लघुकथा कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • अनन्या...

    अनन्या आज बहुत जल्दी में थी। उसे आज जल्दी अपने काम पे पहुंचना था। आज...

  • Golden Jubilee

    शीर्षक :- Golden Jubileeनोट :: - इस रचना को गांधीनगर के समाचार में प्रथम विजेता...

  • कुबेर का खज़ाना

    "कुबेर का खज़ाना" माँ ओ माँ....मेरी अच्छी माँ....दुलारी मा...

लड़की एक बोझ या लक्ष्मी भाग-1 By Adroja Mital

एस सदी में कुछ लोग लड़की को एक बोज मानते हैं तो कुछ लोग घरकि लक्षमी मानते हैं| ये कहानी हैं, दो लड़कियों कि, जो दोनो दोस्त थि। जिंनके परिवार ऊँचे घराने ओर निचे...

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मिठाई By Anil jaiswal

"मां, काम वाली आंटी आज भी नही आई क्या?" स्कूल से आकर बस्ता पटकते हुए मीनू ने पूछा। मां के चिड़चिड़े चेहरे और बेतरतीब किचेन को देखकर वह समझ गई थी कि आज भी काम वाली बाई ने मम्मी को झटक...

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अनोखी मित्रता - 9 By Payal Sakariya

Continue...... Don't make friends before understanding. & Don't break friendship after misunderstanding...! वो ओटो व...

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अनन्या... By Dinkal

अनन्या आज बहुत जल्दी में थी। उसे आज जल्दी अपने काम पे पहुंचना था। आज बाहर से कुछ सेवाभावी संस्था के लोग वहां आनेवाले थे। कल रात उसे ऑफिस का काम करते करते बहुत देर हो गई...

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मासूम की बद्दुआ अंतिम भाग By S Sinha

Part 2 अंतिम भाग - कहानी के अंतिम भाग में पढ़िए शिखा को क्यों लगा कि उसे मासूम की बद्दुआ लग गयी है ... कहानी - मासूम की बद्दुआ दो दिन बाद शिखा डॉक्टर से मिलने गयी...

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Golden Jubilee By Bharat Rabari

शीर्षक :- Golden Jubileeनोट :: - इस रचना को गांधीनगर के समाचार में प्रथम विजेता घोषित किया गया है।"हेनिश, क्या तुम रात को दस बजे से पहले वापस आ जाओगे?" - अपने खास दोस्त मिलनने पूछा...

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अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य - 1 By Rajnish

अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य (भाग - 1) चारों तरफ दर्शक दीर्घा को देखते हुए.... विवेक बंसल: यश! कुछ भी हो, आज भी लड़कियों के बीच में तुम्हारा जादू बरकरार है (चुटकी लेते हुए) तभी उद्घो...

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आत्मनिर्भरता - आत्मनिर्भरता जीवन की नई राह By बावरा मन

मैडम हम आपको ऐसे लोन नही दे सकते, ना ही आपकी कोई नियमित कमाई है ना ही आप इनकम टैक्स भरते हो और ना ही आपके पति का कोई पुराना इनकम टैक्स या फॉर्म 16 का रिकॉर्ड उपलब्ध है, और तो और आप...

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मेट्रो By Anil jaiswal

मेट्रो प्लेटफॉर्म पर आकर रुकी। दरवाजे खुले, तो रामलाल ने अंदर पैर रखा। आज मेट्रो में ज्यादा भीड़ नहीं थी। रामलाल ने चारों ओर नजरें दौड़ाईं। सारी सीटें फुल थीं। इससे उन्हें क्या? वह ध...

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हिंदीं का घर By Sarvesh Singh

"हिंदी" भाषा की एहमियत सिर्फ़ 14 सितंबर के रूप में ही रह गया है?मैं नहीं लोगों की अंग्रेजी सीखने की होड़ बयां कर रहा है!इसमें संसय नहीं कि हिंदी के साया में रह अंग्रेजी से माया लगाना...

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दशहरे का मेला By Kalyan Singh

मनुष्य की इंसानियत भी उस दिन जाग उठती है। जिस दिन उसे अपने कर्मों का ज्ञान हो जाता है। बस कोई सच्चा गुरु होना चाहिए सही पथ दिखाने वाला या कोई ऐसी घटना घटित हो जो उसकी इंसानियत पर स...

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कुबेर का खज़ाना By Varsha

"कुबेर का खज़ाना" माँ ओ माँ....मेरी अच्छी माँ....दुलारी माँ......प्यारी प्यारी माँ.....! अरे....बसससस.....बोल क्या चाहिए? होओओओओ....माँ तुम्हें प्यार करूँ तो...

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ब्रेकअप By Shivani Verma

"ऋषभ हम सिर्फ दोस्त हैं और दोस्त ही रहेंगे।" कृतिका के मुँह से ये जवाब सुनकर ऋषभ दुःखी हो गया लेकिन फिर भी उसने उम्मीद नही छोड़ी थी। ग्रामीण परिवेश से आयी कृतिका जब यूनिवर्सिटी पढ़ने...

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तपती रेत पर By rajendra shrivastava

लघुकथा-- तपती रेत पर --राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव, ‘’जब भी मुँह खोलेगी आग उगलेगी।‘’ ‘कोई ना भी बोले; तो भी दीवालों से बु...

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मुकदमा By Rajan Singh

छोटा सा कमरानुमा सिलनयुक्त कोर्ट रूम, मुज़रिम व मुज़रिमों को पेशी पे मिलने आये स्वजन. भीड़-भाड़ से गचागच था यह बदबूदार कमरा. एक नाज़िर, जज के स्टेज के ठीक नीचे टाइपिंग मशीन लेकर बै...

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रघुवन की कहानियां - राम दरबार By Sandeep Shrivastava

रघुवन में आज सुबह से ही प्रसन्नता का वातावरण था। सभी लोग आँखों में प्रसन्नता लिए किसी की प्रतीक्षा कर रहे थे। झुण्ड के झुण्ड रघुवन के बरगदी हनुमान मंदिर की और बढ़े जा रहे थे। बाबा व...

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मेरी चाय...... By Gal Divya

मेरी चाय.......वो बारिश के बाद पकोड़ो के साथ पी हुुुई चाय...वो शर्दी की सुबह कांपते हाथों से पी हुुुई चाय...वो दोस्तों के साथ दुनिया की...

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सफरनामा By तेज साहू

सफरनामा- कभी कभी मेरे दिल मे ख़्याल आता है,की जैसे तुझको बनाया गया है,मेरे लिए...की धीमी आवाज़ में रेलवेस्टेशन के बाहर लाउडस्पीकर में संगीत बज रहा हैं.स्टेशन के अंदर डिस्प्ले में गाड़...

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दो लघुकथाएं...1- मैं कौन हूँ।। 2- इन्द्रधनुष।। By निशा शर्मा

1- मैं कौन हूँ!!!माँ.. माँ... माँ... अरी क्या हुआ ?क्यों गला फाड़ रही है? माँ मैं कौन हूँ? बताओ न माँ कौन हूँ मैं ? अरी हुआ क्या? माँ तुम झूंठ बोलती हो,तुम तो मुझे परी कहती हो और क...

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लघुकथाएँ By Sneh Goswami

बड़ा होता बचपन माँ ! कहाँ है। देख ! मेरे पास क्या है ?पार्वती चूल्हे के सामने बैठी रोटी सेक रही थी। हाथ का काम छोड़ बेटे की ओर हाथ बढ़ाया। " क्या है रे ! दिखा तो .. "गौरव ने पो...

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बूढ़ा घोड़ा By Anil jaiswal

कांतिलाल ने सामने से आ रहे रिक्शा को आवाज लगाई तो रिक्शेवाले ने रिक्शा रोका।कांति की नजर रिक्शेवाले से मिली, तो वह सकपका उठे। यह तो मोहल्ले के ही रामलखन जी थे। अभी तो वह गांव से अप...

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राजनीति का धर्म - नजरिये अपने अपने By Abhinav Singh

दृश्य एक( एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल का डिबेट रूम )बहस का विषय : राजनीति का धर्म या धर्म की राजनीति एंकर- नमस्कार दोस्तों। आपका स्वागत है देश के नम्बर वन न्यूज चैनल फलाना ढिमका पर। द...

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तीन अफसाँचे By Anil Makariya

रामराज★ (लघुकथा-1)"15 साल से निर्विरोध चुनकर आ रहा हूँ, इसबार कौन आ गया बे मेरे खिलाफ पर्चा भरने?"बाहुबली नेता अपने चमचों के बीच विदेशी सोफे पर अपना पहलू बदलते हुए बोले।"सरकार! स्व...

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गांधीजी के वे प्यारे तीन बंदर By Annada patni

गांधी जी के वे प्यारे तीन बंदर अन्नदा पाटनी दरवाज़े पर अजीब सी दस्तक सुनाई दी । देखा तो तीन बंदर थे । मैं डर गई, बोली," अरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? जाओ छत पर जाओ और वहीं कूदो फाँ...

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मजहब By pragati gupta

शाम के छहः बज रहे हैं । पार्क में एक लड़का बैठा है सीट पर तभी पीछे से एक लड़की आकर उस लड़के के बगल में बैठ जाती हैं ।लडके का नाम अर्पित हैं और लडकी का शबाना ।ये दोनों अलग अलग मजहब...

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प्रतिशोध - 2 By S Sinha

क्रमशः अंतिम भाग 2 में पढ़िए क्या रूपाली और शिवम फिर मिल सकते हैं ! भाग 2 - कहानी - प्रतिशोध इसके बाद दोनों में बातचीत तक बंद थी . ट्रेनिंग पूरी होने के बाद शिवम् ने हैदर...

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मैं लौट कर आऊंगा By Rama Sharma Manavi

आज जान्हवी खुश भी थी,साथ ही विगत की यादों के पुनः स्मरण से व्यथित भी थी।आज उसकी प्रिय सखी शुचि अपने डेढ़ साल के बेटे पार्थ एवं पति विनय के साथ आ रही थी।उनके स्वागत की तैयारियों...

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टिफिन By Anil jaiswal

"मिसेज दीपिका वर्मा, आपका बेटा खाली टिफ़िन लेकर स्कूल आता है। भूख लगने पर वह रोज अपने पार्टनर से टिफ़िन मांगकर खाता है।" प्रिंसिपल कहे जा रहे थे और मिसेज वर्मा का चेहरा गुस्से से ला...

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घरौंदा By Priya Gupta

बाजार में अचानक उन्हें इस रूप में देखकर मैं दंग रह गए वह मुझे देख नहीं सकी बाजार में भीड़ काफी था ना कुछ कहती पूछती तब तक वह भीड़ में समा चुकी थी घर आने पर भी मैं सोच में थी कि वह...

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आस्था By Shivani Verma

रजिया बेगम सिलाई मशीन पर बैठी खयालों में इतनी डूबी थी कि उन्हें बाहर दरवाजे पर हुई दस्तक सुनाई नही दी। जोर से दरवाज़ा पीटने की आवाज़ पर उनका ध्यान टूटा।"अरे दुआ बिट...

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साईकिल से स्कूटी तक का सफर By Ruchi Dixit

नई स्कूटी पाकर मन उमंग से भर गया किन्तु साथ मे चिन्तित भी | क्या पता मुझे चलानी आयेगी भी या नही ?? इसे तो देखकर ही भय लगता है | बचपन मे साइकिल चलाने की बड़ी इच्छा थी, उस वक्त मेरी...

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ऑनलाइन पढ़ाई By Kumar Kishan Kirti

"रिया,तुम मोबाइल से क्या कर रही हो?"माँ अपनी बेटी रिया की तरफ गुस्से से देखती हुई चिल्लाकर बोली"कुछ तो नहीं माँ, बस पढ़ाई कर रही हूं"रिया डरती हुई बोलीइतना सुनते ही माँ का गुस...

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पुनर्मिलन By Ratna Raidani

आज आकाश, शुचि, भूमि, समीर और सलिल ने क्षितिज के घर पर मिलना तय किया। बाकी सारे मित्र समय पर पहुँच गए पर समीर को आने में काफी देर लग गयी। उसके आते ही आकाश ने उससे पूछा, "कितनी देर ल...

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लघुकथाएँ By Abha Dave

1)गृह प्रवेश--------------नंदिनी आज सुबह से ही उतावली थी । उसने पूजा की सारी तैयारी कर ली थी बस अपने माता- पिता के आने का इंतजार कर रही थी । नंदिनी के पति और उसके दोनों बच्चे उसके...

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देखो, तुम मरना मत By Anil jaiswal

सारे काम निबटाकर सरिता अपने कमरे में घुसी, तो निढाल हो चुकी थी। रिटायर्ड रमा शंकर पलंग पर बैठे उनका इंतजार कर रहे थे। उन्होंने घड़ी देखी, साढ़े दस बज चुके थे। "आज सब काम खत्म करते कर...

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वो अनजान आदमी By Ashish Garg Raisahab

रात के 11 बज रहे थे , नंदिता अपने दोस्त की बर्थडे पार्टी से लौट रही थी ,कई ऑटो वालों को हाथ दिया मगर किसी ने भी मंगलम विहार की तरफ जाने के लिए हां नही की । कम से कम 3 किलोमीटर का...

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आगोश By rajendra shrivastava

लघुकथा-- आगोश --राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव, कमरे का दरवाजा खोलते ही मधु अन्‍दर चली गई, तत्‍काल बाद ही मैं उसके पीछे-पीछे आ गया। वह प...

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पराई By डिम्पल गौड़

मायके आए हुए मुझे पूरे दस दिन हो चुके थे.पति विशाल से फोन पर बातचीत करने के बाद उठी ही थी कि देखा,माँ अपना बक्सा खोले बैठी है. बक्से के खुलते ही एक चिर-परिचित भीनी सुगन्ध से सुवासि...

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स्वंय से स्वंय तक का सफर By Anant Dhish Aman

"स्वयं क्या है" हम जो दिख रहे होते है वह हम नही है वह एक माया जिसके मोहपाश में हम सभी बंधे होते है ।। अध्यात्म के अनुसार और विज्ञान के अनुसार हमारा निर्माण पंचतत्व से हुआ है जो कि...

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लिखी हुई इबारत - 6 By Jyotsana Kapil

11 -आईना " हमारे बबुआ की तो एक ही डिमांड है की लड़की सुंदर हो ।" एक गुलाब जामुन मुँह में भरते हुए लड़के की माँ ने कहा। " तो हमारी साक्षी कौन सी कम है, देखिये न, कैस...

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वो पल By Vijay Prajapati

कुछ पल याद मै !करीब नौ साल पहलें का एक बिछडा दोस्त मिला। मे बहुत खुश था उस्से देख कर,और वो मुझको देखकर जैसे चमत्कारीक आश्चर्य मै था,वो भी बेईन्तहा खुश था,उसके खुशी के मारे बोलते बो...

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रामू काका By Rajesh Kumar Srivastav

"अरे! बबुआ। तुम कईसे-कईसे यहाँ पहुँच गए।" रामू काका अचानक मुझे दरवाज़े पर खड़ा पाकर हैरान थे। दरवाज़ा खोलकर झट मुझे अपनी गोद में उठाना चाहा। लेकिन अब मैं इतना भारी हो गया था कि काका...

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भीगा बदन नम आँखें By Abha Yadav

वह अकेली थी और वह तीन.सभी का बदन पानी में तर-बतर था.कपड़ों से पानी की बूंदें इस तरह टपक रही थीं ,जैसे पानी का टेप अधखुला रह गया हो. शाम का धुंधलका हो गया था. काले बादलो...

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असलियत(लघुकथा) By Kumar Kishan Kirti

"बाबू जी,मुझे कुछ खाने को दीजिए,बड़ी तेज भूख लगी है"एक नवयुवक भिखारी अपने सामने खड़े रईस व्यक्ति से गिड़गिड़ाते हुए बोला,लेकिन वह रईस व्यक्ति इतना सुनते ही क्रोधित होकर बोला,"चल भ...

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ज़िन्दगी की धूप-छाँव - 13 - अंतिम भाग By Harish Kumar Amit

ज़िन्दगी की धूप-छाँव हरीशं कुमार ’अमित' आदत ‘‘पापा, जल्दी घर आ जाओ. छोटू खेलते-खेलते गिर गया है. सिर से बड़ा खून बह रहा है. मम्मी भी ऑफिस में हैं. डॉक्टर के पास ले जाना पड़ेगा.’’...

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कलमकार हूँ  By AKANKSHA SRIVASTAVA

"मैं एक खुली किताब हूँ तुम जितना मुझे पढ़ोगे पन्नों की तरह तुम मुझमे सिमटते जाओगे हा मैं एक खुली किताब हूँ।" नमस्कार, मित्रों कैसे है आप। बस सोची बहुत दिन हो गया बातचीत हुए,किसी ने...

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लड़की एक बोझ या लक्ष्मी भाग-1 By Adroja Mital

एस सदी में कुछ लोग लड़की को एक बोज मानते हैं तो कुछ लोग घरकि लक्षमी मानते हैं| ये कहानी हैं, दो लड़कियों कि, जो दोनो दोस्त थि। जिंनके परिवार ऊँचे घराने ओर निचे...

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मिठाई By Anil jaiswal

"मां, काम वाली आंटी आज भी नही आई क्या?" स्कूल से आकर बस्ता पटकते हुए मीनू ने पूछा। मां के चिड़चिड़े चेहरे और बेतरतीब किचेन को देखकर वह समझ गई थी कि आज भी काम वाली बाई ने मम्मी को झटक...

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अनोखी मित्रता - 9 By Payal Sakariya

Continue...... Don't make friends before understanding. & Don't break friendship after misunderstanding...! वो ओटो व...

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अनन्या... By Dinkal

अनन्या आज बहुत जल्दी में थी। उसे आज जल्दी अपने काम पे पहुंचना था। आज बाहर से कुछ सेवाभावी संस्था के लोग वहां आनेवाले थे। कल रात उसे ऑफिस का काम करते करते बहुत देर हो गई...

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मासूम की बद्दुआ अंतिम भाग By S Sinha

Part 2 अंतिम भाग - कहानी के अंतिम भाग में पढ़िए शिखा को क्यों लगा कि उसे मासूम की बद्दुआ लग गयी है ... कहानी - मासूम की बद्दुआ दो दिन बाद शिखा डॉक्टर से मिलने गयी...

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Golden Jubilee By Bharat Rabari

शीर्षक :- Golden Jubileeनोट :: - इस रचना को गांधीनगर के समाचार में प्रथम विजेता घोषित किया गया है।"हेनिश, क्या तुम रात को दस बजे से पहले वापस आ जाओगे?" - अपने खास दोस्त मिलनने पूछा...

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अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य - 1 By Rajnish

अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य (भाग - 1) चारों तरफ दर्शक दीर्घा को देखते हुए.... विवेक बंसल: यश! कुछ भी हो, आज भी लड़कियों के बीच में तुम्हारा जादू बरकरार है (चुटकी लेते हुए) तभी उद्घो...

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आत्मनिर्भरता - आत्मनिर्भरता जीवन की नई राह By बावरा मन

मैडम हम आपको ऐसे लोन नही दे सकते, ना ही आपकी कोई नियमित कमाई है ना ही आप इनकम टैक्स भरते हो और ना ही आपके पति का कोई पुराना इनकम टैक्स या फॉर्म 16 का रिकॉर्ड उपलब्ध है, और तो और आप...

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मेट्रो By Anil jaiswal

मेट्रो प्लेटफॉर्म पर आकर रुकी। दरवाजे खुले, तो रामलाल ने अंदर पैर रखा। आज मेट्रो में ज्यादा भीड़ नहीं थी। रामलाल ने चारों ओर नजरें दौड़ाईं। सारी सीटें फुल थीं। इससे उन्हें क्या? वह ध...

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हिंदीं का घर By Sarvesh Singh

"हिंदी" भाषा की एहमियत सिर्फ़ 14 सितंबर के रूप में ही रह गया है?मैं नहीं लोगों की अंग्रेजी सीखने की होड़ बयां कर रहा है!इसमें संसय नहीं कि हिंदी के साया में रह अंग्रेजी से माया लगाना...

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दशहरे का मेला By Kalyan Singh

मनुष्य की इंसानियत भी उस दिन जाग उठती है। जिस दिन उसे अपने कर्मों का ज्ञान हो जाता है। बस कोई सच्चा गुरु होना चाहिए सही पथ दिखाने वाला या कोई ऐसी घटना घटित हो जो उसकी इंसानियत पर स...

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कुबेर का खज़ाना By Varsha

"कुबेर का खज़ाना" माँ ओ माँ....मेरी अच्छी माँ....दुलारी माँ......प्यारी प्यारी माँ.....! अरे....बसससस.....बोल क्या चाहिए? होओओओओ....माँ तुम्हें प्यार करूँ तो...

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ब्रेकअप By Shivani Verma

"ऋषभ हम सिर्फ दोस्त हैं और दोस्त ही रहेंगे।" कृतिका के मुँह से ये जवाब सुनकर ऋषभ दुःखी हो गया लेकिन फिर भी उसने उम्मीद नही छोड़ी थी। ग्रामीण परिवेश से आयी कृतिका जब यूनिवर्सिटी पढ़ने...

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तपती रेत पर By rajendra shrivastava

लघुकथा-- तपती रेत पर --राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव, ‘’जब भी मुँह खोलेगी आग उगलेगी।‘’ ‘कोई ना भी बोले; तो भी दीवालों से बु...

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मुकदमा By Rajan Singh

छोटा सा कमरानुमा सिलनयुक्त कोर्ट रूम, मुज़रिम व मुज़रिमों को पेशी पे मिलने आये स्वजन. भीड़-भाड़ से गचागच था यह बदबूदार कमरा. एक नाज़िर, जज के स्टेज के ठीक नीचे टाइपिंग मशीन लेकर बै...

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रघुवन की कहानियां - राम दरबार By Sandeep Shrivastava

रघुवन में आज सुबह से ही प्रसन्नता का वातावरण था। सभी लोग आँखों में प्रसन्नता लिए किसी की प्रतीक्षा कर रहे थे। झुण्ड के झुण्ड रघुवन के बरगदी हनुमान मंदिर की और बढ़े जा रहे थे। बाबा व...

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मेरी चाय...... By Gal Divya

मेरी चाय.......वो बारिश के बाद पकोड़ो के साथ पी हुुुई चाय...वो शर्दी की सुबह कांपते हाथों से पी हुुुई चाय...वो दोस्तों के साथ दुनिया की...

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सफरनामा By तेज साहू

सफरनामा- कभी कभी मेरे दिल मे ख़्याल आता है,की जैसे तुझको बनाया गया है,मेरे लिए...की धीमी आवाज़ में रेलवेस्टेशन के बाहर लाउडस्पीकर में संगीत बज रहा हैं.स्टेशन के अंदर डिस्प्ले में गाड़...

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दो लघुकथाएं...1- मैं कौन हूँ।। 2- इन्द्रधनुष।। By निशा शर्मा

1- मैं कौन हूँ!!!माँ.. माँ... माँ... अरी क्या हुआ ?क्यों गला फाड़ रही है? माँ मैं कौन हूँ? बताओ न माँ कौन हूँ मैं ? अरी हुआ क्या? माँ तुम झूंठ बोलती हो,तुम तो मुझे परी कहती हो और क...

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लघुकथाएँ By Sneh Goswami

बड़ा होता बचपन माँ ! कहाँ है। देख ! मेरे पास क्या है ?पार्वती चूल्हे के सामने बैठी रोटी सेक रही थी। हाथ का काम छोड़ बेटे की ओर हाथ बढ़ाया। " क्या है रे ! दिखा तो .. "गौरव ने पो...

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बूढ़ा घोड़ा By Anil jaiswal

कांतिलाल ने सामने से आ रहे रिक्शा को आवाज लगाई तो रिक्शेवाले ने रिक्शा रोका।कांति की नजर रिक्शेवाले से मिली, तो वह सकपका उठे। यह तो मोहल्ले के ही रामलखन जी थे। अभी तो वह गांव से अप...

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राजनीति का धर्म - नजरिये अपने अपने By Abhinav Singh

दृश्य एक( एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल का डिबेट रूम )बहस का विषय : राजनीति का धर्म या धर्म की राजनीति एंकर- नमस्कार दोस्तों। आपका स्वागत है देश के नम्बर वन न्यूज चैनल फलाना ढिमका पर। द...

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तीन अफसाँचे By Anil Makariya

रामराज★ (लघुकथा-1)"15 साल से निर्विरोध चुनकर आ रहा हूँ, इसबार कौन आ गया बे मेरे खिलाफ पर्चा भरने?"बाहुबली नेता अपने चमचों के बीच विदेशी सोफे पर अपना पहलू बदलते हुए बोले।"सरकार! स्व...

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गांधीजी के वे प्यारे तीन बंदर By Annada patni

गांधी जी के वे प्यारे तीन बंदर अन्नदा पाटनी दरवाज़े पर अजीब सी दस्तक सुनाई दी । देखा तो तीन बंदर थे । मैं डर गई, बोली," अरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? जाओ छत पर जाओ और वहीं कूदो फाँ...

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मजहब By pragati gupta

शाम के छहः बज रहे हैं । पार्क में एक लड़का बैठा है सीट पर तभी पीछे से एक लड़की आकर उस लड़के के बगल में बैठ जाती हैं ।लडके का नाम अर्पित हैं और लडकी का शबाना ।ये दोनों अलग अलग मजहब...

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प्रतिशोध - 2 By S Sinha

क्रमशः अंतिम भाग 2 में पढ़िए क्या रूपाली और शिवम फिर मिल सकते हैं ! भाग 2 - कहानी - प्रतिशोध इसके बाद दोनों में बातचीत तक बंद थी . ट्रेनिंग पूरी होने के बाद शिवम् ने हैदर...

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मैं लौट कर आऊंगा By Rama Sharma Manavi

आज जान्हवी खुश भी थी,साथ ही विगत की यादों के पुनः स्मरण से व्यथित भी थी।आज उसकी प्रिय सखी शुचि अपने डेढ़ साल के बेटे पार्थ एवं पति विनय के साथ आ रही थी।उनके स्वागत की तैयारियों...

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टिफिन By Anil jaiswal

"मिसेज दीपिका वर्मा, आपका बेटा खाली टिफ़िन लेकर स्कूल आता है। भूख लगने पर वह रोज अपने पार्टनर से टिफ़िन मांगकर खाता है।" प्रिंसिपल कहे जा रहे थे और मिसेज वर्मा का चेहरा गुस्से से ला...

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घरौंदा By Priya Gupta

बाजार में अचानक उन्हें इस रूप में देखकर मैं दंग रह गए वह मुझे देख नहीं सकी बाजार में भीड़ काफी था ना कुछ कहती पूछती तब तक वह भीड़ में समा चुकी थी घर आने पर भी मैं सोच में थी कि वह...

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आस्था By Shivani Verma

रजिया बेगम सिलाई मशीन पर बैठी खयालों में इतनी डूबी थी कि उन्हें बाहर दरवाजे पर हुई दस्तक सुनाई नही दी। जोर से दरवाज़ा पीटने की आवाज़ पर उनका ध्यान टूटा।"अरे दुआ बिट...

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साईकिल से स्कूटी तक का सफर By Ruchi Dixit

नई स्कूटी पाकर मन उमंग से भर गया किन्तु साथ मे चिन्तित भी | क्या पता मुझे चलानी आयेगी भी या नही ?? इसे तो देखकर ही भय लगता है | बचपन मे साइकिल चलाने की बड़ी इच्छा थी, उस वक्त मेरी...

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ऑनलाइन पढ़ाई By Kumar Kishan Kirti

"रिया,तुम मोबाइल से क्या कर रही हो?"माँ अपनी बेटी रिया की तरफ गुस्से से देखती हुई चिल्लाकर बोली"कुछ तो नहीं माँ, बस पढ़ाई कर रही हूं"रिया डरती हुई बोलीइतना सुनते ही माँ का गुस...

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पुनर्मिलन By Ratna Raidani

आज आकाश, शुचि, भूमि, समीर और सलिल ने क्षितिज के घर पर मिलना तय किया। बाकी सारे मित्र समय पर पहुँच गए पर समीर को आने में काफी देर लग गयी। उसके आते ही आकाश ने उससे पूछा, "कितनी देर ल...

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लघुकथाएँ By Abha Dave

1)गृह प्रवेश--------------नंदिनी आज सुबह से ही उतावली थी । उसने पूजा की सारी तैयारी कर ली थी बस अपने माता- पिता के आने का इंतजार कर रही थी । नंदिनी के पति और उसके दोनों बच्चे उसके...

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देखो, तुम मरना मत By Anil jaiswal

सारे काम निबटाकर सरिता अपने कमरे में घुसी, तो निढाल हो चुकी थी। रिटायर्ड रमा शंकर पलंग पर बैठे उनका इंतजार कर रहे थे। उन्होंने घड़ी देखी, साढ़े दस बज चुके थे। "आज सब काम खत्म करते कर...

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वो अनजान आदमी By Ashish Garg Raisahab

रात के 11 बज रहे थे , नंदिता अपने दोस्त की बर्थडे पार्टी से लौट रही थी ,कई ऑटो वालों को हाथ दिया मगर किसी ने भी मंगलम विहार की तरफ जाने के लिए हां नही की । कम से कम 3 किलोमीटर का...

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आगोश By rajendra shrivastava

लघुकथा-- आगोश --राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव, कमरे का दरवाजा खोलते ही मधु अन्‍दर चली गई, तत्‍काल बाद ही मैं उसके पीछे-पीछे आ गया। वह प...

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पराई By डिम्पल गौड़

मायके आए हुए मुझे पूरे दस दिन हो चुके थे.पति विशाल से फोन पर बातचीत करने के बाद उठी ही थी कि देखा,माँ अपना बक्सा खोले बैठी है. बक्से के खुलते ही एक चिर-परिचित भीनी सुगन्ध से सुवासि...

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स्वंय से स्वंय तक का सफर By Anant Dhish Aman

"स्वयं क्या है" हम जो दिख रहे होते है वह हम नही है वह एक माया जिसके मोहपाश में हम सभी बंधे होते है ।। अध्यात्म के अनुसार और विज्ञान के अनुसार हमारा निर्माण पंचतत्व से हुआ है जो कि...

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लिखी हुई इबारत - 6 By Jyotsana Kapil

11 -आईना " हमारे बबुआ की तो एक ही डिमांड है की लड़की सुंदर हो ।" एक गुलाब जामुन मुँह में भरते हुए लड़के की माँ ने कहा। " तो हमारी साक्षी कौन सी कम है, देखिये न, कैस...

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वो पल By Vijay Prajapati

कुछ पल याद मै !करीब नौ साल पहलें का एक बिछडा दोस्त मिला। मे बहुत खुश था उस्से देख कर,और वो मुझको देखकर जैसे चमत्कारीक आश्चर्य मै था,वो भी बेईन्तहा खुश था,उसके खुशी के मारे बोलते बो...

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रामू काका By Rajesh Kumar Srivastav

"अरे! बबुआ। तुम कईसे-कईसे यहाँ पहुँच गए।" रामू काका अचानक मुझे दरवाज़े पर खड़ा पाकर हैरान थे। दरवाज़ा खोलकर झट मुझे अपनी गोद में उठाना चाहा। लेकिन अब मैं इतना भारी हो गया था कि काका...

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भीगा बदन नम आँखें By Abha Yadav

वह अकेली थी और वह तीन.सभी का बदन पानी में तर-बतर था.कपड़ों से पानी की बूंदें इस तरह टपक रही थीं ,जैसे पानी का टेप अधखुला रह गया हो. शाम का धुंधलका हो गया था. काले बादलो...

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असलियत(लघुकथा) By Kumar Kishan Kirti

"बाबू जी,मुझे कुछ खाने को दीजिए,बड़ी तेज भूख लगी है"एक नवयुवक भिखारी अपने सामने खड़े रईस व्यक्ति से गिड़गिड़ाते हुए बोला,लेकिन वह रईस व्यक्ति इतना सुनते ही क्रोधित होकर बोला,"चल भ...

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ज़िन्दगी की धूप-छाँव - 13 - अंतिम भाग By Harish Kumar Amit

ज़िन्दगी की धूप-छाँव हरीशं कुमार ’अमित' आदत ‘‘पापा, जल्दी घर आ जाओ. छोटू खेलते-खेलते गिर गया है. सिर से बड़ा खून बह रहा है. मम्मी भी ऑफिस में हैं. डॉक्टर के पास ले जाना पड़ेगा.’’...

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कलमकार हूँ  By AKANKSHA SRIVASTAVA

"मैं एक खुली किताब हूँ तुम जितना मुझे पढ़ोगे पन्नों की तरह तुम मुझमे सिमटते जाओगे हा मैं एक खुली किताब हूँ।" नमस्कार, मित्रों कैसे है आप। बस सोची बहुत दिन हो गया बातचीत हुए,किसी ने...

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