लघुकथा कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • गरीब और न्याय

    बात उस समय की है जब मैने वकालत की थी और प्रैक्टिस के लिए कोर्ट जाना शुरू क्या था...

  • पेंच

    (1) सुरेश शांडिल्य का उल्लेख सबसे पहले मां ने किया था: "तुम्हारी उषा के बैंक में...

  • साझा क्या ?

    आसमान थोड़ा खुला तो कली ने शॉपर्स स्टॉप का रास्ता पकड़ा।रविवार को कली न ऑफिस का...

गरीब और न्याय By NEELKAMAL GAUTAM

बात उस समय की है जब मैने वकालत की थी और प्रैक्टिस के लिए कोर्ट जाना शुरू क्या था पास के ही जानने वालो ने एक अपने मिलने वाले वकील का नंबर दिया था कोर्ट का पहला दिन था मन मै अलग अलग...

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पेंच By Deepak sharma

(1) सुरेश शांडिल्य का उल्लेख सबसे पहले मां ने किया था: "तुम्हारी उषा के बैंक में कोई एक सुरेश शांडिल्य है, आयु उसकी पच्चीस वर्ष है, कद पांच फुट दस इंच है और है भी पक्का शाकाहारी। उ...

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नीम का पेड़ (भाग 15) By Kishanlal Sharma

47--जगह"क्या बात है,सुस्त लग रहे हो?"अभिषेक के पिता का स्वर्गवास हो गया था।रविवार का दिन मण्डल कार्यालय की छुट्टी थी।जिन्हें जल्दी समाचार मिल गया वे लोग अभिषेक के घर पहुंव गए थे।जि...

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एक अनोखा रिस्ता। - 6 By Lalit Raj

राजाराम से मिली अपनी माँ की डायरी को राज पढना शुरू करता है।डायरीवेसे मुझे लिखने का शोक नहीं लेकिन मेरी जिंदगी में आज एक नई शुरुआत हुई और इसलिए आज से लिखने के भी चाहत बढ गई।आज मेरा...

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युद्ध - 1 By Manish Sidana

"सुनो जी,दिल्ली जाने के लिए टैक्सी बुक करा दी,बस तीन ही दिन रह गए है।तीन दिन बाद अपना राहुल डॉक्टर बनकर यूक्रेन से लौट रहा है"..वीना ने उत्साह के साथ मनोज से कहा। "हां ,मैने टैक्सी...

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साझा क्या ? By Pallavi Pandey

आसमान थोड़ा खुला तो कली ने शॉपर्स स्टॉप का रास्ता पकड़ा।रविवार को कली न ऑफिस का काम करती थी, न किसी सहकर्मी से ऐसी आशा रखती थी । पर आज उसने ऑफिस ड्राइवर को बुला ही भेजा ।पुणे की बा...

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जेन ऑस्टिन - 2 By Jitin Tyagi

अध्याय- 2गांवों की तरह छोटे कस्बों की भी ख़ासियत यही होती है। कि मोहल्ले जातियों के आधार पर बटें होते हैं। किसी एक मोहल्ले में एक जाति का और दूसरे में दूसरी का वर्चस्व पाया जाता हैं...

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साहब का अफ़सोस By Prabodh Kumar Govil

"साहब का अफ़सोस" बात उन दिनों की है जब हमारे देश में अंग्रेज़ों का आगमन हो चुका था। शहरों पर तो उनका आधिपत्य हो ही चुका था, गांव भी उनकी चकाचौंध से अछूते नहीं रहे थे। वे लोग साम दा...

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उड़ान By Manisha Agarwal

मेरा नाम‌ मिनी है। मैं राजस्थान के एक छोटे से गांव की रहने वाली हूं। मैं बचपन से ही कम बोलने वाली शांत रहने वाली लड़की हूं। मेरी एक आदत थी कि मैं अपनी बातें दूसरों से नहीं कह पाती...

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चार लघुकथाएं By Ranjana Jaiswal

अच्छे पापा दिन भर दफ्तर में खटकर मैं जल्दी-जल्दी घर लौट रहा था |बार-बार बेटे का चेहरा आँखों के सामने डोल जाता |आठ साल का गोलू-मोलू सा बेटा पप्पू ...इधर नाराज होना सीख गया है |जब से...

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आत्मग्लानि - भाग -1 By Ruchi Dixit

माई थब थाई दये !! तैं दंदी है | तै हमछे बात न कलिहै | आज यह स्वर कानो मे गूँज कर एक अपराध बोध के साथ हृदय को दृवित करे जा रहा है | बात उन दिनो की है जब हमारी काम वाली जो कि बहुत सा...

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वामांगी By Kalpana Bhatt

वामांगी२१ फरवरी,१९९२ की बात है, इस दिन और वर्ष को कैसे भूल सकती हूँ| इसी दिन तो उनके घर में एक हादसा हुआ था | वह मेरे पड़ोस में ही तो रहते थे, भूषण जी, उनकी पत्नी वामांगी एवं उनकी इ...

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गर्व क्यों? By Prabodh Kumar Govil

मैं शाम के समय एक बगीचे में टहल रहा था। तभी मुझे एक छोटा प्यारा सा बच्चा दिखा। मैंने बच्चे से कुछ बात करने की गर्ज़ से उसकी ओर हाथ हिला दिया। मैंने सोचा था कि वो हंसकर जवाब देगा, प...

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आशिक़ी....। By Kumar Kishan Kirti

"मैं राजन के बिना जिंदा नहीं रह सकती हूँ,क्योंकि मैं उससे प्यार करती हूँ।और यह मेरी आखिरी फैसला है।"इतना कहने के साथ ही रजनी की आँखें नम हो गई।मगर उसके पिता सोहनलाल अपने जिद पर अड़े...

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अनसुलझा प्रश्न (भाग 6) By Kishanlal Sharma

16--पैसा परिवारवह मजदूर था।काम करना चाहता था।लेकिन गांव छोटा होने की वजह से काम कम था।कभी कभी उसे कई दिनों तक काम नही मिलता था।ऐसा होने पर किसी दिन घर मे चूल्हा भी नही जलता था।उसे...

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अधूरी दास्तां By shivani singh

अरे वाह ! आज मौसम कितना अच्छा है राहुल और मनोज दोनो अपनी पढ़ाई को खत्म करके बाहर टहलने अपनी कमरे के बाहर छत पर आए दोनो ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। औऱ ही एक ही कमरे म...

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कर्तव्य की अवहेलना By Rajesh Maheshwari

कर्तव्य की अवहेलना हम जबलपुर से हावड़ा जा रहे थे। मेरे साथ मेरे दो मित्र थे। उन दोनों में से एक मित्र को शराब की लत थी। गाड़ी जब सतना के पास पहुँची तब तक शाम हो चली थी लेकिन उनके स्ट...

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दर्ज़ी की सुई By Deepak sharma

सन् सैंतालीस के फसाद की जब भी बात छिड़ती है मुझे श्रीमती खुशीचंद याद आती हैं । डायरी लिखने की अपनी आदत मैंने उन्हीं से सीखी । और सच पूछिए तो मुझे इस आदत से लाभ भी पहुँचा । एक तो डाय...

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तक़दीर की खोटी By Deepak sharma

देहली के एक बडे हॉल में अगले माह मेरे चित्रों की एक एकल प्रदर्शनी आयोजित की जा रही थी । उस शाम मैं एक महत्वपूर्ण चित्र पर काम कर रहा था । एक टूटे दर्पण में एक साबुत मानवी चेहरे के...

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सांझा तल By Deepak sharma

उस दिन मां को बुखार तेज रहा । ’’बुखार जूड़ी से शुरू हुआ है, ’’ मेरे डाक्टर पिता ने अपने पेशेवर निरीक्षण के बाद थर्मामीटर और स्टेथोस्कोप शशि मौसी को सौंप दिए...

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वे बहत्तर घण्टे By Rajesh Maheshwari

मेरा यह प्रयास समर्पित है श्रृद्धेय श्री वेणुगोपाल जी बांगड़ को जिनकी पितृव्य स्नेह स्निग्ध छाया ने प्रदान किया है हर पल संरक्षण और सम्बल आत्...

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गुड़िया   By Ratna Pandey

राधा के हाथों में अपनी बेटी आलिया की गुड़िया देखते ही उसकी माँ ने राधा से वह गुड़िया छीनते हुए कहा, "अरे पुष्पा अपनी बेटी को क्यों लेकर आती हो, आलिया की इतनी महंगी-महंगी गुड़िया रो...

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कलेजे का टुकड़ा By Deepak sharma

आपने कहा, आपने कस्बापुर से मैट्रिक पास की ? सन् सड़सठ में ? मिनर्वा हाई स्कूल से ? तीन साल पहले कस्बापुर में वहीं एक हाईस्कूल रहा... तेजपाल भंडारी याद है आपको ? आपने उनसे भूगोल पढ़...

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मेरी गर्लफ्रैंड - अन्तिम भाग By Jitin Tyagi

मैं सुन्नु द कुल्फी पर बैठा हुआ उसके बारे में सोच ही रहा था कि अचानक से मेरे उल्टे कान में उसकी वो आवाज़ पड़ी जिसे कभी सुनना मेरे लिए दिन का सबसे अच्छा काम था। “आँखों से आस-पास की लड़...

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कैंपिंग इन धी फोरेस्ट By Chandani

कैंपिंग इन धी फोरेस्ट जंगलबूक, एपोकलिप्स नाउ, किंगकोंग, टार्जन या जुमांजी वेलकम टू जंगल ये सारे जंगल से जुड़े मूवीज़ दिखने में कितने अच्छे लगते है ना? पर क्या जंगल में रहना इतना आस...

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संतुष्टि By Shwet Kumar Sinha

एक ढलती शाम। आती-जाती मोटरगाड़ियों व पैदल चलते लोगों के कोलाहल के बीच वह सड़क के किनारे खड़ी अपना ग्राहक तलाश रही थी। यह चढ़ती महंगाई की मार थी या उसकी ढलती जवानी का असर, जिससे पतझड़ के...

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वकालतः Hostility Pays Not By Ashok Kalra

“सर मैं अगले महीने से आपके साथ काम नहीं कर पाऊँगा, मुझे साथ वाले वकील साहब दो हजार रुपये ज्यादा तनख्वाह दे रहे हैं," वकील साहब के सहायक ने सूचित किया। “जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, बेटा। त...

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खटका By Deepak sharma

’’मैं उस घड़ी को पास से देखना चाहती हूँ’’, मधु फिर कहती है । इस अजनबी शहर में हम दोनों अपने विवाह के प्रमोद काल के अन्तर्गत विचर रहे हैं, और जब से उसने हमारे...

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है या नहीं ?? By Anjali Dasuni

bas ab hata deti hu bahot huavgsvshsbsubdudbdudbdjdbdb

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खुराक By Deepak sharma

’’ माँ कैसी लगीं ?’’ सगाई की रस्म के बाद रेवती को मैं अपने साथ बाहर ले आया । ’’उन्हें लेकर मेरे मन में अभी उत्सुकता है । उन्हें मैं अभी और जानना...

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पगली: Humanity Needs Responsibility By Ashok Kalra

“गाड़ी आज ज़रा बाज़ार की तरफ से लेना, कुछ बरतन खरीदने हैं, बाहर का खाना मैं ज्यादा दिन नहीं खा सकता,” ड्राइवर ने सुनते ही गाड़ी का स्टियरिंग बाज़ार की तरफ घुमा दिया। मैं इस शहर में अके...

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उलझन By shivani singh

रीमा तुम ये क्या कर रही हो तुम होश में तो हो तुम्हें समझ नहीं आता में कितनी बार कह चुका की तुम अपना हाल इस तरह मत बनाया करो..।तुम क्या कह रहे हो तुम्हे ये मेरा हाल .. ।नहीं तुम तो...

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मै एक वकील हूं By NEELKAMAL GAUTAM

मेरा सपना था एक वकील बनने का कुछ समाज के लिए करने का कुछ समय बाद मैंने प्रवेश ले लिया और तीन साल मै मैंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी कर बहुत खुश हुआ और सोचने लगा अब तो में घर और समाज के...

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वो फूल रानी By Pallavi Pandey

( हरीश )बीस बरस बाद उस शहर जाना हो रहा था जिधर ये कहानी शुरू हुई थी। जन्मभूमि नही, मेरी कर्मभूमि ।।घर पड़ोस के जिले के एक गांव में था। बारहवीं तक तो जस तस कर खींच लिया, फिर इंजीनि...

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कम नहीं है वो By shivani singh

।नौजन अपने खेत से काम करके आ रहा था । जून माह की भीषण गर्मी ऊपर से उसके पास पहनने को सही कपड़े भी न थे । सूरज की तपती आग मानो उसकी देह को जला रही हो लेकिन उसके मुख पर एक मुस्कान थ...

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प्यार की दो बाते By Mehul Pasaya

औए होये माय बिलो क्या हाल है कहा जा रहे हो इतनी जल्दी जल्दी, चलो हम छोड देते है आपकी मंज़िल तकजी नही हम चले जायेंगे शुक्रिया, और हा ऐसे मेरे पीछे पीछे ना आया करो वर्ना शमश्या हो जाय...

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राखी By Priya Maurya

उसको आज मैने फिर देखा बाजार में हर साल रक्षाबंधन पर वो दुकान से मिठाईया और राखी ले जाता था। उसकी कोई बहन भी नही थी फिर भी वो किसके लिये ले जाता था पता नहीं। मै उसे पांच सालो से देख...

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बालकनी में मुस्कान By Lalit Rathod

लिखना चीजों को खूबसूरत बनाने की एक प्रक्रिया है। मेरा घर वास्तव में खूबसूरत है। इसे बार-बार साफ करना हमेशा जवान रखने जैसा है। अक्सर दोस्तों से कहता हूं मेरा घर मेरी तरह जवान है क्य...

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शिकायतों की टोकरी भगवान जी के नाम By ArUu

भगवान जीप्रणामवैसे तो बात करनी नहीं थी आपसे पर आपने इतने सारे ई मेल कर दिया की उनका जवाब देने के लिए मुझे बाध्य होना पड़ा। और प्रणाम तो करना नहीं था क्युकी मैं आपसे नाराज हु पर क्य...

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गरीब और न्याय By NEELKAMAL GAUTAM

बात उस समय की है जब मैने वकालत की थी और प्रैक्टिस के लिए कोर्ट जाना शुरू क्या था पास के ही जानने वालो ने एक अपने मिलने वाले वकील का नंबर दिया था कोर्ट का पहला दिन था मन मै अलग अलग...

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पेंच By Deepak sharma

(1) सुरेश शांडिल्य का उल्लेख सबसे पहले मां ने किया था: "तुम्हारी उषा के बैंक में कोई एक सुरेश शांडिल्य है, आयु उसकी पच्चीस वर्ष है, कद पांच फुट दस इंच है और है भी पक्का शाकाहारी। उ...

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नीम का पेड़ (भाग 15) By Kishanlal Sharma

47--जगह"क्या बात है,सुस्त लग रहे हो?"अभिषेक के पिता का स्वर्गवास हो गया था।रविवार का दिन मण्डल कार्यालय की छुट्टी थी।जिन्हें जल्दी समाचार मिल गया वे लोग अभिषेक के घर पहुंव गए थे।जि...

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एक अनोखा रिस्ता। - 6 By Lalit Raj

राजाराम से मिली अपनी माँ की डायरी को राज पढना शुरू करता है।डायरीवेसे मुझे लिखने का शोक नहीं लेकिन मेरी जिंदगी में आज एक नई शुरुआत हुई और इसलिए आज से लिखने के भी चाहत बढ गई।आज मेरा...

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युद्ध - 1 By Manish Sidana

"सुनो जी,दिल्ली जाने के लिए टैक्सी बुक करा दी,बस तीन ही दिन रह गए है।तीन दिन बाद अपना राहुल डॉक्टर बनकर यूक्रेन से लौट रहा है"..वीना ने उत्साह के साथ मनोज से कहा। "हां ,मैने टैक्सी...

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साझा क्या ? By Pallavi Pandey

आसमान थोड़ा खुला तो कली ने शॉपर्स स्टॉप का रास्ता पकड़ा।रविवार को कली न ऑफिस का काम करती थी, न किसी सहकर्मी से ऐसी आशा रखती थी । पर आज उसने ऑफिस ड्राइवर को बुला ही भेजा ।पुणे की बा...

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जेन ऑस्टिन - 2 By Jitin Tyagi

अध्याय- 2गांवों की तरह छोटे कस्बों की भी ख़ासियत यही होती है। कि मोहल्ले जातियों के आधार पर बटें होते हैं। किसी एक मोहल्ले में एक जाति का और दूसरे में दूसरी का वर्चस्व पाया जाता हैं...

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साहब का अफ़सोस By Prabodh Kumar Govil

"साहब का अफ़सोस" बात उन दिनों की है जब हमारे देश में अंग्रेज़ों का आगमन हो चुका था। शहरों पर तो उनका आधिपत्य हो ही चुका था, गांव भी उनकी चकाचौंध से अछूते नहीं रहे थे। वे लोग साम दा...

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उड़ान By Manisha Agarwal

मेरा नाम‌ मिनी है। मैं राजस्थान के एक छोटे से गांव की रहने वाली हूं। मैं बचपन से ही कम बोलने वाली शांत रहने वाली लड़की हूं। मेरी एक आदत थी कि मैं अपनी बातें दूसरों से नहीं कह पाती...

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चार लघुकथाएं By Ranjana Jaiswal

अच्छे पापा दिन भर दफ्तर में खटकर मैं जल्दी-जल्दी घर लौट रहा था |बार-बार बेटे का चेहरा आँखों के सामने डोल जाता |आठ साल का गोलू-मोलू सा बेटा पप्पू ...इधर नाराज होना सीख गया है |जब से...

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आत्मग्लानि - भाग -1 By Ruchi Dixit

माई थब थाई दये !! तैं दंदी है | तै हमछे बात न कलिहै | आज यह स्वर कानो मे गूँज कर एक अपराध बोध के साथ हृदय को दृवित करे जा रहा है | बात उन दिनो की है जब हमारी काम वाली जो कि बहुत सा...

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वामांगी By Kalpana Bhatt

वामांगी२१ फरवरी,१९९२ की बात है, इस दिन और वर्ष को कैसे भूल सकती हूँ| इसी दिन तो उनके घर में एक हादसा हुआ था | वह मेरे पड़ोस में ही तो रहते थे, भूषण जी, उनकी पत्नी वामांगी एवं उनकी इ...

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गर्व क्यों? By Prabodh Kumar Govil

मैं शाम के समय एक बगीचे में टहल रहा था। तभी मुझे एक छोटा प्यारा सा बच्चा दिखा। मैंने बच्चे से कुछ बात करने की गर्ज़ से उसकी ओर हाथ हिला दिया। मैंने सोचा था कि वो हंसकर जवाब देगा, प...

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आशिक़ी....। By Kumar Kishan Kirti

"मैं राजन के बिना जिंदा नहीं रह सकती हूँ,क्योंकि मैं उससे प्यार करती हूँ।और यह मेरी आखिरी फैसला है।"इतना कहने के साथ ही रजनी की आँखें नम हो गई।मगर उसके पिता सोहनलाल अपने जिद पर अड़े...

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अनसुलझा प्रश्न (भाग 6) By Kishanlal Sharma

16--पैसा परिवारवह मजदूर था।काम करना चाहता था।लेकिन गांव छोटा होने की वजह से काम कम था।कभी कभी उसे कई दिनों तक काम नही मिलता था।ऐसा होने पर किसी दिन घर मे चूल्हा भी नही जलता था।उसे...

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अधूरी दास्तां By shivani singh

अरे वाह ! आज मौसम कितना अच्छा है राहुल और मनोज दोनो अपनी पढ़ाई को खत्म करके बाहर टहलने अपनी कमरे के बाहर छत पर आए दोनो ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। औऱ ही एक ही कमरे म...

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कर्तव्य की अवहेलना By Rajesh Maheshwari

कर्तव्य की अवहेलना हम जबलपुर से हावड़ा जा रहे थे। मेरे साथ मेरे दो मित्र थे। उन दोनों में से एक मित्र को शराब की लत थी। गाड़ी जब सतना के पास पहुँची तब तक शाम हो चली थी लेकिन उनके स्ट...

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दर्ज़ी की सुई By Deepak sharma

सन् सैंतालीस के फसाद की जब भी बात छिड़ती है मुझे श्रीमती खुशीचंद याद आती हैं । डायरी लिखने की अपनी आदत मैंने उन्हीं से सीखी । और सच पूछिए तो मुझे इस आदत से लाभ भी पहुँचा । एक तो डाय...

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तक़दीर की खोटी By Deepak sharma

देहली के एक बडे हॉल में अगले माह मेरे चित्रों की एक एकल प्रदर्शनी आयोजित की जा रही थी । उस शाम मैं एक महत्वपूर्ण चित्र पर काम कर रहा था । एक टूटे दर्पण में एक साबुत मानवी चेहरे के...

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सांझा तल By Deepak sharma

उस दिन मां को बुखार तेज रहा । ’’बुखार जूड़ी से शुरू हुआ है, ’’ मेरे डाक्टर पिता ने अपने पेशेवर निरीक्षण के बाद थर्मामीटर और स्टेथोस्कोप शशि मौसी को सौंप दिए...

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वे बहत्तर घण्टे By Rajesh Maheshwari

मेरा यह प्रयास समर्पित है श्रृद्धेय श्री वेणुगोपाल जी बांगड़ को जिनकी पितृव्य स्नेह स्निग्ध छाया ने प्रदान किया है हर पल संरक्षण और सम्बल आत्...

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गुड़िया   By Ratna Pandey

राधा के हाथों में अपनी बेटी आलिया की गुड़िया देखते ही उसकी माँ ने राधा से वह गुड़िया छीनते हुए कहा, "अरे पुष्पा अपनी बेटी को क्यों लेकर आती हो, आलिया की इतनी महंगी-महंगी गुड़िया रो...

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कलेजे का टुकड़ा By Deepak sharma

आपने कहा, आपने कस्बापुर से मैट्रिक पास की ? सन् सड़सठ में ? मिनर्वा हाई स्कूल से ? तीन साल पहले कस्बापुर में वहीं एक हाईस्कूल रहा... तेजपाल भंडारी याद है आपको ? आपने उनसे भूगोल पढ़...

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मेरी गर्लफ्रैंड - अन्तिम भाग By Jitin Tyagi

मैं सुन्नु द कुल्फी पर बैठा हुआ उसके बारे में सोच ही रहा था कि अचानक से मेरे उल्टे कान में उसकी वो आवाज़ पड़ी जिसे कभी सुनना मेरे लिए दिन का सबसे अच्छा काम था। “आँखों से आस-पास की लड़...

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कैंपिंग इन धी फोरेस्ट By Chandani

कैंपिंग इन धी फोरेस्ट जंगलबूक, एपोकलिप्स नाउ, किंगकोंग, टार्जन या जुमांजी वेलकम टू जंगल ये सारे जंगल से जुड़े मूवीज़ दिखने में कितने अच्छे लगते है ना? पर क्या जंगल में रहना इतना आस...

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संतुष्टि By Shwet Kumar Sinha

एक ढलती शाम। आती-जाती मोटरगाड़ियों व पैदल चलते लोगों के कोलाहल के बीच वह सड़क के किनारे खड़ी अपना ग्राहक तलाश रही थी। यह चढ़ती महंगाई की मार थी या उसकी ढलती जवानी का असर, जिससे पतझड़ के...

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वकालतः Hostility Pays Not By Ashok Kalra

“सर मैं अगले महीने से आपके साथ काम नहीं कर पाऊँगा, मुझे साथ वाले वकील साहब दो हजार रुपये ज्यादा तनख्वाह दे रहे हैं," वकील साहब के सहायक ने सूचित किया। “जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, बेटा। त...

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खटका By Deepak sharma

’’मैं उस घड़ी को पास से देखना चाहती हूँ’’, मधु फिर कहती है । इस अजनबी शहर में हम दोनों अपने विवाह के प्रमोद काल के अन्तर्गत विचर रहे हैं, और जब से उसने हमारे...

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है या नहीं ?? By Anjali Dasuni

bas ab hata deti hu bahot huavgsvshsbsubdudbdudbdjdbdb

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खुराक By Deepak sharma

’’ माँ कैसी लगीं ?’’ सगाई की रस्म के बाद रेवती को मैं अपने साथ बाहर ले आया । ’’उन्हें लेकर मेरे मन में अभी उत्सुकता है । उन्हें मैं अभी और जानना...

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पगली: Humanity Needs Responsibility By Ashok Kalra

“गाड़ी आज ज़रा बाज़ार की तरफ से लेना, कुछ बरतन खरीदने हैं, बाहर का खाना मैं ज्यादा दिन नहीं खा सकता,” ड्राइवर ने सुनते ही गाड़ी का स्टियरिंग बाज़ार की तरफ घुमा दिया। मैं इस शहर में अके...

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उलझन By shivani singh

रीमा तुम ये क्या कर रही हो तुम होश में तो हो तुम्हें समझ नहीं आता में कितनी बार कह चुका की तुम अपना हाल इस तरह मत बनाया करो..।तुम क्या कह रहे हो तुम्हे ये मेरा हाल .. ।नहीं तुम तो...

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मै एक वकील हूं By NEELKAMAL GAUTAM

मेरा सपना था एक वकील बनने का कुछ समाज के लिए करने का कुछ समय बाद मैंने प्रवेश ले लिया और तीन साल मै मैंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी कर बहुत खुश हुआ और सोचने लगा अब तो में घर और समाज के...

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वो फूल रानी By Pallavi Pandey

( हरीश )बीस बरस बाद उस शहर जाना हो रहा था जिधर ये कहानी शुरू हुई थी। जन्मभूमि नही, मेरी कर्मभूमि ।।घर पड़ोस के जिले के एक गांव में था। बारहवीं तक तो जस तस कर खींच लिया, फिर इंजीनि...

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कम नहीं है वो By shivani singh

।नौजन अपने खेत से काम करके आ रहा था । जून माह की भीषण गर्मी ऊपर से उसके पास पहनने को सही कपड़े भी न थे । सूरज की तपती आग मानो उसकी देह को जला रही हो लेकिन उसके मुख पर एक मुस्कान थ...

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प्यार की दो बाते By Mehul Pasaya

औए होये माय बिलो क्या हाल है कहा जा रहे हो इतनी जल्दी जल्दी, चलो हम छोड देते है आपकी मंज़िल तकजी नही हम चले जायेंगे शुक्रिया, और हा ऐसे मेरे पीछे पीछे ना आया करो वर्ना शमश्या हो जाय...

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राखी By Priya Maurya

उसको आज मैने फिर देखा बाजार में हर साल रक्षाबंधन पर वो दुकान से मिठाईया और राखी ले जाता था। उसकी कोई बहन भी नही थी फिर भी वो किसके लिये ले जाता था पता नहीं। मै उसे पांच सालो से देख...

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बालकनी में मुस्कान By Lalit Rathod

लिखना चीजों को खूबसूरत बनाने की एक प्रक्रिया है। मेरा घर वास्तव में खूबसूरत है। इसे बार-बार साफ करना हमेशा जवान रखने जैसा है। अक्सर दोस्तों से कहता हूं मेरा घर मेरी तरह जवान है क्य...

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शिकायतों की टोकरी भगवान जी के नाम By ArUu

भगवान जीप्रणामवैसे तो बात करनी नहीं थी आपसे पर आपने इतने सारे ई मेल कर दिया की उनका जवाब देने के लिए मुझे बाध्य होना पड़ा। और प्रणाम तो करना नहीं था क्युकी मैं आपसे नाराज हु पर क्य...

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