सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • गवाक्ष - 45

    गवाक्ष 45== वह एक सामान्य मनुष्य की भाँति चल रहा था। प्रोफ़ेसर व भक्ति प्...

  • बात बस इतनी सी थी - 27

    बात बस इतनी सी थी 27. घर लौटकर मैंने माता जी को ऑफिस में रखे हुए प्रॉपर्टी पेपर...

  • संदूक में सपना

    कहानी - संदूक में सपनासंदूक में सपनामैं कब से अनमनी सी बैठी कभी अतीत की झांकियों...

गवाक्ष - 45 By Pranava Bharti

गवाक्ष 45== वह एक सामान्य मनुष्य की भाँति चल रहा था। प्रोफ़ेसर व भक्ति प्रश्नचिन्ह बने एक-दूसरे की ओर अपलक निहारने लगे । कुछ पल पश्चात वह शिथिल चरणों से लौट आया । "बहुत गंभी...

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कतरा भर ज़िन्दगी By Goodwin Masih

कतरा भर ज़िन्दगी आईटी मास्टर माइंड के नाम से जाना जाने वाला अविनाश इनफाॅरमेशन टेक्नाॅलोजी की हर सीढ़ी पर चढ़ने के लिए आतुर था। इण्टर की परीक्षा पास करने के बाद जब उसने इनफाॅरमेशन टेक्...

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बात बस इतनी सी थी - 27 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 27. घर लौटकर मैंने माता जी को ऑफिस में रखे हुए प्रॉपर्टी पेपर से संबंधित सारी बातें बतायी । माता जी बोली - "तू बहुत सीधा है, बेटा ! मंजरी इतनी सीधी नहीं है, जितनी...

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संदूक में सपना By Poonam Gujrani Surat

कहानी - संदूक में सपनासंदूक में सपनामैं कब से अनमनी सी बैठी कभी अतीत की झांकियों में खो रही थी, कभी वर्तमान में लौट रही थी तो कभी भविष्य का सपना देखने की कोशिश कर रही थी पर कहीं ‌भ...

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लता सांध्य-गृह - 3 By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा को जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें… तृतीय अध्याय--------------गतांक से आगे…. रमेश जी एवं अभय जी एक कमरे में रहते हैं, वे अभिन्न मित्र होने के साथ साथ समधी...

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सुलझे...अनसुलझे - 3 By Pragati Gupta

सुलझे...अनसुलझे अपने ------- अपने अस्पताल में काउंसिलर के रूप में काम करते हुए मुझे कई साल हो गए थे। काफी देर तक मरीज़ देखने के बाद, जब थकने लगी तो सोचा एक चक्कर कॉरिडोर का लगा कर आ...

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लहराता चाँद - 14 By Lata Tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 14 समय करीब डेढ़ बजने को था। संजय अपने कमरे में आराम चेयर पर बैठ बहुत दिनों बाद डायरी लिख रहा था। अपनी जिन्दगी के 48 साल गुजार दी है उसने।...

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उलझन - 17 By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे सत्रह जज महोदया ने निर्णय अंशिका पर छोड़ा। उन्होंने दोनों के सामने ही उससे पूछा - ‘बेटा ! क्या तुम अपने पापा के साथ एक सप्ताह के लिए जाना चाहती हो।’ ‘जी, केवल एक...

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जिंदगी मेरे घर आना - 24 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग- २४ शरद को ड्राइंग रूम में बैठाकर नेहा ने किचन का रूख किया. जैसा कि उसे अंदेशा था. सोनमती ने ढेर सारी चीज़ें फैला ली थीं और अब लस्त-पस्त हो रही थी. ”इतना सारा...

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इक समंदर मेरे अंदर - 26 - अंतिम भाग By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (26) रविवार आने में देर ही कितनी लगती थी। उस दिन भी वह सुबह जल्‍दी उठी और नाश्‍ते की तैयारी करने लगी। इतने में ससुर किचन में आये और बोले – ‘कामना, हम...

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कैसी आधुनिकता, कैसी मानसिकता By Annada patni

कैसी आधुनिकता, कैसी मानसिकता अन्नदा पाटनी कावेरी का फ़ोन आया," क्या कर रही है ? आजा बैठेंगे। चाय वाय पियेंगे ।" मैं बोली," क्या ख़ाली बैठी है ? "अरे क्या ख़ाली,ख़ाली होते हुए भी भर...

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दशरथ By Deepak sharma

दशरथ “मैं अपना नाम बदलूँगा|” मैंने माँ से कहा| अगले दिन मुझे अपना हाईस्कूल का फॉर्म भरना था और मेरे अध्यापकगण ने मुझे बताया था कि जो भी नाम और जन्मतिथि उस फॉर्म में दर्ज करूँगा फिर...

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इतना बड़ा सच(भाग 3) By Kishanlal Sharma

पिछली बार पंकज आया तब राम बाबू बोले थे,"बहु को भी सा"थ ले जा।"". अभी मैं होस्टल मे रहता हूँ।मकान मिलने पर ले जाऊंगा"आज पंजज ने मकान मिलने कज सूचना दी थी।पत्र पढ़कर राम बाबू ने मन...

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अपने-अपने कारागृह - 3 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह-2अजय का देवघर स्थानांतरण हुआ तो अजय ने अपने मां -पापा को बाबा बैजनाथ के दर्शन के लिए बुला लिया । बुलाया तो अजय ने उसके मम्मी- डैडी को भी था पर वह अपनी व्यावसायिक...

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आपकी आराधना - 8 By Pushpendra Kumar Patel

भाग - 08 " दुश्मन ही तो है, इस लड़की ने न जाने आप दोनो पर क्या जादू कर दिया है, आप ये तक भूल गये कि ये हमारे शॉप की नौकरानी है और आप चाहते हैं कि हम इस...

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कंचन दी By Goodwin Masih

कंचन दी ’’डायरी....? यह किसकी डायरी है और मेरी किताबों में कहाँ से आई ?’’ उस अनजानी डायरी को देखकर राधिका ने अपने मन में कहा और अपने दिमाग पर जोर देकर उस डायरी के बारे में सोचने लग...

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BOYS school WASHROOM - 6 By Akash Saxena "Ansh"

तभी पीछे से यश की पैंट खींचकर विहान यश से पूछता है'क्या हुआ भैया किसे ढूंढ रहे हो आप'... यश एक गहरी सांस लेता है और यश को गोद मे उठा लेता है.... ""तुझे ही ढूंढ रहा था, कहाँ...

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Broken with you... - 1 By Alone Soul

सुबह होगी थी शायद में बस बिस्तर पर लेटी थी थोड़ा सा उदासी सी थी दिल में एक अजीब सा जैसे दर्द सा लग रहा था जैसे किसी का दिल दुखा दिया हो मेरा फोन आज बहुत( vibrate)कर रहा था बस आख़...

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जी उठा तुलसी का पौधा By Sunita Maheshwari

जी उठा तुलसी का पौधा “बन्नो तेरी अँखियाँ सुरमे दानी, बन्नो तेरा टीका लाख का रे......” | शुभदा बड़ी तन्मयता से गाते हुए, गहने पहन कर शीशे में देख रही थी | तभी उसके पति शरद सिंह आए और...

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30 शेड्स ऑफ बेला - 30 - अंतिम भाग By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 30 by Sudarshana Dwivedi सुदर्शना द्विवेदी एक थी बेला " मैं मर जाऊंगा, भूख से जान निकल रही है मेरी। और सब तेरी वजह से रोहित।"...

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ज़िन्दगी सतरंग.. - 1 By Sarita Sharma

अम्मा की नजरें सामने आती स्कूटी की तरफ़ ही टिकी हुई थी.. कौन है? कौन नहीं ये जानने के लिए अम्मा बेख़ौफ़ होकर सड़क पर स्कूटी के सामने ही आ रही थी.. पी..ईईईप....पीईईईईईईईप........ मैं जो...

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आभास By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- आभास आर. एन. सुनगरया आदतानुसार मैंने बाहर से आते ही टेबल पर जेबों का सा...

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दी लॉक डाउन टेल्स :कुछ खट्टी कुछ मीठी - भाग 2 - सपनो का घर By RISHABH PANDEY

विवेक दत्त के दो पुत्र श्याम और राधे थे। विवेक दत्त जी ज्यादा पढे लिखे नही थे लेकिन शिक्षा का महत्व बखूबी समझते थे। इस लिये विवेक दत्त जी ने अपने दोनों ही बेटों को अपनी जी जान लगाक...

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रिश्ते बेमानी By padma sharma

रिश्ते बेमानी कामिनी अपने पति विकास और बच्चे के साथ महाकौशल एक्सप्रेस में झाँसी से जबलपुर की यात्रा पर थी। ट्रेन अपने पूरे वेग से दौड़ रही थी। वे लोग अपनी बर्थ पर फैल-फूट कर ब...

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डॉग शो By Deepak sharma

डॉग शो चन्द्ररूपिणी को उसके माता-पिता के साथ उसके नाना हमारे घर लाए थे| सन् १९६८ में| हमारी छत के एकल कमरे में उन्हें ठहराने| हमारे दादा और उसके नाना एक ही राजनैतिक पार्टी के सदस्य...

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गूगल बॉय - 19 - अंतिम भाग By Madhukant

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 19 पहले तो गूगल घर में बने बाँके बिहारी मन्दिर में जाकर कभी-कभी वन्दना करता था। विशेषकर तब जब उसको परीक्षा देने जाना होता...

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मृत संवेदनाएं By Goodwin Masih

मृत संवेदनाएं गुडविन मसीह दो नौकरों के साथ हरीश ने अपनी दादी जी का रूम खोला और नौकरों को सख्त हिदायत देते हुए कहा,‘‘ दो दिन के अन्दर यह रूम पूरी तरह साफ हो जाना चाहिए, कमरे की एक-ए...

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कैदी नंबर 306 - मिलन By The Real Ghost

‘कैदी नंबर 306’ , ‘कैदी नंबर 306 रिटर्न्ड’ एवं ‘कैदी नंबर 306 - बेगुनाह अपराधी’ मैं आपने पढ़ा की रामखिलावन निहायत ही शरीफ आदमी था और अपनी जीविका चलाने के लिए प्रेस मैं रिपोर्टर का क...

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 8 - अंतिम भाग By Jitendra Shivhare

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (8) "धरम! ये तुम्हें क्या हो गया है। जागो! ये पापीन हम दोनों को मारकर संसार में हा-हा-कार मचा देगी।" बाबा टपाल की आत्मा से ये आवाज़ें...

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गवाक्ष - 45 By Pranava Bharti

गवाक्ष 45== वह एक सामान्य मनुष्य की भाँति चल रहा था। प्रोफ़ेसर व भक्ति प्रश्नचिन्ह बने एक-दूसरे की ओर अपलक निहारने लगे । कुछ पल पश्चात वह शिथिल चरणों से लौट आया । "बहुत गंभी...

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कतरा भर ज़िन्दगी By Goodwin Masih

कतरा भर ज़िन्दगी आईटी मास्टर माइंड के नाम से जाना जाने वाला अविनाश इनफाॅरमेशन टेक्नाॅलोजी की हर सीढ़ी पर चढ़ने के लिए आतुर था। इण्टर की परीक्षा पास करने के बाद जब उसने इनफाॅरमेशन टेक्...

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बात बस इतनी सी थी - 27 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 27. घर लौटकर मैंने माता जी को ऑफिस में रखे हुए प्रॉपर्टी पेपर से संबंधित सारी बातें बतायी । माता जी बोली - "तू बहुत सीधा है, बेटा ! मंजरी इतनी सीधी नहीं है, जितनी...

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संदूक में सपना By Poonam Gujrani Surat

कहानी - संदूक में सपनासंदूक में सपनामैं कब से अनमनी सी बैठी कभी अतीत की झांकियों में खो रही थी, कभी वर्तमान में लौट रही थी तो कभी भविष्य का सपना देखने की कोशिश कर रही थी पर कहीं ‌भ...

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लता सांध्य-गृह - 3 By Rama Sharma Manavi

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सुलझे...अनसुलझे - 3 By Pragati Gupta

सुलझे...अनसुलझे अपने ------- अपने अस्पताल में काउंसिलर के रूप में काम करते हुए मुझे कई साल हो गए थे। काफी देर तक मरीज़ देखने के बाद, जब थकने लगी तो सोचा एक चक्कर कॉरिडोर का लगा कर आ...

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लहराता चाँद - 14 By Lata Tejeswar renuka

लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 14 समय करीब डेढ़ बजने को था। संजय अपने कमरे में आराम चेयर पर बैठ बहुत दिनों बाद डायरी लिख रहा था। अपनी जिन्दगी के 48 साल गुजार दी है उसने।...

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उलझन - 17 By Amita Dubey

उलझन डॉ. अमिता दुबे सत्रह जज महोदया ने निर्णय अंशिका पर छोड़ा। उन्होंने दोनों के सामने ही उससे पूछा - ‘बेटा ! क्या तुम अपने पापा के साथ एक सप्ताह के लिए जाना चाहती हो।’ ‘जी, केवल एक...

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जिंदगी मेरे घर आना - 24 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग- २४ शरद को ड्राइंग रूम में बैठाकर नेहा ने किचन का रूख किया. जैसा कि उसे अंदेशा था. सोनमती ने ढेर सारी चीज़ें फैला ली थीं और अब लस्त-पस्त हो रही थी. ”इतना सारा...

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इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (26) रविवार आने में देर ही कितनी लगती थी। उस दिन भी वह सुबह जल्‍दी उठी और नाश्‍ते की तैयारी करने लगी। इतने में ससुर किचन में आये और बोले – ‘कामना, हम...

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दशरथ By Deepak sharma

दशरथ “मैं अपना नाम बदलूँगा|” मैंने माँ से कहा| अगले दिन मुझे अपना हाईस्कूल का फॉर्म भरना था और मेरे अध्यापकगण ने मुझे बताया था कि जो भी नाम और जन्मतिथि उस फॉर्म में दर्ज करूँगा फिर...

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इतना बड़ा सच(भाग 3) By Kishanlal Sharma

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अपने-अपने कारागृह - 3 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह-2अजय का देवघर स्थानांतरण हुआ तो अजय ने अपने मां -पापा को बाबा बैजनाथ के दर्शन के लिए बुला लिया । बुलाया तो अजय ने उसके मम्मी- डैडी को भी था पर वह अपनी व्यावसायिक...

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कंचन दी By Goodwin Masih

कंचन दी ’’डायरी....? यह किसकी डायरी है और मेरी किताबों में कहाँ से आई ?’’ उस अनजानी डायरी को देखकर राधिका ने अपने मन में कहा और अपने दिमाग पर जोर देकर उस डायरी के बारे में सोचने लग...

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तभी पीछे से यश की पैंट खींचकर विहान यश से पूछता है'क्या हुआ भैया किसे ढूंढ रहे हो आप'... यश एक गहरी सांस लेता है और यश को गोद मे उठा लेता है.... ""तुझे ही ढूंढ रहा था, कहाँ...

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Broken with you... - 1 By Alone Soul

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जी उठा तुलसी का पौधा By Sunita Maheshwari

जी उठा तुलसी का पौधा “बन्नो तेरी अँखियाँ सुरमे दानी, बन्नो तेरा टीका लाख का रे......” | शुभदा बड़ी तन्मयता से गाते हुए, गहने पहन कर शीशे में देख रही थी | तभी उसके पति शरद सिंह आए और...

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डॉग शो By Deepak sharma

डॉग शो चन्द्ररूपिणी को उसके माता-पिता के साथ उसके नाना हमारे घर लाए थे| सन् १९६८ में| हमारी छत के एकल कमरे में उन्हें ठहराने| हमारे दादा और उसके नाना एक ही राजनैतिक पार्टी के सदस्य...

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गूगल बॉय - 19 - अंतिम भाग By Madhukant

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मृत संवेदनाएं By Goodwin Masih

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कैदी नंबर 306 - मिलन By The Real Ghost

‘कैदी नंबर 306’ , ‘कैदी नंबर 306 रिटर्न्ड’ एवं ‘कैदी नंबर 306 - बेगुनाह अपराधी’ मैं आपने पढ़ा की रामखिलावन निहायत ही शरीफ आदमी था और अपनी जीविका चलाने के लिए प्रेस मैं रिपोर्टर का क...

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 8 - अंतिम भाग By Jitendra Shivhare

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