सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • जिंदगी मेरे घर आना - 21

    जिंदगी मेरे घर आना भाग – २१ स्कूल की प्रिंसिपल छाया गुहा को देखकर मम्मी-डैडी एकद...

  • बात बस इतनी सी थी - 23

    बात बस इतनी सी थी 23. इस बार केस जल्दी नंबर पर आ गया था और तारीख भी जल्दी-जल्दी...

  • लता सांध्य-गृह - 2

    पूर्व कथा जानने के लिए प्रथम अध्याय अवश्य पढ़ें ।द्वितीय अध्याय----------...

जिंदगी मेरे घर आना - 21 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग – २१ स्कूल की प्रिंसिपल छाया गुहा को देखकर मम्मी-डैडी एकदम निश्चिन्त हो गए.छाया दी, बहुत स्नेहिल थीं. उन्होंने मम्मी-डैडी को पूरा आश्वासन दिया कि वे नेहा का...

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इक समंदर मेरे अंदर - 23 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (23) उसे छोड़ने से पहले वह भी तो हज़ार बार सोचेगी। सोचेगी ही नहीं, नौकरी छोड़ने के ऑफ्टर इफेक्ट्स भी देखेगी। एक औरत के लिये आर्थिक स्वतंत्रता बहुत माय...

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गवाक्ष - 41 By Pranava Bharti

गवाक्ष 41== कुछ ही देर में कार मंत्री सत्यप्रिय के बंगले के बाहर जाकर रुकी। मार्ग में कुछ अधिक वार्तालाप नहीं हो सका था। मंत्री जी के बंगले के बाहर चिकित्सकों की व अन्य कई...

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बात बस इतनी सी थी - 23 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 23. इस बार केस जल्दी नंबर पर आ गया था और तारीख भी जल्दी-जल्दी लगने लगी थी । छः-सात तारीखों के बाद ही बहस शुरू हो गई थी । मंजरी ने इस केस में मेरी माता जी को कटघरे...

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लता सांध्य-गृह - 2 By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा जानने के लिए प्रथम अध्याय अवश्य पढ़ें ।द्वितीय अध्याय--------------------गतांक से आगे …… समय धीरे धीरे व्यतीत हो रहा है, अब मेरे सांध्य-गृह में 10 सदस्य हो चुके...

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जुगाली By Deepak sharma

जुगाली “वनमाला के दाह-कर्म पर हमारा बहुत पैसा लग गया, मैडम|” अगले दिन जगपाल फिर मेरे दफ़्तर आया, “उसकी तनख्वाह का बकाया आज दिलवा दीजिए|” वनमाला मेरे पति वाले सरकारी कॉलेज में लैब अस...

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30 शेड्स ऑफ बेला - 28 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 28 by Piyush Jain पीयूष जैन लौट आया खुशबुओं वाला चांद लड़ियां उतारी जा रही थीं। बिखरे फूलों का कोने में ढेर लगा था। हवा में खु...

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बंध कमरे का चोरस By Vibha Rani

बंध कमरे का चोरस विभा रानी सुपर्णा की नींद खुली और समवेत स्‍वरों का एक लहराता झोंका खिड़की से होते हुए उसके कानों से टकराया। ढोल, कंसी, झांझ, हारमोनियम के मिले जुले स्‍वर और हरे कृ...

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पापा मैं तारा बन गयी By Goodwin Masih

पापा मैं तारा बन गयी गुडविन मसीह आधी रात गुजर चुकी थी। आर्यन को नींद नहीं आ रही थी। बेचैनी इतनी थी, कि वह बार-बार करबट बदल रहा था और सोच रहा था कि उसे नींद क्यों नहीं आ रही है ? अच...

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लहराता चाँद - 10 By Lata Tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 10 सूफी और अवन्तिका एक ही क्लास में पड़ते थे। पढ़ाई के लिए कभी अवन्तिका सूफी के घर तो कभी सूफी को अनन्या के घर आना जाना रहता था। दोनों के घर...

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उलझन - 13 By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे तेरह बहुत दिनों बाद दादी को घर, घर जैसा लग रहा था। ऐसा उनके हाव-भाव से पता चल रहा था। सबने मिलकर खाना खाया। अभी आता हूँ दीदी जाइयेगा मत’ कहकर चाचा बाहर चले गये।...

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गूगल बॉय - 17 By Madhukant

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 17 सच तो यह है कि स्वैच्छिक रक्तदान करने से लोगों का डर निकल गया। छात्र व युवा तो इसे सम्मान का सूचक मानने लगे। अनेक छोटी-...

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अपने-अपने कारागृह - 2 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह- 1अजय को बिहार कैडर मिला था । उसकी पहली पोस्टिंग समस्तीपुर में हुई थी । समस्तीपुर पोस्टिंग के कारण वह ससुराल में कुछ ही दिन रह पाई थी । उसकी सास क्षमा ने उसे ढे...

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आपकी आराधना - 7 By Pushpendra Kumar Patel

भाग - 07 मनीष ने अपना मोबाइल देखा, अरे! मम्मी के 7 मिस्ड कॉल्स, ऐसी क्या बात हो गयी ? " आराधना अब हमे चलना चाहिए, शायद घर पर सभी वेट कर रहे हैं " मनीष ने...

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मेला By Alok Mishra

अब उसने मेलों में जाने से ही तौबा कर ली थी। शहर में लगने वाले मेले और प्रदर्शनियाँ जैसे उसे मुँह निढ़ाते है। वो अक्सर ऐसे मेलों और प्रदर्शनियो...

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जस्ट इमेजिन-लस्ट इमेजिन By S Choudhary

मन मे निश्चय किया की जल्दी सोया करेंगे, इसलिए 10 बजे ही फोन रख दिया और सोने की कोशिश करने लगे। बराबर वाले बेड पर थोड़ी देर बाद एक भाई फोन पर बात करता हुआ आया और लेट गया। फुसफुसाहट स...

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भूत-प्रेत By HARIYASH RAI

भूत-प्रेत कहते हैं कि ऐसा सदियों पहले होता था पर ऐसा होता आज भी है. राजस्थान का एक गांव .ऐसा गांव सब जगह है . इस गांव की छोटी झोंपड़ी , छोटे आँगन. रामानंद अपनी बीबी नाथी के स...

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 7 By Jitendra Shivhare

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (7) धरम अपने बारे में बता रहा था। नींद कब लगी उसे स्वयं पता नहीं चला। टीना भी गहरी नींद में चली गयी। सुबह हो चूकी थी। धरम ने आंखें ख...

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आपके वास्‍ते By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- आपके वास्‍ते --आर. एन. सुनगरया दो महिने से शशि मोहल्‍ले वालों की चर्चा का विषय बनी हुई है। आज भी राधा, विम...

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हमसफर- (भाग 2) By Kishanlal Sharma

उसका देखा सुनहरा सपना भी आज टूट गया था।काफी दिनों से सजोये सपने के टूटने से वह हताश था और हारे हुए जुआरी की तरह ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन लौट रहा था।उसे दिल्ली के लिए ट्रेन पकड़नी थ...

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हीरों का हार By Mukesh Verma

हीरों का हार श्रीमती अरुणा पॉल समझदार महिला हैं। न केवल अक्ल में बल्कि शक्ल में और उसके भरपूर रखरखाव में भी। वे हर बात पर गंभीरतापूर्वक विचार करतीं। नतीजन, अपने छोटे से शोभित मुख स...

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छल-बल By Deepak sharma

छल-बल आज से साठ साल पहले उस सन् १९५८ के उन दिनों बिट्टो की अम्मा की गर्भावस्था का नवमा महीना चल रहा था| एक दिन बिट्टो के स्कूल जाते समय उसके हाथ में उसके बाबूजी की चाभी रख कर बोलीं...

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किराए का कांधा By Goodwin Masih

किराए का कांधा गुडविन मसीह स्वाति, जब तक तुम्हें मेरा पत्र मिलेगा, हो सकता है, तब तक मैं इस दुनिया से ही कूच कर जाऊं, क्योंकि मुझे फेफड़ों का संक्रमण हो गया है। डाॅक्टरों का कहना है...

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वो लोग : ये लोग By Mukesh Verma

(एक जुड़वा कहानी.) वो लोग : ये लोग — मुकेष वर्मा. वे लोग मेरे पिता शहर की सहकारी पेढ़ी के हैड मुनीम थे। सब लोग उन्हें हैड साब कहकर पुकारते। अमूमन पुलिस के सिपाहियों को इस नाम से जाना...

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आवारा अदाकार - 6 - अंतिम भाग By Vikram Singh

आवारा अदाकार विक्रम सिंह (6) उस दिन मेरी उससे आखिरी मुलाकात हुई। फिर वह मुम्बई चला गया। जितना उसने मुम्बई के बारे में सुना था उससे कहीं भयानक लगा। दादर स्टेशन पर उतरते ही उसने वहाँ...

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कोख By padma sharma

कोख समता उठी तो दिन कुछ ज्यादा ही चढ़ आया था। सास नयनादेवी रसोई की तरफ जा रही थी। समता ने जल्दी से उनके पैर छुए। नयनादेवी ने अपनी भृकुटी केा तनिक ढीला छोड़ते हुए धीरे-धीरे बुदबुदान...

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अनाथ बेटी By पार्थविका की दुनियां

अनाथ बेटी रात के सात – साड़े सात के करीब खुले स्ट्रेट किए बाल, ओठों पर हल्की सी मरून सलवार कमीज़ से मिलती लिपस्टिक लगाएँ। कंधे पर लेडिज पर्स हाथ मे लैपटॉपबेग, कलाई में मेटल वॉच ड़ाले,...

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जिंदगी मेरे घर आना - 21 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग – २१ स्कूल की प्रिंसिपल छाया गुहा को देखकर मम्मी-डैडी एकदम निश्चिन्त हो गए.छाया दी, बहुत स्नेहिल थीं. उन्होंने मम्मी-डैडी को पूरा आश्वासन दिया कि वे नेहा का...

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इक समंदर मेरे अंदर - 23 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (23) उसे छोड़ने से पहले वह भी तो हज़ार बार सोचेगी। सोचेगी ही नहीं, नौकरी छोड़ने के ऑफ्टर इफेक्ट्स भी देखेगी। एक औरत के लिये आर्थिक स्वतंत्रता बहुत माय...

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गवाक्ष - 41 By Pranava Bharti

गवाक्ष 41== कुछ ही देर में कार मंत्री सत्यप्रिय के बंगले के बाहर जाकर रुकी। मार्ग में कुछ अधिक वार्तालाप नहीं हो सका था। मंत्री जी के बंगले के बाहर चिकित्सकों की व अन्य कई...

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बात बस इतनी सी थी - 23 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 23. इस बार केस जल्दी नंबर पर आ गया था और तारीख भी जल्दी-जल्दी लगने लगी थी । छः-सात तारीखों के बाद ही बहस शुरू हो गई थी । मंजरी ने इस केस में मेरी माता जी को कटघरे...

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लता सांध्य-गृह - 2 By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा जानने के लिए प्रथम अध्याय अवश्य पढ़ें ।द्वितीय अध्याय--------------------गतांक से आगे …… समय धीरे धीरे व्यतीत हो रहा है, अब मेरे सांध्य-गृह में 10 सदस्य हो चुके...

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जुगाली By Deepak sharma

जुगाली “वनमाला के दाह-कर्म पर हमारा बहुत पैसा लग गया, मैडम|” अगले दिन जगपाल फिर मेरे दफ़्तर आया, “उसकी तनख्वाह का बकाया आज दिलवा दीजिए|” वनमाला मेरे पति वाले सरकारी कॉलेज में लैब अस...

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30 शेड्स ऑफ बेला - 28 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 28 by Piyush Jain पीयूष जैन लौट आया खुशबुओं वाला चांद लड़ियां उतारी जा रही थीं। बिखरे फूलों का कोने में ढेर लगा था। हवा में खु...

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बंध कमरे का चोरस By Vibha Rani

बंध कमरे का चोरस विभा रानी सुपर्णा की नींद खुली और समवेत स्‍वरों का एक लहराता झोंका खिड़की से होते हुए उसके कानों से टकराया। ढोल, कंसी, झांझ, हारमोनियम के मिले जुले स्‍वर और हरे कृ...

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पापा मैं तारा बन गयी By Goodwin Masih

पापा मैं तारा बन गयी गुडविन मसीह आधी रात गुजर चुकी थी। आर्यन को नींद नहीं आ रही थी। बेचैनी इतनी थी, कि वह बार-बार करबट बदल रहा था और सोच रहा था कि उसे नींद क्यों नहीं आ रही है ? अच...

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लहराता चाँद - 10 By Lata Tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 10 सूफी और अवन्तिका एक ही क्लास में पड़ते थे। पढ़ाई के लिए कभी अवन्तिका सूफी के घर तो कभी सूफी को अनन्या के घर आना जाना रहता था। दोनों के घर...

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उलझन - 13 By Amita Dubey

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गूगल बॉय - 17 By Madhukant

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 17 सच तो यह है कि स्वैच्छिक रक्तदान करने से लोगों का डर निकल गया। छात्र व युवा तो इसे सम्मान का सूचक मानने लगे। अनेक छोटी-...

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अपने-अपने कारागृह - 2 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह- 1अजय को बिहार कैडर मिला था । उसकी पहली पोस्टिंग समस्तीपुर में हुई थी । समस्तीपुर पोस्टिंग के कारण वह ससुराल में कुछ ही दिन रह पाई थी । उसकी सास क्षमा ने उसे ढे...

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आपकी आराधना - 7 By Pushpendra Kumar Patel

भाग - 07 मनीष ने अपना मोबाइल देखा, अरे! मम्मी के 7 मिस्ड कॉल्स, ऐसी क्या बात हो गयी ? " आराधना अब हमे चलना चाहिए, शायद घर पर सभी वेट कर रहे हैं " मनीष ने...

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मन मे निश्चय किया की जल्दी सोया करेंगे, इसलिए 10 बजे ही फोन रख दिया और सोने की कोशिश करने लगे। बराबर वाले बेड पर थोड़ी देर बाद एक भाई फोन पर बात करता हुआ आया और लेट गया। फुसफुसाहट स...

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भूत-प्रेत By HARIYASH RAI

भूत-प्रेत कहते हैं कि ऐसा सदियों पहले होता था पर ऐसा होता आज भी है. राजस्थान का एक गांव .ऐसा गांव सब जगह है . इस गांव की छोटी झोंपड़ी , छोटे आँगन. रामानंद अपनी बीबी नाथी के स...

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 7 By Jitendra Shivhare

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (7) धरम अपने बारे में बता रहा था। नींद कब लगी उसे स्वयं पता नहीं चला। टीना भी गहरी नींद में चली गयी। सुबह हो चूकी थी। धरम ने आंखें ख...

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हमसफर- (भाग 2) By Kishanlal Sharma

उसका देखा सुनहरा सपना भी आज टूट गया था।काफी दिनों से सजोये सपने के टूटने से वह हताश था और हारे हुए जुआरी की तरह ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन लौट रहा था।उसे दिल्ली के लिए ट्रेन पकड़नी थ...

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हीरों का हार By Mukesh Verma

हीरों का हार श्रीमती अरुणा पॉल समझदार महिला हैं। न केवल अक्ल में बल्कि शक्ल में और उसके भरपूर रखरखाव में भी। वे हर बात पर गंभीरतापूर्वक विचार करतीं। नतीजन, अपने छोटे से शोभित मुख स...

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छल-बल By Deepak sharma

छल-बल आज से साठ साल पहले उस सन् १९५८ के उन दिनों बिट्टो की अम्मा की गर्भावस्था का नवमा महीना चल रहा था| एक दिन बिट्टो के स्कूल जाते समय उसके हाथ में उसके बाबूजी की चाभी रख कर बोलीं...

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किराए का कांधा By Goodwin Masih

किराए का कांधा गुडविन मसीह स्वाति, जब तक तुम्हें मेरा पत्र मिलेगा, हो सकता है, तब तक मैं इस दुनिया से ही कूच कर जाऊं, क्योंकि मुझे फेफड़ों का संक्रमण हो गया है। डाॅक्टरों का कहना है...

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वो लोग : ये लोग By Mukesh Verma

(एक जुड़वा कहानी.) वो लोग : ये लोग — मुकेष वर्मा. वे लोग मेरे पिता शहर की सहकारी पेढ़ी के हैड मुनीम थे। सब लोग उन्हें हैड साब कहकर पुकारते। अमूमन पुलिस के सिपाहियों को इस नाम से जाना...

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आवारा अदाकार - 6 - अंतिम भाग By Vikram Singh

आवारा अदाकार विक्रम सिंह (6) उस दिन मेरी उससे आखिरी मुलाकात हुई। फिर वह मुम्बई चला गया। जितना उसने मुम्बई के बारे में सुना था उससे कहीं भयानक लगा। दादर स्टेशन पर उतरते ही उसने वहाँ...

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कोख By padma sharma

कोख समता उठी तो दिन कुछ ज्यादा ही चढ़ आया था। सास नयनादेवी रसोई की तरफ जा रही थी। समता ने जल्दी से उनके पैर छुए। नयनादेवी ने अपनी भृकुटी केा तनिक ढीला छोड़ते हुए धीरे-धीरे बुदबुदान...

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अनाथ बेटी By पार्थविका की दुनियां

अनाथ बेटी रात के सात – साड़े सात के करीब खुले स्ट्रेट किए बाल, ओठों पर हल्की सी मरून सलवार कमीज़ से मिलती लिपस्टिक लगाएँ। कंधे पर लेडिज पर्स हाथ मे लैपटॉपबेग, कलाई में मेटल वॉच ड़ाले,...

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