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  • शिकंजी - सी ज़िंदगी

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    अब आगे,अपनी बात कहते हुए अराध्या अपने मुलायम हाथों से अर्जुन के सीने पर वार कर र...

  • सात फेरे हम तेरे - सेकेंड सीजन - भाग - ३१

    माया ने कहा देखा भाई तीन महीने कैसे बीत गए और छोटू भी तीन महीने का हो गया।विक्की...

  • खैर छोड़िए..!!

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  • कहानियाँ

    1. शेर और चूहाएक जंगल था। जंगल का राजा शेर था। वह पेड़ की छाया में सो रहा था। वह...

खूँटे By Kusum Bhatt

‘‘मुझे हवा के घूँट पीने हैं....’’ आवाज झमक कर चेतना में गिरती है... सफेद पिलपिले हाथों से चेहरा घुमाने लगा है बेताल - सीधे..... ‘‘लिजलिजे स्पृश के बोझ तले दबी मेरी गर्दन टीसने लगी...

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कांट्रैक्टर By Arpan Kumar

सब अपने-अपने हिसाब से नौकरी करने आए थे। सब अपने-अपने हिसाब से नौकरी किए जा रहे थे। अगर देखा जाए तो आख़िरकार कोई ऑफिस भला क्या होता है! राजनीति और कार्यनीति का अखाड़ा ही तो। एन.आई.सी....

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खिलता है बुरांश ! By Kusum Bhatt

....आज सांवली शाम का जादू गायब था! वह टहलुई सी चलती रही..., मन का बेड़ा अभी अचानक उठे तूफान के बीच फंसा था...! एक पल को उसके जेहन में खौफनाक विचार उठा - समाप्त कर दे काया माँ... निर...

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अँधेरे में जुगनू By Kusum Bhatt

घर से निकलते समय उसने एक बार भी नहीं सोचा। तूफान का मुकाबला करने की ताकत नहीं थी उसमें। पति ने मारपीट की- बच्चों के सामने! ग्लानि हुई! रोज़-रोज़ गाली-गलौज़, मारपीट... तंग आ गयी थी। वह...

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मोती का पेड By Anita salunkhe Dalvi

पात्र -चार लडके एक लडकी उम्र -7-8-9नाम- प्रेम ,समीर ,ईशान ,राज      राज की बहन रानी        सारे बच्चे अपने मामा की गाव छ...

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प्रतिज्ञा By Munshi Premchand

प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि...

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बेगुनाह गुनेहगार By Monika Verma

सुहानी। एक प्यारी सी लड़की। जो अपने ख्यालो से इस दुनिया को देखती है, समझती है। जिसे संभव असंभव, मुमकिन नामुमकिन, मुश्किल आसान का फर्क समझ नही आता। जो करना चाहती है वो कर के ही रहती...

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एक अपवित्र रात By MB (Official)

उलरिख वॉन जेटजीखोवन के वृत्तान्तों से ली गयी यह कहानी 13वीं सदी की है। बोधकथाओं या प्रकृत कथाओं से अलग यह प्रतीक-कथा अपने समय में एक नया आयाम उद्घाटित करती है।
जब लांसलॉट लड़का ही...

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हुआंग चाउ की बेटी By Sax Rohmer

पब्लिक हाउस के एक सलून बार में, जो चाइनाटाउन की आधिकारिक सीमा से कुछ ही दूरी पर स्थित था, एक कोने में एक छोटे से टेबल पर दो लोग बैठे थे और गंभीर चर्चा में व्यस्त थे। दोनों में कड़ा...

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एक थी सीता By MB (Official)

इत्तफाक की बात कि दक्ष के एक और पुत्री थी - विजया। वह सुन्दर नहीं थी। बुद्धिमान तो थी, पर काफी बुद्धिमान नहीं। किसी पुरुष ने उसकी कामना नहीं की, इसलिए वह बिन ब्याही रह गयी। वह प्रौ...

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खूँटे By Kusum Bhatt

‘‘मुझे हवा के घूँट पीने हैं....’’ आवाज झमक कर चेतना में गिरती है... सफेद पिलपिले हाथों से चेहरा घुमाने लगा है बेताल - सीधे..... ‘‘लिजलिजे स्पृश के बोझ तले दबी मेरी गर्दन टीसने लगी...

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एक अपवित्र रात By MB (Official)

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