सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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छल - Story of love and betrayal - 33 By Sarvesh Saxena

प्रेरणा ने फिर बीते दिन याद करके गुस्से में कहा - " व्हील चेयर पर बैठे बैठे भी उन्हें चैन नहीं था, वह मुझ पर ही नज़र लगाए रहतीं फिर एक दिन हम दोनों बैठे टीवी सीरियल देख रहे थे तुम...

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Real Incidents - Incident 8: तेरी मेरी किसकी है ये कहानी? By Anil Patel_Bunny

“तुम आज आ रहे हो ना?” नियति ने अतुल ने पूछा।“मैं अभी नहीं बता सकता, 8 बजे तक इंतजार करो। मैं तुम्हें 8 बजे के बाद बताता हूँ।” अतुल ने कहा।“क्यों? 8 बजे क्या है? अभी क्यों नहीं?” नि...

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कर्मनाशा की हार--(शिवप्रसाद सिंह की कहानी) By Saroj Verma

काले सांप का काटा आदमी बच सकता है, हलाहल ज़हर पीने वाले की मौत रुक सकती है, किंतु जिस पौधे को एक बार कर्मनाशा का पानी छू ले, वह फिर हरा नहीं हो सकता. कर्मनाशा के बारे में किनारे के...

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सूना आँगन- भाग 6 By Ratna Pandey

अभी तक आपने पढ़ा ऊषा वैजयंती के कमरे में जब आईं तब उसे श्वेत वस्त्रों में देखकर उन्हें ऐसा आघात लगा कि वह चक्कर खाकर वहीं गिर पड़ीं। होश में आते ही उन्होंने नैना से कहा नैना, वैजयंती...

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तुम्हारा नाम (अंतिम भाग) By Kishanlal Sharma

और उनकी पढ़ाई पूरी हो गयी।कालेज की पढ़ाई पूरी होते ही मनीषा की शादी की बात होने लगी।तब वह पवन से मिली और बोली,"पवन घर मे मेरे रिश्ते की बात चल रही है।""एक ने एक दिन तो यह बात चलनी ही...

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प्रवासी पुत्र By BALDEV RAJ BHARTIYA

कहानीप्रवासी पुत्रबलदेव राज भारतीय*******************1*****************लंदन में रहते हुए शिवम का मन अब उठ चुका था। उसने घर वापसी का मन बना लिया। मगर वह शैली को कैसे मनाए? शैली के स...

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ब्लैकलिस्टर By Ranjana Jaiswal

लगभग बीस वर्ष बाद नीलम ने अनिकेत को फेसबुक पर देखा |उसने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी |चेहरा थोड़ा पहचाना लगा तो नीलम ने उसकी प्रोफाइल फोटो को जूम करके देखा |हाँ,वही था ,पर काफी बदल गया...

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जैसी करनी वैसी भरनी By सीमा बी.

जैसी करनी वैसी भरनी---- कहानी भोलाराम, बंसत कुमार और घनश्याम दास तीनो ही दिल्ली के सदर बाजार में एक ही लाइन में अपनी अपनी दुकान संभाल रहे थे। तीनो पड़ोसी होने के नाते एक दूसरे की इ...

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समुद्र की लहरें... By Saroj Verma

शाम का वक्त,मुम्बई शहर के एक घर में.... बता के तो जा कि कहाँ जा रहा है?लक्ष्य की माँ ने पूछा।। वहाँ जा रहा हूँ जहाँ थोड़ी देर शान्ति मिल सकें,मैं छुट्टियाँ बिताने घर क्या आ जाता हूँ...

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कुशाग्र By Mayank Saxena Honey

कुशाग्र चित्रा और मनोहर का प्रेम विवाह हुआ था। चित्रा सुन्दर नयन नक्श वाली एक साँवली युवती थी वहीँ मनोहर गौर वर्ण का छरहरा युवक था। दोनों की पहली मुलाक़ात उनके स्नातक के प्रथम वर्ष...

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स्वीकृति - 12 By GAYATRI THAKUR

" दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है.. मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है.. बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है " टैक्सी के अंदर निद...

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सरपँच जी By Rama Sharma Manavi

मेरी एक परिचिता राधा जी के पिताजी थे सरपँच भगवान जी।आज से लगभग 55-60 वर्ष पूर्व की कथा है यह,जो मैंने राधा जी की जुबानी सुनी थी,प्रस्तुत कर रही हूँ।वैसे,कहानी भले ही इतने पहले की ह...

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इसको भी चाँद छूने दो By prabhat samir

चुटपुटी आज चली गई। किसी ने उसे रोकने का प्रयत्न भी नहीं किया। अपने स्वार्थ के लिए उसके अबोध मन को झूठे वायदों और आश्वासनों की चाशनी में हमने लपेटा, अपने सुख और आराम के लिए अपनी, चि...

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आत्मनिर्भर भारत पर मेरे विचार By Jatin Tyagi

प्रस्तावना:आत्मनिर्भर होना एक युवा के साथ साथ एक देश और राज्य के लिए भी होना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि जब देश आत्मनिर्भर होगा तो वह हमेशा ही अपने विकास के रास्ते पर नये कदम लेता रह...

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यादें.. By Saroj Verma

कितने साल बीत गए, आज मैं इतने सालों बाद गांव जा रहा हूं। इतने में बस रूकी और कंडक्टर की आवाज सुनाई दी_ चंदननगर की सवारी नीचे उतरो भाई!! सबके साथ मैं भी उतर पड़ा, नीचे उतर कर बसस्टै...

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देखी जमाने की यारी By Saroj Verma

भरभराते हुए इमरती बुआ(नाम पर मत जाइए बिल्कुल भी चासनी जैसी मीठी नहीं है,जहर का प्याला है.. ज़हर का प्याला), दरवाजे से भीतर घुसी और घुसते ही बोल पड़ी__ "ई का हुई गवा लल्ला, कौन ठोक...

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मां By kirti chaturvedi

यह मर्मस्पर्शी संस्मरणात्मक कहानी मेरी मां श्रीमती सुमन चतुर्वेदी द्वारा एक सत्य घटना पर लिखी गई थी। तब यह कहानी दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित हुई थी। शासकीय हाईस्कूल में हिंदी की...

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किलकारी - अंतिम भाग By Ratna Pandey

अभी तक आपने पढ़ा विजय के लाख समझाने के बाद भी पारस ने अपना फ़ैसला नहीं बदला। उसके इस फ़ैसले और बातें सुनकर अब विमला, अदिति और छोटी बहुत ख़ुश थे। अदिति ने कहा, "तुम सच कह रहे हो विजय। प...

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सहारा By Pushp Saini

लघुकथा ( सहारा )--------------------------------किशोर ने दफ़्तर से आते ही ब्रिफकेश सोफे पर रखा, हाथ मुँह धोयें इतनी देर में पल्लवी उसके लिए चाय बना लायी ।किशोर ---- सच तुम्हारे हाथ...

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सोच की ऊँचाइयाँ... By Saroj Verma

अम्बर ने अपने घर पर फोन किया.... उधर से उसकी पत्नी सुप्रिया ने फोन उठाकर हैलों बोला और पूछा... जी कहिए.... हाँ,सुप्रिया ! मैने इसलिए फोन किया था कि आज शाम कुछ जरूरी मीटिंग है और मी...

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कुछ ख़त और एक रिश्ता By Saroj Verma

जी,आप घर का कौन सा हिस्सा बेचना चाहतीं हैं,एजेंट ने सुजाता से पूछा।। जी पीछे वाला,मैं वैसें भी एक ही कमरें का ज्यादातर इस्तेमाल करती हूँ,आगें के हिस्से में रसोई,दो कमरें ,एक बाथरूम...

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जुदाई By kirti chaturvedi

घर का काम पूरा हो चला था। कुछ ही दिनों बाद उन्हें दूसरी मंजिल पर सामान जमा कर रखना था। रूमाना को रह रहकर ख्याल आ रहा था कि आज के दिन अम्मी अगर जिंदा होती तो कितना बेहतर होता। रूमान...

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निष्कलंक - अंतिम भाग By राही

जब तक चबा कर खा सकते थे। खाई गई। औरफिर घर से बहार फेंक दी गई। काम कि नहीं रही। पेट में बच्चा था। किसका? किसीको नहीं पड़ी थी। अबसे यही मेरी बेटी है कह,, आशा कि माँ से शादी रचाने वाल...

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माँ को कौन समझता है... By Shalini Gautam

ये कहानी है उस मां की है, जिसने अपने बच्चों को पाल पोसकर इतना बड़ा तो कर दिया ताकि वो अपने कदमो पर खड़े हो पाए , पर शायद वो उन बच्चों को दुनियादारी नहीं सिखा पाई कि बुढापे में मां...

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स्थान- परिवर्तन By prabhat samir

सुबह की चाय का प्याला थमाते हुए जयन्ती ने बड़ी सहजता से प्रतीक से कहा-‘प्रतीक, मैं अब तुम्हारी माँ के साथ नहीं रह सकती। प्रतीक अखबार पढ़ रहा था, पढ़ता रहा। बिना नज़र उठाए उसने भी...

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जादू भरी आँखों वाली सुनो By Ranjana Jaiswal

पहली बार नीलिमा को देखकर मुझे बिलकुल नहीं लगा था कि वह जादूगरनी है |उम्र यही कोई 22 -23 की होगी |भरे बदन की लंबी पर कुछ ज्यादा ही साँवली लड़की थी |हाँ, उसकी आँखें जरूर बड़ी और आकर्षक...

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बावरा मन By Rama Sharma Manavi

आजकल रश्मि कुछ उदास,कुछ उखड़ी सी,कुछ व्यथित रहने लगी है,वैसे देखा जाय तो कोई विशेष समस्या भी नहीं है,बल्कि सब कुछ पहले से काफ़ी बेहतर हो गया है।गृहस्थ जीवन का संघर्ष भी लगभग नगण्य हो...

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मैं ही क्यों.... By Shalini Gautam

नमस्कार दोस्तो....आज मैं आप सब से कुछ कहना चाहती हूं कि कैसे आज भी लड़की का पैदा होना इतनी खुशी की बात नहीं होती है।जब एक लड़की किसी घर आंगन में जनम लेती है तो ना जाने क्यो खुशी से...

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छल - Story of love and betrayal - 33 By Sarvesh Saxena

प्रेरणा ने फिर बीते दिन याद करके गुस्से में कहा - " व्हील चेयर पर बैठे बैठे भी उन्हें चैन नहीं था, वह मुझ पर ही नज़र लगाए रहतीं फिर एक दिन हम दोनों बैठे टीवी सीरियल देख रहे थे तुम...

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Real Incidents - Incident 8: तेरी मेरी किसकी है ये कहानी? By Anil Patel_Bunny

“तुम आज आ रहे हो ना?” नियति ने अतुल ने पूछा।“मैं अभी नहीं बता सकता, 8 बजे तक इंतजार करो। मैं तुम्हें 8 बजे के बाद बताता हूँ।” अतुल ने कहा।“क्यों? 8 बजे क्या है? अभी क्यों नहीं?” नि...

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काले सांप का काटा आदमी बच सकता है, हलाहल ज़हर पीने वाले की मौत रुक सकती है, किंतु जिस पौधे को एक बार कर्मनाशा का पानी छू ले, वह फिर हरा नहीं हो सकता. कर्मनाशा के बारे में किनारे के...

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सूना आँगन- भाग 6 By Ratna Pandey

अभी तक आपने पढ़ा ऊषा वैजयंती के कमरे में जब आईं तब उसे श्वेत वस्त्रों में देखकर उन्हें ऐसा आघात लगा कि वह चक्कर खाकर वहीं गिर पड़ीं। होश में आते ही उन्होंने नैना से कहा नैना, वैजयंती...

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तुम्हारा नाम (अंतिम भाग) By Kishanlal Sharma

और उनकी पढ़ाई पूरी हो गयी।कालेज की पढ़ाई पूरी होते ही मनीषा की शादी की बात होने लगी।तब वह पवन से मिली और बोली,"पवन घर मे मेरे रिश्ते की बात चल रही है।""एक ने एक दिन तो यह बात चलनी ही...

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कहानीप्रवासी पुत्रबलदेव राज भारतीय*******************1*****************लंदन में रहते हुए शिवम का मन अब उठ चुका था। उसने घर वापसी का मन बना लिया। मगर वह शैली को कैसे मनाए? शैली के स...

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लगभग बीस वर्ष बाद नीलम ने अनिकेत को फेसबुक पर देखा |उसने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी |चेहरा थोड़ा पहचाना लगा तो नीलम ने उसकी प्रोफाइल फोटो को जूम करके देखा |हाँ,वही था ,पर काफी बदल गया...

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जैसी करनी वैसी भरनी---- कहानी भोलाराम, बंसत कुमार और घनश्याम दास तीनो ही दिल्ली के सदर बाजार में एक ही लाइन में अपनी अपनी दुकान संभाल रहे थे। तीनो पड़ोसी होने के नाते एक दूसरे की इ...

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समुद्र की लहरें... By Saroj Verma

शाम का वक्त,मुम्बई शहर के एक घर में.... बता के तो जा कि कहाँ जा रहा है?लक्ष्य की माँ ने पूछा।। वहाँ जा रहा हूँ जहाँ थोड़ी देर शान्ति मिल सकें,मैं छुट्टियाँ बिताने घर क्या आ जाता हूँ...

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" दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है.. मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है.. बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है " टैक्सी के अंदर निद...

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मेरी एक परिचिता राधा जी के पिताजी थे सरपँच भगवान जी।आज से लगभग 55-60 वर्ष पूर्व की कथा है यह,जो मैंने राधा जी की जुबानी सुनी थी,प्रस्तुत कर रही हूँ।वैसे,कहानी भले ही इतने पहले की ह...

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चुटपुटी आज चली गई। किसी ने उसे रोकने का प्रयत्न भी नहीं किया। अपने स्वार्थ के लिए उसके अबोध मन को झूठे वायदों और आश्वासनों की चाशनी में हमने लपेटा, अपने सुख और आराम के लिए अपनी, चि...

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आत्मनिर्भर भारत पर मेरे विचार By Jatin Tyagi

प्रस्तावना:आत्मनिर्भर होना एक युवा के साथ साथ एक देश और राज्य के लिए भी होना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि जब देश आत्मनिर्भर होगा तो वह हमेशा ही अपने विकास के रास्ते पर नये कदम लेता रह...

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यादें.. By Saroj Verma

कितने साल बीत गए, आज मैं इतने सालों बाद गांव जा रहा हूं। इतने में बस रूकी और कंडक्टर की आवाज सुनाई दी_ चंदननगर की सवारी नीचे उतरो भाई!! सबके साथ मैं भी उतर पड़ा, नीचे उतर कर बसस्टै...

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भरभराते हुए इमरती बुआ(नाम पर मत जाइए बिल्कुल भी चासनी जैसी मीठी नहीं है,जहर का प्याला है.. ज़हर का प्याला), दरवाजे से भीतर घुसी और घुसते ही बोल पड़ी__ "ई का हुई गवा लल्ला, कौन ठोक...

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सहारा By Pushp Saini

लघुकथा ( सहारा )--------------------------------किशोर ने दफ़्तर से आते ही ब्रिफकेश सोफे पर रखा, हाथ मुँह धोयें इतनी देर में पल्लवी उसके लिए चाय बना लायी ।किशोर ---- सच तुम्हारे हाथ...

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अम्बर ने अपने घर पर फोन किया.... उधर से उसकी पत्नी सुप्रिया ने फोन उठाकर हैलों बोला और पूछा... जी कहिए.... हाँ,सुप्रिया ! मैने इसलिए फोन किया था कि आज शाम कुछ जरूरी मीटिंग है और मी...

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जी,आप घर का कौन सा हिस्सा बेचना चाहतीं हैं,एजेंट ने सुजाता से पूछा।। जी पीछे वाला,मैं वैसें भी एक ही कमरें का ज्यादातर इस्तेमाल करती हूँ,आगें के हिस्से में रसोई,दो कमरें ,एक बाथरूम...

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जुदाई By kirti chaturvedi

घर का काम पूरा हो चला था। कुछ ही दिनों बाद उन्हें दूसरी मंजिल पर सामान जमा कर रखना था। रूमाना को रह रहकर ख्याल आ रहा था कि आज के दिन अम्मी अगर जिंदा होती तो कितना बेहतर होता। रूमान...

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सुबह की चाय का प्याला थमाते हुए जयन्ती ने बड़ी सहजता से प्रतीक से कहा-‘प्रतीक, मैं अब तुम्हारी माँ के साथ नहीं रह सकती। प्रतीक अखबार पढ़ रहा था, पढ़ता रहा। बिना नज़र उठाए उसने भी...

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