सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • मंगलकामना

    मंगलकामना ‘टिन-टिन,टिन-टिन, जय गणेश…. जय गणेश...!’ ऊपर के फ्लैट से हवा में तैरती...

  • अन्तिम इच्छा

    अन्तिम इच्छा गुडविन मसीह सत्तर की आयु पार करते ही देवधर के शरीर ने साथ देना छोड़...

  • गवाक्ष - 37

    गवाक्ष 37== कॉस्मॉस के मन को सत्यनिधि की मधुर स्मृति नहला गई । कितना कुछ...

मंगलकामना By Shaily Khadkotkar

मंगलकामना ‘टिन-टिन,टिन-टिन, जय गणेश…. जय गणेश...!’ ऊपर के फ्लैट से हवा में तैरती मद्धम स्वर लहरियाँ श्रद्धा के कानों में पड़ी और उसके हाथों ने काम की रफ्तार बढ़ा दी| अब मातारानी, भोल...

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अन्तिम इच्छा By Goodwin Masih

अन्तिम इच्छा गुडविन मसीह सत्तर की आयु पार करते ही देवधर के शरीर ने साथ देना छोड़ दिया। दमे की शिकायत तो उन्हें काफी समय पहले से थी। सर्दी के दिनों में जब उनकी सांस उखड़ जाती तो खांसत...

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लहराता चाँद - 7 By Lata Tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 7 रात के 10 बज ही थे। अनन्या ने अवन्तिका को खाना खिलाकर सुला दिया और टेबल ऊपर रखी "बाबुल का आँगन" मासिक पत्रिका पलटने लगी। जिसमें संजय का...

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क्या नाम दूँ ..! - 4 - अंतिम भाग By Ajay Shree

क्या नाम दूँ ..! अजयश्री चतुर्थ अध्याय “मैं कब कहती हूँ कि तुम मुझसे प्यार नहीं करते, उसी प्यार का वास्ता ; मुझसे सचमुच प्यार करते हो तो अम्मा-बाबूजी को बता दो और दूसरी शादी कर लो...

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उलझन - 10 By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे दस सौमित्र की पढ़ाई तेज गति से चल रही है। उसमें बाध्ज्ञा आने पर उसे बहुत गुस्सा आता है लेकिन वह कर भी क्या सकता है ? जब उलझनें दोस्तों के रूप में आकर खड़ी हो जाती...

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गूगल बॉय - 14 By Madhukant

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 14 पिछले दस दिन से महा रक्तदान शिविर की तैयारियाँ बड़े उत्साह से चल रही थीं। रेडक्रास सचिव को जब गूगल ने कैम्प लगाने की बा...

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जिंदगी मेरे घर आना - 17 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग- १७ जैसी की आशा थी (और प्रार्थना भी).... युद्ध बंद हो गया। दोनों पक्षों को जान-माल की भारी हानि उठानी पड़ी। पूरे युद्ध में भारत हावी रहा और इसके जवानों ने अपू...

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इक समंदर मेरे अंदर - 19 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (19) बाहर खड़ी होकर वह उन नामों को याद करने लगी जो आसपास रहते थे....लेकिन मुसीबत के समय कोई नाम भी तो याद नहीं आते। वह उन नामों को ज्‍य़ादा तवज्‍जो दे...

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गवाक्ष - 37 By Pranava Bharti

गवाक्ष 37== कॉस्मॉस के मन को सत्यनिधि की मधुर स्मृति नहला गई । कितना कुछ प्राप्त किया था उस नृत्यांगना से जो उसकी 'निधी'बन गया था। निधी ने भी तो यही कहा था – 'स...

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हमसफर - (भाग 1) By Kishanlal Sharma

"तुम्हारे पिता का नाम क्या है।खानदान?जाति?"नरेश को देखते ही देवेन ने कई प्रश्न दाग दिए थे।अप्रत्याशित प्रश्नों को सुनकर पहले तो वह घबराया लेकिन फिर घबराहट पर काबू पाते हुए बोला,"य...

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अपने-अपने कारागृह By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह' मेम साहब फोन ...।' फोन अटेंडेन्ट ने उसे फोन देते हुए कहा।'दीदी कैसी है आप? आपका मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था इसलिए लैंडलाइन पर फोन किया । बताइए आप कब तक...

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आपकी आराधना - 6 By Pushpendra Kumar Patel

भाग - 06 मनीष की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, एक पल को जी करता कि वह अभी अपने पापा को आराधना के बारे मे बता दे, लेकिन असली मुद्दा तो मम्मी को मनाना है, पता नही आ...

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 5 By Jitendra Shivhare

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (5) सुबह की पहली किरण के साथ ही टीना की नींद खुल गयी। धरम भी जाग चूका था। रात को हुये घटनाक्रम की परछाई दोनों के चेहरे पर साफ देखी ज...

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मुनिया मर चुकी थी। By Abdul Gaffar

मुनिया मर चुकी थी। अब्दुल ग़फ़्फ़ार मुनिया तो बहुत देर पहले ही मर चुकी थी लेकिन अर्जुन अपनी पत्नी सुगंधी से बता नही रहा था और चुपचाप बेटी की लाश को कंधे पर लादे चल रहा था। वो सोच र...

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आवारा अदाकार - 5 By Vikram Singh

आवारा अदाकार विक्रम सिंह (5) उस पूरे दिन गुरूवंश मुँह लटकाये घूमता रहा। न किसी से बात कर रहा था न ही किसी से मिलजुल रहा था। वह अपने-आप को बेबस महसूस कर रहा था। हम सब तो यही सोचते र...

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अपने-अपने इन्द्रधनुष - 11 - अंतिम भाग By Neerja Hemendra

अपने-अपने इन्द्रधनुष (11) हरियाली से झूमती सृष्टि मुझे सदा आकर्षित करती रही है। जल भरे बादल न जाने कहाँ से आ कर अकस्मात् भूमि पर बरसने लगते हैं, और मन हर्षित हो उठता है। सांयकाल का...

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बात बस इतनी सी थी - 19 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 19. रात काफी हो चुकी थी और सड़क सुनसान थी । उस समय स्ट्रीट लाइट भी नहीं चल रही थी, इसलिए सुनसान-अंधेरी रात थोड़ी डरावनी हो चली थी । फिर भी, मैं बेफिक्र-सा होकर मं...

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30 शेड्स ऑफ बेला - 24 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 24 by Shilpi Rastogi शिल्पी रस्तोगी भटक रहा है आधा चांद बेला को लगा था, अब जिंदगी ढर्रे पर आ गई है। ऐसे में दिल्ली से आशा का च...

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जय हिन्द की सेना - 17 - अंतिम भाग By Mahendra Bhishma

जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म सत्रह आज प्रातः से ही ठाकुर रणवीर सिंह की कोठी में काफी चहल पहल थी। कोठी के बाहर लॉन में पण्डाल आदि कल शाम को ही लगा लिए गए थे। किसी के पास बात करने...

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दधि, अक्षत और दूर्वा By padma sharma

दधि, अक्षत और दूर्वा रामरतन ने में शालिग्राम को नहलाया फिर दूर्वादल से पानी डाला और उन्हें कपड़े से पोंछकर वस्त्र पहनाये । फिर टीका लगाकर अछत चढ़ाये । उन्होंने प्रसाद भी लगाया । अपनी...

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साइलैंटि किलिंग By HARIYASH RAI

साइलेंट किलिंग भला ये भी कोई जिंदगी है । पहाड़ से भी बड़ा जानलेवा दर्द । अस्पताल के इस बिस्तर पर पड़े–पड़े कब सुबह होती है, कब शाम होती है, कुछ पता ही नहीं चलता । न दिन का एहसास, न रा...

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दिलों की एक आवाज ऊपर उठती हुई... By Mukesh Verma

दिलों की एक आवाज ऊपर उठती हुई... तीन सौ पैंसठवीं मंजिल से गिरते हुये जब वह अपने होश—हवास पर कुछ काबू कर पाया तो उसने देखा कि वह नीचे गिरता ही जा रहा है। वह मदद के लिये उस बड़ी इमारत...

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लमछड़ी By Deepak sharma

लमछड़ी आज डॉक्टर बताते हैं पचास के दशक में आएसौनियज़ेड के हुए अविष्कार के साथ तपेदिक का इलाज सम्भव तथा सुगम हो गया है| किन्तु सन् छप्पन की उस जनवरी में जब डॉक्टर ने उनकी पत्नी के रोग...

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मंजिल By Ramnarayan Sungariya

कहानी मंजिल आर.एन. सुनगरया, झटका लगा !!! मालूम हुआ कि मेरी सगाई कर दी गई है। ‘’किससे ?’’ ‘’ना मालूम......।‘’...

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सुरतिया - 6 - अंतिम भाग By vandana A dubey

गुड्डू ने झटपट अपनी टेबल खाली कर दी थी. बाउजी ने वहीं अपना सामान जमाया. दो-तीन दिन खूब रौनक रही घर में. सुनील कोलकता में है. उसकी बीवी भी बंगाली है. जाने के एक दिन पहले ड्राइंग रूम...

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स्मृति की शीतल छाँह By Pranava Bharti

स्मृति की शीतल छाँह ------------------------- ये ज़िंदगी है जो कभी धूप ,कभी छाँह सी चलती रहती है |ये इंसान को कभी नरम तो कभी गरम थपेड़े मारती ही रहती है | कई बार म...

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दीदी By padma sharma

दीदी सुगंधा ट्रेन में बैठी हुई रास्ते के दृश्य देख रही थी । वह सोच रही थी कि घर पर सभी उसका इंन्तजार कर रहें होगे -- मम्मी-पापा , भैया-भाभी एवं उनके बच्चे । उसने घड़ी पर नजर डाली...

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तीन बहनें By Shiv Shanker Gahlot

तीन बहनें [ कहानी - जी.शिवशंकर ] [ 1 ]हरिद्वार के बाहरी इलाके मे रिटायर्ड ब्रिगेडियर जामवाल ने सबसे पहले एक बड़े प्लॉट पर बड़ा सा मकान बनाया था जिसके बाद ही यहां बसावट शुरु हुई थी...

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अनकही By Rama Sharma Manavi

आज फेसबुक की दुनिया में विचरण करते हुए फ्रेंड सजेशन में एक अत्यंत पुराना परिचित चेहरा प्रौढ़ रूप में सामने दिखाई पड़ गया।यह सोशल मीडिया भी कमाल है,भानुमती के पिटारे की भांति अर...

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विदाई By padma sharma

अंतिम विदाई ...उसका मन आशंका से घिर गया। जैसे ही गली में कदम रखा उसे चाची के घर के सामने भीड़ दिखाई दी । वह चिन्ता में पड़ गई कि इतनी भीड़ किसलिए ? हठात् उसने सोचा कहीं सोनू ...। फि...

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सपने - अवचेतन का प्रतिरूप By Annada patni

सपने - अवचेतन का प्रतिरूप अरे, अरे ! यह क्या, लग तो अम्माँ जैसी रही हैं ।सूती साड़ी, माथे पर बड़ी बिंदी, बाल पीछे बाँधे हुए । हाँ, अम्माँ ही तो हैं । दौड़ कर जाकर उनसे लिपट गई । पू...

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मंगलकामना By Shaily Khadkotkar

मंगलकामना ‘टिन-टिन,टिन-टिन, जय गणेश…. जय गणेश...!’ ऊपर के फ्लैट से हवा में तैरती मद्धम स्वर लहरियाँ श्रद्धा के कानों में पड़ी और उसके हाथों ने काम की रफ्तार बढ़ा दी| अब मातारानी, भोल...

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अन्तिम इच्छा By Goodwin Masih

अन्तिम इच्छा गुडविन मसीह सत्तर की आयु पार करते ही देवधर के शरीर ने साथ देना छोड़ दिया। दमे की शिकायत तो उन्हें काफी समय पहले से थी। सर्दी के दिनों में जब उनकी सांस उखड़ जाती तो खांसत...

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लहराता चाँद - 7 By Lata Tejeswar renuka

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क्या नाम दूँ ..! - 4 - अंतिम भाग By Ajay Shree

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उलझन - 10 By Amita Dubey

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गूगल बॉय - 14 By Madhukant

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गवाक्ष - 37 By Pranava Bharti

गवाक्ष 37== कॉस्मॉस के मन को सत्यनिधि की मधुर स्मृति नहला गई । कितना कुछ प्राप्त किया था उस नृत्यांगना से जो उसकी 'निधी'बन गया था। निधी ने भी तो यही कहा था – 'स...

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अपने-अपने कारागृह By Sudha Adesh

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बात बस इतनी सी थी - 19 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 19. रात काफी हो चुकी थी और सड़क सुनसान थी । उस समय स्ट्रीट लाइट भी नहीं चल रही थी, इसलिए सुनसान-अंधेरी रात थोड़ी डरावनी हो चली थी । फिर भी, मैं बेफिक्र-सा होकर मं...

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30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 24 by Shilpi Rastogi शिल्पी रस्तोगी भटक रहा है आधा चांद बेला को लगा था, अब जिंदगी ढर्रे पर आ गई है। ऐसे में दिल्ली से आशा का च...

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जय हिन्द की सेना - 17 - अंतिम भाग By Mahendra Bhishma

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दधि, अक्षत और दूर्वा By padma sharma

दधि, अक्षत और दूर्वा रामरतन ने में शालिग्राम को नहलाया फिर दूर्वादल से पानी डाला और उन्हें कपड़े से पोंछकर वस्त्र पहनाये । फिर टीका लगाकर अछत चढ़ाये । उन्होंने प्रसाद भी लगाया । अपनी...

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दिलों की एक आवाज ऊपर उठती हुई... By Mukesh Verma

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लमछड़ी By Deepak sharma

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दीदी By padma sharma

दीदी सुगंधा ट्रेन में बैठी हुई रास्ते के दृश्य देख रही थी । वह सोच रही थी कि घर पर सभी उसका इंन्तजार कर रहें होगे -- मम्मी-पापा , भैया-भाभी एवं उनके बच्चे । उसने घड़ी पर नजर डाली...

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तीन बहनें By Shiv Shanker Gahlot

तीन बहनें [ कहानी - जी.शिवशंकर ] [ 1 ]हरिद्वार के बाहरी इलाके मे रिटायर्ड ब्रिगेडियर जामवाल ने सबसे पहले एक बड़े प्लॉट पर बड़ा सा मकान बनाया था जिसके बाद ही यहां बसावट शुरु हुई थी...

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अंतिम विदाई ...उसका मन आशंका से घिर गया। जैसे ही गली में कदम रखा उसे चाची के घर के सामने भीड़ दिखाई दी । वह चिन्ता में पड़ गई कि इतनी भीड़ किसलिए ? हठात् उसने सोचा कहीं सोनू ...। फि...

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सपने - अवचेतन का प्रतिरूप By Annada patni

सपने - अवचेतन का प्रतिरूप अरे, अरे ! यह क्या, लग तो अम्माँ जैसी रही हैं ।सूती साड़ी, माथे पर बड़ी बिंदी, बाल पीछे बाँधे हुए । हाँ, अम्माँ ही तो हैं । दौड़ कर जाकर उनसे लिपट गई । पू...

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