सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • अय्याश--भाग(१५)

    स्नान करने के बाद जब सत्या और अमरेन्द्र भोजन करने बैठें तो अमरेन्द्र के घर की बू...

  • माँ कभी सौतेली नहीं होती..

    माँ कभी सौतेली नहीं होती पायल और विजय अपनी खुशाल जिंदगी जी रहे थे। उनका एक बेटा...

  • संतुलन - भाग ४

    राधा का इस तरह शादी से इंकार करने पर विनय ने उसे समझाते हुए कहा, “राधा तुम्हें म...

अधूरा पहला प्यार (पांचवी क़िस्त)` By Kishanlal Sharma

मनोहर के कमरे की तलाशी दे दोकमरे की तलाशी में घड़ी नही मिली लेकिन कंधोनी बक्शे में रखी सुरेश ने देख ली थी।उसने प्रिंसिपल से जाकर कहा।प्रिंसिपल ने मनोहर से पूछा तो उसे झूंठ बोलना पड़ा...

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अय्याश--भाग(१५) By Saroj Verma

स्नान करने के बाद जब सत्या और अमरेन्द्र भोजन करने बैठें तो अमरेन्द्र के घर की बूढ़ी नौकरानी झुमकी भोजन से परोसी हुई पीतल की थालियाँ लेकर उपस्थित हुई,झुमकी को देखकर अमरेन्द्र बोला......

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माँ कभी सौतेली नहीं होती.. By Uma Vaishnav

माँ कभी सौतेली नहीं होती पायल और विजय अपनी खुशाल जिंदगी जी रहे थे। उनका एक बेटा भी था । जिसका नाम रोनक था । वो आठ साल का था । बहुत प्यारा बच्चा है रोनक..... विजय को काम की वजह से प...

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संतुलन - भाग ४ By Ratna Pandey

राधा का इस तरह शादी से इंकार करने पर विनय ने उसे समझाते हुए कहा, “राधा तुम्हें मैंने बचपन से हर काम में, हर चीज में संतुलन करना सिखाया है. बस उसी फॉर्मूले को यहाँ भी अपनाना फिर देख...

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट 3) By Kishanlal Sharma

2--बदला"साहब है/""नही।गाज़ियाबाद गए है।रात तक लौट आएंगे।कोई काम है?"रचना ने राम दीन से पूछा था।"नही।काम तो कुछ भी नही है।साहब के नाम एक लिफाफा आया था।साहब छुट्टी पर है।मैने सोचा शाय...

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समानांतर किनारे By Rama Sharma Manavi

"नदी के किनारे उद्गम से सागर में समापन तक लगभग समानांतर रहते हैं, जब वक्री होकर अति विस्तृत होते हैं तो सरितप्रवाह अत्यधिक मद्धम हो जाता है और अति सन्निकट होने पर धारा तीव्र वेगवान...

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स्वीकृति - 13 By GAYATRI THAKUR

पार्ट 13 कल जमके हुई भारी बरसात के बाद आज सुबह से ही मौसम काफी साफ था. रमन देर तक बिस्तर पर सोया रहा, आंख खुलते ही वह बिस्तर से उठा और अपने लिए चाय का पानी चढा ही रहा था कि दरवाजे...

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हमें अलग घर बनाना होगा   By Ratna Pandey

सविता ने अपनी बहू शालिनी के आते ही स्वयं को घर के कामकाज से एकदम दूर कर लिया। शालिनी के जीवन की पतंग की डोरी उन्होंने अपने हाथ में रखी थी। यूँ समझ लो कि शालिनी के जीवन का पूरा नियं...

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बदलते सपने  By Ratna Pandey

अजय एक विद्यालय में शिक्षक के पद पर कार्यरत था। उसकी पत्नी वैशाली घर पर ही सिलाई-बुनाई करके घर के ख़र्च में हाथ बटाती थी। कम आमदनी होने के बाद भी उन्होंने कभी परिवार नियोजन का ध्या...

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यही है जिंदगी By Rama Sharma Manavi

इस बार मायके से लौटने के पश्चात वो ऊर्जा,वह खुशी महसूस नहीं हो रही थी, जो अबतक होती आई थी।चार दिन लौटे हुए हो गए थे, बैग से सामान तक निकालने की इच्छा नहीं हो रही थी।जरूरी काम निबटा...

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सूना आँगन- भाग 13 - अंतिम भाग By Ratna Pandey

अभी तक आपने पढ़ा सभी के मनाने और समझाने के बाद वैजयंती विवाह के लिए मान गई। उसके बाद अशोक ने सौरभ को बुलाकर विवाह की बात कही। सौरभ तो यही चाहता था। ऊषा ने यह ख़बर वैजयंती की माँ को स...

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काढ़ागोला : एक यात्रा - भाग - 2 By rajeshdaniel

काढ़ागोला : एक यात्रा - भाग - 2 काढ़ागोला की आत्मा : कू कूक कू की आवाज़ के साथ ही हम सिंघेश्वर साह जी की दुकान से उठकर स्टेशन की ओर चल पड़े। ये सुबह 8 बजे कटिहार जानेवाली पार्सल गाड़ी क...

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छल - Story of love and betrayal - अंतिम भाग By Sarvesh Saxena

तीनों ने हैरानी और दर्द में चिल्लाते हुए मुड़कर देखा तो सामने भैरव खड़ा था, भैरव दौड़कर प्रेरित के पास जाने लगा तो नितेश उसे पकड़ कर बोला, " ओहो.. तू? अभी तक… तेरी आशिकी उतरी नहीं,...

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क़ीमे की बजाय बोटियाँ--(सहादत हसन मंटो की कहानी) By Saroj Verma

स्टोरीलाइन एक मद्रासी डॉक्टर के दूसरे प्रेम-विवाह की त्रासदी पर आधारित कहानी। वह डॉक्टर बेहद बेतकल्लुफ़ था। अपने दोस्तों पर बेहिसाब ख़र्च किया करता था। तभी उसकी एक औरत से दोस्ती हो...

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भोला राम द्वितीय By BALDEV RAJ BHARTIYA

भोला राम द्वितीयबलदेव राज भारतीयभोलाराम द्वितीय इक्कीसवीं सदी के विलक्षण व्यक्ति हैं। भोलाराम अपने नाम के अनुरूप भोले भाले हैं। इनसे पहले एक और भोलाराम हुए हैं जिनका जीव यमदूतों को...

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एक विवाह ऐसा भी By Jatin Tyagi

दहेज की मांग पूरी न होने, बारातियों की खातिरदारी पसंद के मुताबिक न होने या फिर लड़की और उसके परिवार में कोई कमी होने पर अक्सर लोग मंडप में पहुंचने और जयमाल होने के बावजूद शादियां तो...

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Real Incidents - Incident 9: Columnist By Anil Patel_Bunny

राहुल जैन आज बहुत नर्वस था। आज उसे चैनल के लिए एक बहुत ही खास इंसान का इंटरव्यू लेना था। वो खास इंसान और कोई नहीं बल्कि डॉक्टर अरमान मेहरा थे। डॉक्टर अरमान मेहरा शहर के नामी गायनेक...

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दोज़खी By Husn Tabassum nihan

हुस्न तबस्सुम निहाँ रहमत के घर फिर अचानक तोड़-फोड़ शुरू हो गई थी। लोग बाग दौड़ पड़े थे और बाहर-बाहर से ही जायजा लेने की कोशिश कर रहे थे। कुछ एक शरारती बच्चे एक कुतुहल लिए भीतर के बरामद...

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बात उस रात की By Neerja Pandey

नीरजा पांडे हॉस्टल से बाहर निकल बाउंड्री की दीवाल को पेड़ के सहारे फांद कर अक्षत ने एक लंबी सांस ली। बड़ी ही जद्दो जहद के बाद आखिर कार अक्षत आज फिर एक बार अपने वार्डन को चकमा देने...

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मधुप दंश By Aastha Rawat

मधुप दंश – आस्था रावतसुबह के साढ़े छह होने से पहले ही मेरी आंख अब खुल जाती थी।पर सुबह की गहरी नींद को छोड़ कर सैर के लिए जानामेरे लिए हमेशा से चुनौती पूर्ण रहा है।पर आजकल इस चुनौती...

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तिरिछ - (उदय प्रकाश की कहानी) By Saroj Verma

तिरिछ —उदय प्रकाश इस घटना का संबंध पिताजी से है। मेरे सपने से है और शहर से भी है। शहर के प्रति जो एक जन्म-जात भय होता है, उससे भी है। पिताजी तब पचपन साल के हुए थे। दुबला शरीर। बाल...

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मुक्ति By Saroj Prajapati

"चल यार आज तुझे दिल्ली की रंगीनियों दिखाते हैं ।" अमित के दोस्त ने हंसते हुए कहा। "मतलब!" "तू चल तो सही हमारे साथ। आज तू जिंदगी के भरपूर मजे लेना।" " मैं समझा नहीं !" अमित हैरानी स...

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अंतर्द्वंद्व By Rama Sharma Manavi

अक्सर एकांत पलों में जब मैं अपने लक्ष्य विहीन विगत जीवन का विश्लेषण करने लगती हूँ तो मन को एक अन्तर्द्वन्द से घिरा हुआ पाती हूँ।वैसे अपनी स्थिति के लिए जिम्मेदार तो व्यक्ति स्वयं ह...

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अधूरा पहला प्यार (पांचवी क़िस्त)` By Kishanlal Sharma

मनोहर के कमरे की तलाशी दे दोकमरे की तलाशी में घड़ी नही मिली लेकिन कंधोनी बक्शे में रखी सुरेश ने देख ली थी।उसने प्रिंसिपल से जाकर कहा।प्रिंसिपल ने मनोहर से पूछा तो उसे झूंठ बोलना पड़ा...

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अय्याश--भाग(१५) By Saroj Verma

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माँ कभी सौतेली नहीं होती.. By Uma Vaishnav

माँ कभी सौतेली नहीं होती पायल और विजय अपनी खुशाल जिंदगी जी रहे थे। उनका एक बेटा भी था । जिसका नाम रोनक था । वो आठ साल का था । बहुत प्यारा बच्चा है रोनक..... विजय को काम की वजह से प...

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संतुलन - भाग ४ By Ratna Pandey

राधा का इस तरह शादी से इंकार करने पर विनय ने उसे समझाते हुए कहा, “राधा तुम्हें मैंने बचपन से हर काम में, हर चीज में संतुलन करना सिखाया है. बस उसी फॉर्मूले को यहाँ भी अपनाना फिर देख...

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"नदी के किनारे उद्गम से सागर में समापन तक लगभग समानांतर रहते हैं, जब वक्री होकर अति विस्तृत होते हैं तो सरितप्रवाह अत्यधिक मद्धम हो जाता है और अति सन्निकट होने पर धारा तीव्र वेगवान...

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हमें अलग घर बनाना होगा   By Ratna Pandey

सविता ने अपनी बहू शालिनी के आते ही स्वयं को घर के कामकाज से एकदम दूर कर लिया। शालिनी के जीवन की पतंग की डोरी उन्होंने अपने हाथ में रखी थी। यूँ समझ लो कि शालिनी के जीवन का पूरा नियं...

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यही है जिंदगी By Rama Sharma Manavi

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काढ़ागोला : एक यात्रा - भाग - 2 काढ़ागोला की आत्मा : कू कूक कू की आवाज़ के साथ ही हम सिंघेश्वर साह जी की दुकान से उठकर स्टेशन की ओर चल पड़े। ये सुबह 8 बजे कटिहार जानेवाली पार्सल गाड़ी क...

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क़ीमे की बजाय बोटियाँ--(सहादत हसन मंटो की कहानी) By Saroj Verma

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भोला राम द्वितीयबलदेव राज भारतीयभोलाराम द्वितीय इक्कीसवीं सदी के विलक्षण व्यक्ति हैं। भोलाराम अपने नाम के अनुरूप भोले भाले हैं। इनसे पहले एक और भोलाराम हुए हैं जिनका जीव यमदूतों को...

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मधुप दंश By Aastha Rawat

मधुप दंश – आस्था रावतसुबह के साढ़े छह होने से पहले ही मेरी आंख अब खुल जाती थी।पर सुबह की गहरी नींद को छोड़ कर सैर के लिए जानामेरे लिए हमेशा से चुनौती पूर्ण रहा है।पर आजकल इस चुनौती...

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तिरिछ - (उदय प्रकाश की कहानी) By Saroj Verma

तिरिछ —उदय प्रकाश इस घटना का संबंध पिताजी से है। मेरे सपने से है और शहर से भी है। शहर के प्रति जो एक जन्म-जात भय होता है, उससे भी है। पिताजी तब पचपन साल के हुए थे। दुबला शरीर। बाल...

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"चल यार आज तुझे दिल्ली की रंगीनियों दिखाते हैं ।" अमित के दोस्त ने हंसते हुए कहा। "मतलब!" "तू चल तो सही हमारे साथ। आज तू जिंदगी के भरपूर मजे लेना।" " मैं समझा नहीं !" अमित हैरानी स...

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अंतर्द्वंद्व By Rama Sharma Manavi

अक्सर एकांत पलों में जब मैं अपने लक्ष्य विहीन विगत जीवन का विश्लेषण करने लगती हूँ तो मन को एक अन्तर्द्वन्द से घिरा हुआ पाती हूँ।वैसे अपनी स्थिति के लिए जिम्मेदार तो व्यक्ति स्वयं ह...

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