ने वाली इरा से प्यार हो गया था।इरा क्रिस्चियन थी।रमेश नही चाहता था,उसक...

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मिस्ड कॉल By Sunita Agarwal

आभा अपने पिता की लाडली दो भाइयों की बहिन थी ।उसके एक गलत कदम ने उसे कहाँ से कहाँ पंहुचा दिया था।काश उसने भावनाओं में बहकर गलत कदम नउठाया होता तो आज वो भी किसी घर की रौनक होती।यूँ न...

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दोस्ती - गलतफहमी का शिकार By Neha Awasthi

स्तुति और आन्या दो सहेलियां बारिश के मौसम में साथ बैठी मजे ले रही थी । टेबल पर कॉफी रखी हुई थी और आपस में बातें चल रही थी । दोनों की दोस्ती ज्यादा लंबी तो नहीं कुछ 2 साल की थी पर प...

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कलमकार हूँ  By AKANKSHA SRIVASTAVA

"मैं एक खुली किताब हूँ तुम जितना मुझे पढ़ोगे पन्नों की तरह तुम मुझमे सिमटते जाओगे हा मैं एक खुली किताब हूँ।" नमस्कार, मित्रों कैसे है आप। बस सोची बहुत दिन हो गया बातचीत हुए,किसी ने...

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पाती प्रेम की By Dr Jaya Anand

पाती प्रेम की मेरे प्रिय ! ' मेरे ' …..,कितना अच्छा लग रहा है मुझे कि किसी को मैं अपना कह कर बुला सकती हूँ । किसी पर मेरा पूर्ण अधिकार ..जिससे मैं खुल कर हर बात कह सकती हू...

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क्या ये प्यार था ? By Ashish Garg Raisahab

शशि गुप्ता , जी हां यही तो नाम था उसका , जिसका नाम सुनकर ही दिल मे कुछ कुछ होने लगता था ,कानों में संगीत बजने लगता था । जिसको देखकर दिल जे धड़कने की स्पीड 150 तक पहुंच जाती थी ,जिस...

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Exam वाला Love By Raman Verma

पहली परीक्षा कुछ नहीं आता । यही सही समय था खुद से साक्षात्कार का । अपनी कमियों के बारे में सोचने का और उन पर विजय पाने के बारे में भी सोचने का । Exam खत्म हो तो बस पढ़ना शुरू , सार...

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सफ़ेद गुलाब By S Sinha

कहानी -- सफ़ेद गुलाब मैं उन दिनों पटना में रहता था . मेरे घर की छत से मास्टर साहब की छत भी जुडी थी , बीच में बस चार फ़ीट की रेलिंग...

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ये सब लिखना ज़रूरी था क्या? By Gadhavi Prince

◆यहां बस कुछ लेेेख हे जो आपको अच्छे लगेेंगे!1. एक पुरानी बात।वह मेरी बचपन कि दोस्त थी, फीर हम बडें हो गया,मैं समज दार हो गया ,मुजे पता लग गया था कि पसंद आने ओर प्यारा लगने मे क्य...

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सच्चाई By Dharnee Variya

सुनो, आज मैं कौनसी साड़ी पहनू?? "कोई भी पहनो, तुम सबमें अच्छी ही लगोगी।" स्नेहल की ओर प्यारभरी नजर से मुस्कुराते हुए स्वराज ने कहा। लेकिन अपनी पुरानी तस्वीर पे नजर जाते ही आईने के स...

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ज़िन्दगी की धूप-छाँव - 12 By Harish Kumar Amit

ज़िन्दगी की धूप-छाँव हरीशं कुमार ’अमित' आइने का सच ‘‘बोर्ड के इम्तहान हैं न इस साल! पढ़ाई पर ध्यान दिया करो और इस मोबाइल से दूर रहा करो! समझ गए न!’’ बेटे को मैंने सख़्ती से ताकीद...

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यात्रा By स्वाती यादव

बात बहुत पुरानी नहीं है , बाते कभी पुरानी नहीं होती ही नहीं ।जब भी उन बातो को याद किया जाता है वो नई होती रहती है। बहोत खुशी और शांती थी आज विराट के पास ,घर से दूर पढ़ने जा रहा था...

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भूख (उसके हिस्से की) By Vinay Panwar

भूख*** आज पिताजी का श्राद्ध है, हर साल की तरह हम अनाथालय में भोजन प्रायोजित करना चाहते थे लेकिन शायद इस बार बुकिंग कराने में देर हो गयी थी और जो तारीख हम चाहते थे उस दिन...

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हलवा By Abhinav Singh

“तुम्हारे पास तो मेरे के लिये वक्त ही नहीं होता। घर पर होकर भी घर पर नहीं होते तुम। यहाँ आकर भी लैपटाप में खोये रहते हो। तुम्हें तो इसी से शादी करनी चाहिये थी।“ सुप्रिया ने सुबह सु...

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फैसला By अनुभूति अनिता पाठक

आज छः महीने की कैद के बाद सिया आख़िरकार घर आ गयी। अपनी बेटी को गले लगाकर खूब रोई, खूब प्यार किया और रो - रोकर अपने अंदर का सारा गुब़ार निकाल लिया। सास - ससूर ने भी अपनी खुशी प्रकट...

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एक अनोखा दिन By Vinayak Potdar

आज सुबह से ही मैं बड़ी अच्छे मूड में थी। चाहे आज देर से उठी और तैयार होकर ऑफिस निकलने के लिए देर होने वाली थी पर इससे मुझे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला था। आखिर महीने में एक दिन लेट...

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लिखी हुई इबारत - 5 By Jyotsana Kapil

9 - दंड गाड़ी से उतरकर , बहुत आत्म विश्वास के साथ धीरज ने अपना चेहरा मोबाइल की स्क्रीन में देखा। नोटों से भरे हुए सूटकेस को हल्के से थपथपाया।आज एक और तथाकथित...

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नींव की ईंट By राजेश ओझा

वह बूढ़ी औरत पसीने से तर-बतर थी..पर बूढ़ी हड्डियों में जोश और उत्साह देखते बनता था..सर पर तीन ईंटे तूली कपड़े में बांधे लिये चली जा रही थी..शरीर धूल धूसरित..पर चेहरे पर उत्साही चमक...

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सफेद रंग - भाग 2 By Namita Verma

मुन्नी जैसे तैसे होश को संभालते हुए घर पहुँची एक अदना सी उम्मीद लिए,कि शायद उसके बाबा उसके साथ ऐसा नहीं करेंगे, उसकी ये सारी शंकाऐ तो अब सिर्फ बाबा ही दूर कर सकते थे,(उम्मीदों को ल...

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कोरोना पॉजिटिव By RISHABH PANDEY

"चलिए लाइन से आइए, एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाए रखिये, तुम्हरा मास्क कहा है?? तुम्हे समझ नही आता क्या तब से एलाउंस किया जा रहा है कि बिना मास्क के कोई भी यहा नही आएगा" - मुन्नी ल...

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एक नदी की प्रेम कहानी By Sheetal

नदी का एक बहुत पुराना प्रेमी है गगन, दोनों एक दूसरे को सदियों से देखते चले आ रहे थे. दोनों ने कई हज़ार साल एक दूसरे को देखा, देखते देखते दोनों में प्यार हो गया. नदी ने कहा हम ज़रूर म...

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ऑनर किलिंग By Akassh Yadav Dev

"ज़िंदगी के खूबसूरत होने के मायने क्या हैं?""तुम्हारी आँखों मे एक टक देखते जाना!""भक...तुम्हे तो बस मौका चाहिए होता है!""लेह...गुस्साती काहे हो?""गुस्सा न करूं तो क्या तुम्हारी आरती...

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चिट्ठी आई है ! By Amit Singh

भले ही चिट्ठियों का आना-जाना अब बीते वक़्त की बात लगती हो, लेकिन इसे चाहने वाले आज भी कम नहीं हैं | अब भी हमारे मन के किसी कोने-अँतरे में यह चाह रहती है कि काश, मेरे नाम भी कोई चिट्...

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सुलझती गाँठे By Ratna Raidani

डॉक्टर मोहित एक मशहूर मनोरोग चिकित्सक थे जो रिटायरमेंट के बाद अपने गृहनगर कुन्नूर में अपनी सेवायें दे रहे थे। रोज की तरह आज भी जैसे ही उन्होंने क्लीनिक में प्रवेश किया, कुछ लोग पहल...

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प्रेमपत्र By Rama Sharma Manavi

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सड़क By Mukta Priyadarshani

एक दिन फुर्स़त के समय मैं फेसबुक स्क्रॉल कर रही थी कि एक तस्वीर दिखी, वो तस्वीर मेरी एक दोस्त ने शेयर की थी और उसके ऊपर कैप्शन डला था - 'ब्यूटीफुल'। उस तस्वीर को देखते ही ख...

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जल्लाद By Dhruv Mavapuri

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अनोखी मित्रता - 6 By Payal Sakariya

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Single Father By Anil Patel_Bunny

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"लीजिये सर, मिठाई" आलोक ने डब्बा आगे बढ़ाते हुए कहा। आज वो ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था।"अरे वाह आलोक, क्या बात है? आज सुबह सुबह मिठायी?" आलोक के बॉस शिरीष सर ने एक टुकड़ा उठाते हुए...

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पान वाले चाचा By Roushan kumar

पान वाले चाचाआज दीपक फिर से अपनी बचपन की सबसे सुखद पल जहाँ बिता था उसी शहर के लिए निकल पड़ा था, कुछ पुरानी बातों में डूबने,उसे फिर से महशुस करने और सबस...

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बिल्कुल सही वसीयत By S Sinha

कहानी - बिल्कुल सही वसीयत ¨ जीवन के अंतिम पड़ाव में आ कर इतना कष्ट भोगना होगा , ऐसा कभी सोचा भी न था मैंने . ¨ शांति द...

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तेरी आंखों के दरिया का..... By Anand Raj Singh

कुछ बातें हम दिल के किसी कोने में छूपा देते हैं,और इतने गहरे से बांधते हैं कि वो दोबारा हमें ही नहीं मिलते।बस कभी किसी मोड़ पर अचानक वो सामने आ जाता है,और आँख खुली रह जाती है,और हम...

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रिश्तों की डोर By Kusum

तीनो बहनों से राखी बंधवाकर, मेरे अंदर असीम सुख का अनुभव होता है। मेरी तीनों छोटी बहनें राखी से पहले ही शुरू हो जाती हैं, कि, किसको क्या चाहिए। मुझे भी उनकी छोटी-छोटी फरमाइशें पूरी...

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चॉकलेट By SURENDRA ARORA

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कैपेचीनो By Anuj Tiwari

कैपेचीनो कुछ कहानियाँ सत्यता के इतने करीब होती हैं कि कहानियां लगती ही नहीं और कुछ हकीकतें वक़्त के साथ ऐसी हो जाती हैं जो पूरी ज़िंदगी सिर्फ कहानियों सी लगने लगती हैं। ऐसी ही एक...

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बरसात की अनकही दास्ताँ By Ankusha Bulkunde

दो साल पहले की बात है | बरसात का सीजन था| सुबह के आठ बजे थे| मैं रोज़ की तरह टीवी देखने बैठ गया| लाइव न्यूज़ चल रही थी," काल रात की भारी बरसात के वजह से सड़कों पर पा...

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वो बारह घण्टे का पसीना By AKANKSHA SRIVASTAVA

जमीन जल चुकी आसमा बाकी है सूखे हुए कुएं तुम्हारा इम्तिहान बाकी है, ऐ- बादल बरस जाना इस बार भी समय पर किसी का मकान गिरवी तो किसी की लगन फीकी है, टपकते है छत उसके कच्चे इमारतों के फि...

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तिरस्कृत By Neerja Pandey

जल्दी जल्दी हाथ चलाते हुए सुमित्रा गरमा गरम परांठे बनाकर सब को दे रही थी। सुबह का नाश्ता सब साथ ही करते थे । फटाफट परांठे सेंक कर सुमित्रा दोनों बेटे बहू और पति को दे रही थी सुबह क...

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सन्देशा - 2 By Vikash Dhyani

हरीश के जाने के दुःख में कमला कभी कभी मायूस हो जाती थी। कभी कभी लगता की जैसे वो एक दिन लौट के वापिस आ जायेगा उसके जाने का दुःख कमला सीने में दबाये बैठी थी ठीक से रो भी नहीं पाई थी।...

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एक उम्मीद - भाग - 2 By Neha Awasthi

अभी तक कहानी में आपने देखा है कि उसकी सास और ससुर का ही जिक्र है पर बेटे का नहीं क्योंकि उनका बेटा बस अपनी मां के इशारे पर चलता है, उसमें अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करने की छमता नहीं...

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तुम और मैं - 3 By Rahul Pandey

तुम और मैं - अध्याय - 3 ( दूरियाँ ) — बचपन के कुछ किस्सों और कहानियों से निकाली गई एक छोटी सी लेखनी है। मैं Rahul Pandey ( poetpahadi ) आशा करता हूँ की आपको यह कोशिश ज़रूर पंसद आये...

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खिलवत By Mukta Priyadarshani

झुर्रियों से भरी देह, पके हुए बाल, थकी हुई आँखें, पसीने से लथपथ जगह-जगह से फ़टी हुई कमीज़, माथे से टपकती मेहनत की बूंदें और कमज़ोर, बेबस व पीड़ा से कराहते पैर जो शक्तिहीन होते हुए...

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प्यारे भैया By Priyanka Jangir

यह कहानी सत्यता पर आधारित हैं | इस कहानी में भाई बहन के रिश्ते को दर्शाया गया हैं, की भाई बहन का रिश्ता कितना अटूट होता हैं

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मॉ पर लघुकथाएँ By Kishanlal Sharma

बेसहारा--------------"मम्मी,इरा का तुम्हारे साथ निर्वाह नही हो सकता।"उमेश इन्टर मे पढ़ता था।तभी उसे अपने साथ पढ़ने वाली इरा से प्यार हो गया था।इरा क्रिस्चियन थी।रमेश नही चाहता था,उसक...

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मिस्ड कॉल By Sunita Agarwal

आभा अपने पिता की लाडली दो भाइयों की बहिन थी ।उसके एक गलत कदम ने उसे कहाँ से कहाँ पंहुचा दिया था।काश उसने भावनाओं में बहकर गलत कदम नउठाया होता तो आज वो भी किसी घर की रौनक होती।यूँ न...

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