लघुकथा कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • बूढ़ी अम्मा

    रवि, जय और खुशी अच्छे दोस्त है तीनों एक ही क्लास में पढ़ते है। शाम के वक्त खुशी ज...

  • जीवन की एक नई शुरुआत

    राजेंद्र जी कमरे में अकेले बैठे एकटक दीवार पर लगी ताजमहल की तस्वीर को निहार रहे...

  • प्रिय वर

    पजानकी : सुंदर सी लड़की, जिसकी शादी हों गई हे। छोटे से शहर की एक आम लड़की।मनोहर :...

किरदार - 1 By Dhruvin Mavani

मुझे जिंदगी की इतनी खूबसूरत कहानी और मेरी पहली किताब देने के लिए उन सभी का शुक्रिया जो मेरी जिंदगी में आये , प्रियल , भौतिक , एनपी , बद्री , निल , प्रशांत यहाँ सभी के नाम तो मैं नह...

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 8 By Pranava Bharti

दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 8-दावत कितना बड़ा जश्न हुआ अनिरुद्ध के बेटा होने पर ! सभी के मुख पर मुस्कान और देह पर सिल्क के लिबास सजे थे | बहू के साथ कूँआ पूजने पर बा...

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मौली ’’मौली’’ By DHIRENDRA BISHT DHiR

(इस कहानी में मौली एक गाय का नाम है। कहानी में मुख्य भूमिका मौली की है उसके बाद एक नन्हे चार वर्षीय बालक की है। बालक बहुत नटखट और शरारती है
पर समय के अनुसार उसे मौली से बहुत लगाव ह...

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एक नई सुबह By Dr Narendra Shukl

टू राकेश चैधरी , सी बलाक्स काटेज़ , टोरेंटो कनाडा ।‘ भारतीय डाक से आये पत्र के लिफाफे पर अपरिचित सी राइटिंग देखकर वह हैरान हो गया । साफ पता चल रहा था कि किसी बच्चे की राइटिंग...

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वृद्धाश्रम By Lata Tejeswar renuka

वृद्धाश्रम**************कुछ ही दिन पहले की बात है, हम एक वृद्धाश्रम गए थे। मैं, मेरी सहेली ममता, उसका पति राहुल और उनके बच्चे रोहन और ईशा। जैसे ही हम वहां पहुंचे, आश्रम की वार्डन न...

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बिन फेरे By Ved Prakash Tyagi

बिन फेरे आनंद के उन पलों में प्रकाश सब कुछ भूलकर पूरी तरह खोया हुआ था कि तभी मानसी ने प्रकाश को अपनी कोमल बाहों में कसकर अपने शरीर से चिपकाते हुए अपना मुंह कान के पास ले जाकर धीरे...

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छलावा By Niyati Kapadia

एक हट्टा कट्टा सुंदरसा नौ जवान शाम के वक्त झाड़ियो के बीच से गुजर रहा था। उसका नाम वीर है। वीर: ये लोग भी कमाल के है सारा शहर छोडकर यहा जंगल में शूटिंग रखने...

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पापा, आप नहीं समझोगे By Ashish Dalal

वही बेचैनी, वही उत्सुकता, वही उतावलापन।जानता हूं, तू नहीं बताएगा और अपने मन में उमड़ते भावों को छिपाने की भरसक चेष्टा करता रहेगा लेकिन मै भी तेरा बाप हूं। सब कुछ समझ कर नासमझ बनना...

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टिंग टोंग By Niyati Kapadia

“टिंग टोंग! टिंग टोंग!”“टिंग टोंग! टिंग टोंग!”“अरे आ रही हूँ कौन बेल मारे जा रहा है?” सरोजने अपने फोन को कानो से दूर कर दरवाजा खोलते हुए कहा और सामने अपनी बेटी को देखते ही खुश होकर...

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रंग थे मेरे पास लेकिन… - 2 By Hetal

में वहा जा पोहोची जहा.....मुझे इस देखे हुए नजारेसे ये लगरहा था की शायद वहा मेरी दोस्त एक कोने में बेठी होगी सहमी हुई सी में उस कमरे में गई मेने पुकारा उसे, लगाकि वो सामने से आकर मु...

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किससे कहूँ By Mahima Shree

“हाँ! हाँ! वही! वाह! दोनों मिल गई” सुबू के हाथों में साड़ी देखते ही रश्मि चहकने लगी। “ला मुझे थमा,“अब नीचे आजा” “रुक जा मैं टेबल पकड़ती हूँ । आराम से उतर, पैर ठीक से जमा के रख।...

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बूढ़ी अम्मा By Niyati Kapadia

रवि, जय और खुशी अच्छे दोस्त है तीनों एक ही क्लास में पढ़ते है। शाम के वक्त खुशी जय के घर जाती है जहा पर रवि भी आया हुआ है।खुशी: क्या सोचा? उस बूढ़ी अम्मा से मिलने जाना है की नहीं?खुश...

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मां का अंतिम समय  By Ashish Dalal

‘बस। अब और नहीं होता मुझसे। परेशान हो गई हूं मैं।’ उसके अंतिम कौर मुंह में डालते ही जूठी थाली उसके सामने से उठाते हुए बड़बड़ाती वह बोली। बादल गरजने के लिए जैसे अनुकूल वातावरण तलाश रह...

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दरका आइना By Renu Gupta

जेठ माह की तपती आग उगलती लंबी रात थी। हवा में बेहद तपिश थी। दुर्गा की टीन-टप्पर की बनी खोली में एक भी खिडक़ी नहीं थी। रात को टीन का दरवाजा जो बंद होता तो पूरी खोली जैसे दमघोंटू भट्ट...

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मिस्टर बेचारा By Niyati Kapadia

सागर धीरे से घर में प्रवेश करता है और कमरे में अपनी पत्नी को ना देखते आराम से आके सोफा पर बैठ जाता है। जरना (सागर की पत्नी): अरे तुम कब आये? बेल बजने की आवाज भी नहीं सुनी, मैंने दर...

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वक्त वक्त की बात है.... By Ajay Kumar Awasthi

बारिश के दिन थे लेकिन वर्षा नही हो रही थी, पर घने काले बादल मंडरा रहे थे । उसके पास रेन कोट नही था, उसने सिर बचाने के लिए केवल प्लास्टिक का एक टुकड़ा साथ रखा था । उसे पहुचने में देर...

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साहब By Satish Sardana Kumar

लघुकथासाहबसाहब राजीव गाँधी के बड़े भक्त थे लेकिन जमाना वी पी सिंह का था।हिंदी अखबार बोल कर बाँचते थे।जो वाक्य समझ न आये बाबुओं से बेहिचक पूछ लेते थे।उनका मुँह लगा और होशियार बाबू मै...

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जीवन की एक नई शुरुआत By Saroj Prajapati

राजेंद्र जी कमरे में अकेले बैठे एकटक दीवार पर लगी ताजमहल की तस्वीर को निहार रहे थे। उन्हें याद है जब सुदेश ने एक बार बड़े प्यार से कहा था कि "चलो ना ताजमहल चलते हैं। मेरी उसे देखने...

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प्रिय वर By Niyati Kapadia

पजानकी : सुंदर सी लड़की, जिसकी शादी हों गई हे। छोटे से शहर की एक आम लड़की।मनोहर : जानकी का पति। हसमुख, सुंदर और जानकी के लिए कुछ भी करने को तैयार। उसकी हसी बहोत ही सुंदर हे। गीता : ज...

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मेरीड दोस्त  By Niyati Kapadia

एक फ्लेट के कमरे में सोफा पर पड़ा एक लड़का सो रहा है। उसके पाँव जमीन पर लटके हुए है वहाँ नीचे एक और लड़का सो रहा है। कमरे में चारो और कागज के टुकड़े और कपड़े बिखरे हुए पड़े है। कल रात को...

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इंतज़ार By Anju Gupta

कहते हैं प्यार किया नहीं जाता बस हो जाता है ! पर ना जाने क्यों, ये अक्सर वहीं क्यों हो जाता है, जहाँ कायदे से इसे नहीं होना चाहिए ! जमीं आसमान का फर्क था उन दोनों के स्तर में ! कहा...

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सन 3019 By Niyati Kapadia

सन 3019 एक हवा में उड़ते स्पेस शीप में से कायरा ने देखा उसका बेटा एक अजीब से प्राणी के साथ जमीन पर खड़ा बाते कर रहा था। उस प्राणी की शक्ल काले रंग के गोल मटके जैसी थी और उसमे से एन्ट...

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फूल गुलाब सी वह लड़की By Ashish Dalal

फूल गुलाब सी वह लड़की शुचि. विश्वास और साहस से भरा वह लड़का अनिकेत. यह उनकी किस्मत ही थी कि कॉलेज की सीढ़ियां साथ उतरकर जिन्दगी की सीढ़ियां चढ़ते हुए नौकरी भी दोनों ने एक ही कम्पनी में...

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मौत तू डराती क्यों है...? By Ajay Kumar Awasthi

कभी अचानक किसी विस्फोट की तरह, किसी मशीन के विशाल जबड़े में फंसकर टुकड़े टुकड़े हो जाना ,किसी तेज रफ्तार गाड़ी के पहिये के नीचे .कभी आहिस्ते से शरीर के किसी एक सिरे से रोग के संक्रमण क...

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लेफ्ट साइड से राइट साइड By Niyati Kapadia

स्वीटी की आज एक्जाम थी, वह समय रहते कॉलेज जाने के लिए निकली थी। पर ये क्या? उसकी गाड़ी के ग्लास पर किसी बर्डने पोटी करदी थी। उसने कपड़े से ग्लास को पोंछा और अंदर बेठ गई। अंदर जाके उस...

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लम्हों की गाथा - 5 By सीमा जैन 'भारत'

13 - बुलबुल
14 - काज़ल
15 - परिवार

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बिदाई By Raje.

मैने-जमाने ने भी देखा था।
सुर्खलाल रंग, तेरी आँखों का,
आसु अपनो से बीछडने के थे, या फिर ....... पता नही ?

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नाकाम या असहाय प्रशासन By NR Omprakash Saini

बात सितम्बर माह की हैं। जब एक 12वी पढ़ने वाली 15 वर्षीय लड़की समाज और परिवार के किसी भी सदस्य से मदद नहीं मिली तो प्रशासन से ही मदद कि एक मात्र आखरी उम्मीद लगा बैठी। उसको लगा अब इस...

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आदत से मजबुर By Niyati Kapadia

आज सुबह से मीनू कुछ उदास सी दिखाई पड रही थी। घरके कामकाज में भी उसका ध्यान न था। बार बार बरतन पटकने की आवाज़े आ रही थी। बीच बीच में पति को भी डांट पड़ रही थी!“कितनी बार कहा तुमसे ये...

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मां बहुत परेशान करती है । By Ashish Dalal

‘देखो, मुझसे नहीं होता अब । सारा दिन थक जाती हूं मैं ।’ खाना खाकर जैसे ही वह हाथ धोकर कुर्सी पर बैठा तो वह दो घड़ी उसके संग बतियाने को उसके पास आकर बैठ गई । ‘कामवाली रख लो ।’ दांत क...

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मृणालिनी By Ashka Shukal

© आशका शुक्ल "टीनी" © यह रचना के सारे कॉपीराइट्स लेखक के खुद के हाथों में है । अगर यह रचना कोई भी जगह पर पर्सनल वेबसाइट, कोई पुस्तक या कोई ऑडियो या वीडियो स्वरूप से लेखक की मंज़ूर...

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पिता की छाया By Hareesh Kumar Sharma

मां ने अगर बच्चे को खाना खाना सिखाया है तो वहीं पर पिता बच्चे को खाना कमाना कर सिखाया है।मां अगर डांट से बचाकर हमें अपने आंचल में छुपा ती है तो वहीं पर पिता हमें डांट कर समाज में ख...

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लघुकथाएँ (दिव्यदान, कोथली) By Gyan Prakash Peeyush

दिव्य दान.......................मोहन सिंह मामूली हैसियत का आदमी था। उसने मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बना दिया था। उसके बेटे- बहू बहुत अच्छे स्वभाव के थे। समय पर उस...

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इंदिरा एकादशी व्रत कथा  By Jyoti Prakash Rai

हम और आप सभी अपने अपने धार्मिक परंपराओं के अनुसार हर कार्य को सोच समझ कर ही करते हैं ! हमारे भारत मे छह ऋतुए हैं १. शरद ऋतु- इसे पतझड़ का मौसम भी कहते है। गर्मी कम हो जाती है और वा...

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दो लघुकथाएं By Krishna manu

लघुकथा1.भस्मासुर - अलख निरंजन!- आ जाइए बाबा पेड़ की छाह में। बाबा के आते ही वह हाथ जोड़कर खड़ा हो गया- आज्ञा महाराज। बाबा ने खटिया पर आसन जमाया। बोले- बच्चा, तेरा चेहरा मुरझाया...

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दिवाली के फटाके By आदित्य पारीक

मोहल्ले के घरों में रंग रोशन हो रहा था और उनसे निकलने वाली भीनी भीनी गंध ने माधव को दीवाली के आने का संकेत दे दिया माधव ने उत्सुकता से माँ से पूछा "हमारे घर में रंग नही होगा क्या म...

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ऐसी वाणी बोलिए… By Saroj Prajapati

राजेंद्र जी एक साधारण किसान परिवार से थे। बहुत कम उम्र में उनके पिता का निधन हो गया तो बड़ा बेटा होने के कारण सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही आ गई। अपना मां का हाथ बटाने के लिए उन...

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एक जंगल एक भाषा By Siraj Ansari

एक बार जंगल की सत्ता सियारों के हाथ लग गयी। उन्होंने "हुआ-हुआ" की आवाज़ को ही जंगल की राष्ट्रभाषा घोषित करने का निश्चय किया और अंदर ही अंदर जंगल के नियम कानून ताक पर रख कर, घालमेल क...

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किरदार - 1 By Dhruvin Mavani

मुझे जिंदगी की इतनी खूबसूरत कहानी और मेरी पहली किताब देने के लिए उन सभी का शुक्रिया जो मेरी जिंदगी में आये , प्रियल , भौतिक , एनपी , बद्री , निल , प्रशांत यहाँ सभी के नाम तो मैं नह...

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 8 By Pranava Bharti

दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 8-दावत कितना बड़ा जश्न हुआ अनिरुद्ध के बेटा होने पर ! सभी के मुख पर मुस्कान और देह पर सिल्क के लिबास सजे थे | बहू के साथ कूँआ पूजने पर बा...

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मौली ’’मौली’’ By DHIRENDRA BISHT DHiR

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एक नई सुबह By Dr Narendra Shukl

टू राकेश चैधरी , सी बलाक्स काटेज़ , टोरेंटो कनाडा ।‘ भारतीय डाक से आये पत्र के लिफाफे पर अपरिचित सी राइटिंग देखकर वह हैरान हो गया । साफ पता चल रहा था कि किसी बच्चे की राइटिंग...

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वृद्धाश्रम By Lata Tejeswar renuka

वृद्धाश्रम**************कुछ ही दिन पहले की बात है, हम एक वृद्धाश्रम गए थे। मैं, मेरी सहेली ममता, उसका पति राहुल और उनके बच्चे रोहन और ईशा। जैसे ही हम वहां पहुंचे, आश्रम की वार्डन न...

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बिन फेरे By Ved Prakash Tyagi

बिन फेरे आनंद के उन पलों में प्रकाश सब कुछ भूलकर पूरी तरह खोया हुआ था कि तभी मानसी ने प्रकाश को अपनी कोमल बाहों में कसकर अपने शरीर से चिपकाते हुए अपना मुंह कान के पास ले जाकर धीरे...

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छलावा By Niyati Kapadia

एक हट्टा कट्टा सुंदरसा नौ जवान शाम के वक्त झाड़ियो के बीच से गुजर रहा था। उसका नाम वीर है। वीर: ये लोग भी कमाल के है सारा शहर छोडकर यहा जंगल में शूटिंग रखने...

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पापा, आप नहीं समझोगे By Ashish Dalal

वही बेचैनी, वही उत्सुकता, वही उतावलापन।जानता हूं, तू नहीं बताएगा और अपने मन में उमड़ते भावों को छिपाने की भरसक चेष्टा करता रहेगा लेकिन मै भी तेरा बाप हूं। सब कुछ समझ कर नासमझ बनना...

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टिंग टोंग By Niyati Kapadia

“टिंग टोंग! टिंग टोंग!”“टिंग टोंग! टिंग टोंग!”“अरे आ रही हूँ कौन बेल मारे जा रहा है?” सरोजने अपने फोन को कानो से दूर कर दरवाजा खोलते हुए कहा और सामने अपनी बेटी को देखते ही खुश होकर...

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रंग थे मेरे पास लेकिन… - 2 By Hetal

में वहा जा पोहोची जहा.....मुझे इस देखे हुए नजारेसे ये लगरहा था की शायद वहा मेरी दोस्त एक कोने में बेठी होगी सहमी हुई सी में उस कमरे में गई मेने पुकारा उसे, लगाकि वो सामने से आकर मु...

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किससे कहूँ By Mahima Shree

“हाँ! हाँ! वही! वाह! दोनों मिल गई” सुबू के हाथों में साड़ी देखते ही रश्मि चहकने लगी। “ला मुझे थमा,“अब नीचे आजा” “रुक जा मैं टेबल पकड़ती हूँ । आराम से उतर, पैर ठीक से जमा के रख।...

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बूढ़ी अम्मा By Niyati Kapadia

रवि, जय और खुशी अच्छे दोस्त है तीनों एक ही क्लास में पढ़ते है। शाम के वक्त खुशी जय के घर जाती है जहा पर रवि भी आया हुआ है।खुशी: क्या सोचा? उस बूढ़ी अम्मा से मिलने जाना है की नहीं?खुश...

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‘बस। अब और नहीं होता मुझसे। परेशान हो गई हूं मैं।’ उसके अंतिम कौर मुंह में डालते ही जूठी थाली उसके सामने से उठाते हुए बड़बड़ाती वह बोली। बादल गरजने के लिए जैसे अनुकूल वातावरण तलाश रह...

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दरका आइना By Renu Gupta

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वक्त वक्त की बात है.... By Ajay Kumar Awasthi

बारिश के दिन थे लेकिन वर्षा नही हो रही थी, पर घने काले बादल मंडरा रहे थे । उसके पास रेन कोट नही था, उसने सिर बचाने के लिए केवल प्लास्टिक का एक टुकड़ा साथ रखा था । उसे पहुचने में देर...

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साहब By Satish Sardana Kumar

लघुकथासाहबसाहब राजीव गाँधी के बड़े भक्त थे लेकिन जमाना वी पी सिंह का था।हिंदी अखबार बोल कर बाँचते थे।जो वाक्य समझ न आये बाबुओं से बेहिचक पूछ लेते थे।उनका मुँह लगा और होशियार बाबू मै...

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जीवन की एक नई शुरुआत By Saroj Prajapati

राजेंद्र जी कमरे में अकेले बैठे एकटक दीवार पर लगी ताजमहल की तस्वीर को निहार रहे थे। उन्हें याद है जब सुदेश ने एक बार बड़े प्यार से कहा था कि "चलो ना ताजमहल चलते हैं। मेरी उसे देखने...

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प्रिय वर By Niyati Kapadia

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मेरीड दोस्त  By Niyati Kapadia

एक फ्लेट के कमरे में सोफा पर पड़ा एक लड़का सो रहा है। उसके पाँव जमीन पर लटके हुए है वहाँ नीचे एक और लड़का सो रहा है। कमरे में चारो और कागज के टुकड़े और कपड़े बिखरे हुए पड़े है। कल रात को...

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इंतज़ार By Anju Gupta

कहते हैं प्यार किया नहीं जाता बस हो जाता है ! पर ना जाने क्यों, ये अक्सर वहीं क्यों हो जाता है, जहाँ कायदे से इसे नहीं होना चाहिए ! जमीं आसमान का फर्क था उन दोनों के स्तर में ! कहा...

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सन 3019 By Niyati Kapadia

सन 3019 एक हवा में उड़ते स्पेस शीप में से कायरा ने देखा उसका बेटा एक अजीब से प्राणी के साथ जमीन पर खड़ा बाते कर रहा था। उस प्राणी की शक्ल काले रंग के गोल मटके जैसी थी और उसमे से एन्ट...

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फूल गुलाब सी वह लड़की By Ashish Dalal

फूल गुलाब सी वह लड़की शुचि. विश्वास और साहस से भरा वह लड़का अनिकेत. यह उनकी किस्मत ही थी कि कॉलेज की सीढ़ियां साथ उतरकर जिन्दगी की सीढ़ियां चढ़ते हुए नौकरी भी दोनों ने एक ही कम्पनी में...

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मौत तू डराती क्यों है...? By Ajay Kumar Awasthi

कभी अचानक किसी विस्फोट की तरह, किसी मशीन के विशाल जबड़े में फंसकर टुकड़े टुकड़े हो जाना ,किसी तेज रफ्तार गाड़ी के पहिये के नीचे .कभी आहिस्ते से शरीर के किसी एक सिरे से रोग के संक्रमण क...

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लेफ्ट साइड से राइट साइड By Niyati Kapadia

स्वीटी की आज एक्जाम थी, वह समय रहते कॉलेज जाने के लिए निकली थी। पर ये क्या? उसकी गाड़ी के ग्लास पर किसी बर्डने पोटी करदी थी। उसने कपड़े से ग्लास को पोंछा और अंदर बेठ गई। अंदर जाके उस...

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13 - बुलबुल
14 - काज़ल
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नाकाम या असहाय प्रशासन By NR Omprakash Saini

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आदत से मजबुर By Niyati Kapadia

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मां बहुत परेशान करती है । By Ashish Dalal

‘देखो, मुझसे नहीं होता अब । सारा दिन थक जाती हूं मैं ।’ खाना खाकर जैसे ही वह हाथ धोकर कुर्सी पर बैठा तो वह दो घड़ी उसके संग बतियाने को उसके पास आकर बैठ गई । ‘कामवाली रख लो ।’ दांत क...

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मृणालिनी By Ashka Shukal

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पिता की छाया By Hareesh Kumar Sharma

मां ने अगर बच्चे को खाना खाना सिखाया है तो वहीं पर पिता बच्चे को खाना कमाना कर सिखाया है।मां अगर डांट से बचाकर हमें अपने आंचल में छुपा ती है तो वहीं पर पिता हमें डांट कर समाज में ख...

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लघुकथाएँ (दिव्यदान, कोथली) By Gyan Prakash Peeyush

दिव्य दान.......................मोहन सिंह मामूली हैसियत का आदमी था। उसने मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बना दिया था। उसके बेटे- बहू बहुत अच्छे स्वभाव के थे। समय पर उस...

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इंदिरा एकादशी व्रत कथा  By Jyoti Prakash Rai

हम और आप सभी अपने अपने धार्मिक परंपराओं के अनुसार हर कार्य को सोच समझ कर ही करते हैं ! हमारे भारत मे छह ऋतुए हैं १. शरद ऋतु- इसे पतझड़ का मौसम भी कहते है। गर्मी कम हो जाती है और वा...

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दो लघुकथाएं By Krishna manu

लघुकथा1.भस्मासुर - अलख निरंजन!- आ जाइए बाबा पेड़ की छाह में। बाबा के आते ही वह हाथ जोड़कर खड़ा हो गया- आज्ञा महाराज। बाबा ने खटिया पर आसन जमाया। बोले- बच्चा, तेरा चेहरा मुरझाया...

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दिवाली के फटाके By आदित्य पारीक

मोहल्ले के घरों में रंग रोशन हो रहा था और उनसे निकलने वाली भीनी भीनी गंध ने माधव को दीवाली के आने का संकेत दे दिया माधव ने उत्सुकता से माँ से पूछा "हमारे घर में रंग नही होगा क्या म...

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ऐसी वाणी बोलिए… By Saroj Prajapati

राजेंद्र जी एक साधारण किसान परिवार से थे। बहुत कम उम्र में उनके पिता का निधन हो गया तो बड़ा बेटा होने के कारण सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही आ गई। अपना मां का हाथ बटाने के लिए उन...

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एक जंगल एक भाषा By Siraj Ansari

एक बार जंगल की सत्ता सियारों के हाथ लग गयी। उन्होंने "हुआ-हुआ" की आवाज़ को ही जंगल की राष्ट्रभाषा घोषित करने का निश्चय किया और अंदर ही अंदर जंगल के नियम कानून ताक पर रख कर, घालमेल क...

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